💌💌💌💌💌 संदेसे आते हैं ♠♠♠♠♠ .


'की होया कुलजीते, मुँह क्यूँ उतरया है तेरा, सुरजीत केहन्दा सी तू रोटी वी नई खादी'

'कुश नही वीरे, बस ऐवें ई'

'ओये दस्स वी हुण, वीर आख के गल लकोना ए'

'की दस्सा यार, फँस गये इस देशभक्ति के चक्कर में, 3 महीने हो गए यहाँ आए पर छुट्टी नहीं मिली फिर से, जब तक बेरोजगार था, लगता था कोई भी काम मिल जाए बस, लगता था पैसा ही सब कुछ है, पैसे के लिए कुछ भी करूँगा, जब सर्विस मिली तो लगा जैसे सब पा लिया,और चाहिए भी क्या,ट्रेनिंग में खूब हड्डियाँ तुड़वाई पर हिम्मत न छोड़ी, यूँ भी तो लग रहा था की देशभक्त कहलाने के पैसे और कहाँ मिलेंगे , पर....'

'पर क्या ?'

'पर पैसा सब कुछ नहीं होता यार, अब लगता है इससे तो अच्छा मजदूरी करके गुजारा करता, कोई रेहड़ी लगा के सब्ज़ी बेचता तब भी अच्छा रहता, पैसा किसके लिए कमाते हैं सब लोग? परिवार के साथ ख़ुशी से रहने के लिए ही न ,पर हम तो उसी परिवार से दूर हैं, और हम क्या यहाँ जी भी रहे हैं? जानवरों से बदतर जिंदगी है हमारी, 18000 फुट की ऊंचाई, चारो और बर्फ, अगर चलना भी पड़े तो 2 फुट बर्फ में पैर धँस जाते हैं, -40℃ साली इतनी ठंड में कोई घर तो क्या रजाई से बाहर न निकले पर हम लोग भटकते रहते हैं, उल्लू की तरह आँखे फाड़ते हैं कि कोई आ न जाए, 3 महीने हो गए इंसान तो क्या चिड़िया की शक्ल नहीं देखी। ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है, सूअर की तरह बंकर में पड़े रहो, जहाँ 24 घँटे घासलेट जलाना जरूरी है, चेहरे पर इतना कार्बन जम गया है कि खुरच दूँ तो 4 डिबिया काजल निकले। और कुछ नहीं तो कभी तो अच्छा खाना मिले, कम्बख्त पैक्ड खाना खा खा के गला छील गया है। शुक्र है कि कम से कम ये रेडियो तो चलता है वरना जिंदा होकर भी मुर्दा जैसे हो जाते। '

'हाहाहा, ओये तू इतना भरा बैठा है? अच्छा किया जो बोल दिया, भार हल्का हो गया न। तू छोड़ ये सब,  पता है पंजाब में जमीन का क्या रेट है?'

'????'

'हाहाहा, मैं दसना ना, 15 से 20 लाख एक किले दे, ते यारां कोल पुरे वी (बीस) किले आ 😊😊 हाहाहा, तुम्हे क्या लगता है सब यहाँ पैसे के लिए आते हैं ?। ओये यारा कई बातें होती हैं जो सिर्फ मसूस करी जाती हैं, पता है जब मेरे बाऊजी शहीद हुए थे मैं बहुत छोटा था, किसी को खोने का दुःख नहीं जानता था पूरा गाँव इकट्ठा हुआ था, हर एक आँख में आंसू, औरों को रोते देख मैं भी रोने लगा था, पर मेरी बेबे ने कहा पुत्त तू नहीं रोना, मेरा शेर पुत्तर, अपने बाऊजी जैसा बनना। समझ नही सी आया बेबे खुद रो के मेनु क्यों चुप करा रही सी, क्यों मुझे बाऊजी जैसा बनने को कह रही थी। पर फिर जब लोग मुझे शहीद मेजर अमरजीत सिंह का पुत्तर बोल के सम्मान देते तो समझ आता की बाऊजी ने क्या कमाया, रब्ब दी सौं छाती गर्व से चौड़ी हो जांदी। ये गर्व बड़ी कुत्ती चीज है, जिस दिन इसका मोल समझ लेंगा ये रोटी शोटी बर्फ शरफ़ दी गलां फुद्दू लगेगी तेनु।😊, चल तेरा मूड बनाइए, आ फड़ तेरे घर से चिट्ठी आई है'

'सच्ची ? तो यार दी क्यों नहीं अब तक😬'

'तरसाने दा अपना मज़ा है काके😂😂😂😂😂'

कुलजीत चिट्ठी पढ़ने लगा,
'प्यारे बेटे कुलजीत, रब्ब तेरी वड्डियाँ उमरां करे।  हम सब यहाँ कुशल हैं, रब्ब से तेरे लिए मैहर चाहते हैं। कई दिन हुए तेरी बहन से चिट्ठी लिखने को कह रही थी, पर तू तो जानता ही है कितनी आलसी है ये , आज जबरदस्ती पकड़ के लिखवा रही हूँ, बूढी हो गई हूँ तबियत थोड़ी ठीक नहीं रहती पर तू चिंता मत करना मैं दवाई ले रही हूँ, बेटा एक खुशखबरी भी है हमारा पीछा इस आलसी से जल्दी ही छूट जाएगा, हाँ रिश्ता पक्का कर दिया तेरी बहन का, खुश हो न ? जब तुम आओगे तो शादी की तारीख भी रख लेंगे, पहले इसकी फिर तेरी, तब मैं तो निहाल हो जाऊंगी। हो सके तो जल्दी आना बेटा, बड़ी याद आती है तुम्हारी,
तुम्हारी माँ'

कुलजीत की आँखों में आँसू थे, ख़ुशी के या गम के वो खुद नहीं जानता। उसके हाथ से चिट्ठी लेकर गुरविंदर पढ़ने लगा फिर बोला, 'बल्ले नी तेरे, भैण दा व्याह, मुबारकां बई मुबारकां। ओये हुण तां खुश होजा कंजरा।😂😂😂'

'हाँ यार, खुश ही तो हूँ' आँसू पोंछते हुए कुलजीत बोला। 'तेरे घर से नहीं आई कोई चिट्ठी?'

'ओये हमको कौन याद करता है 😊, चल तुझे इस खुशखबर के लिए रम पिलाता हूँ, और सुन अब नखरे ना करीं, नहीं तो लपेड़े भी खाएगा।'

दोनों इस पर कहकहा लगा कर हँस पड़े।

***

'ओये बलवंते, गुरी नई आया अबी ?'

'ना पाजी, पर आप का काम बड़ा फ़ास्ट है, छेती मुड़ आए?'

'कित्थे रह गया ओ कंजर, मौसम भी खराब हो रहा है'

'पूरी पेट्रोलिंग टीम बाहर है पाजी, आ जाण गे, फिकर ना करो।'

'ओये फौजियों की फिकर तो उनके घरवालों के अलावा कोई नहीं करता, खुद फौजी भी नहीं। '

बर्फ में बनाए एक बंकर में कुलजीत बैठा था, फिर सहसा एक शरारत के चलते गुरविंदर का सामान टटोलने लगा, एक चिठ्ठी हाथ लगी तो पढ़ने बैठ गया।

'गुरविंदर वीर जी, सत श्री अकाल। आपसे छोटा हूँ इसलिए माफ़ करना जो लिख रहा हूँ, बहुत कोशिश की कि कुछ अच्छा लिखूं पर इससे अलग कुछ नहीं आया दिल में, आप इतना गिर जाओगे सोचा न था। देश देश देश हर बात में यही घुसा रहता है आपके। बेटे का एक्सीडेंट हुआ पर आप तब आए जब वो जा चुका था। छुट्टी नहीं थी का बहाना सुपरहिट है आपका, माँ आपको सबसे ज्यादा प्यार करती थी जब भी कभी कोई बात चलती उसकी आँखों में आपके नाम के साथ गर्व के आँसू छलछला जाते, पता है आज वो माँ मर गई हस्पताल में उडीक करते करते पर आप नहीं आए, पूछूँगा भी नहीं की इस बार क्या बहाना बना रहे हो। बस बताना है आपको की भाभी की आँख से एक आँसू तक नहीं गिरा, काकू के जाने के बाद भी तो यही हुआ था तब भी पथरा गई थी बिलकुल पर आपको देखते ही फट पड़ी थी। मुझसे उनकी ये हालत देखी नहीं जाती,बहुत हो गया और कितना खोना बाकि है वीर जी।  तुहानु रब्ब दा वास्ता, हो सके तो जल्दी चले आओ।
आपका भाई
गुरजोत सिंह।

कुलजीत की आँखों में आँसू थे, सोचने लगा इतना सब सहने के बाद भी कोई मुस्कुरा कैसे सकता है, चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं, ये गर्व आखिर है क्या बला। चिठ्ठी वापस सामान में रख बंकर से बाहर आया। गुरविंदर अभी भी नहीं आया था।

'बलवंते मैं आता हूँ अभी गुरी को देख के'

***

 'मर गया शाब, बौत बर्फ गिर गया शाब एकदम, सब दब के मर गया शाब। चीख भी नहीं निकला ,मी कैसे बच गया नहीं पता। उ शब दबा पड़ा है बेचारा।'

तलाशी में 10 लाशें मिली थी जिनमे गुरविंदर और कुलजीत के शव भी थे।

***

सेना की किसी और यूनिट में किसी और जगह कुछ फौजी रेडियो सुन रहे है, काश उद्घोषक एक बार बस एक बार उनका नाम भी पुकार दे इस आशा से कान और ध्यान लगाए।

फौजी भाइयो अगला गाना है फिल्म बॉर्डर से, संगीत दिया अनु मलिक ने और आवाज़ें है सोनू निगम और रूप कुमार राठौड़ की, पसन्द किया है आप सब ने, जम्मू से लांस नायक गुरविंदर सिंह, कुलजीत सिंह, सूबेदार प्रभजोत सिंह..........................।

गाना बज रहा है,
'संदेसे आते हैं
हमे तड़पाते हैं,
 के चिट्ठी आती है,
 जो पूछे जाती है
के घर कब आओगे।'

इस यूनिट से दूर बहुत दूर पंजाब में कुछ जोड़ी आँखे छलक उठी हैं, उदघोषक ने जाने अनजाने उन्हें उनके किसी खोए हुए अपने की याद दिला दी थी।

***

#जयहिंद

#जयश्रीकृष्ण

©अरुण

(सृजन संवाद कहानी प्रतियोगिता में प्रेषित मेरी प्रविष्ठि.....आप भी पढ़ें))😊

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♻♻♻♻♻♻ लाठी की आवाज़ ♠♠♠♠♠


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बेअंत मिस्त्री नहीं रहा...पापा ने घर आकर जब कहा तो सब चौंक गए, अच्छा भला था ...कुरता पाजामा पहने सर पर स्थायी रूप से गमछा बांधे, अधपके बालो वाले शख्स की तस्वीर झट से सबकी आँखों में तैर गई, उम्र भी ज्यादा नहीं थी यही कोई 45-50 के बीच होगी .... घर में जब भी कुछ नया निर्माण करवाना हो या कुछ मरम्मत करवानी हो उसी को याद करते थे, काम थोड़ा धीरे करता था पर बहुत सफाई से करता था, माँ से कुछ पैसे उधार ले रखे थे उसने ...बहुत बार मुझे याद दिलाती , अरे तुम्हारे स्कूल के पास ही तो है उसका घर आ जाओ तो उससे पैसे ले के आना.....मैं ठहरा हद दर्जे का आलसी रोज भूल जाता.... आज पापा गए थे पता लगा महीना भर हुआ हर्ट अटैक से बेअंत को दूसरी दुनिया में कुछ किए हुए, सुना तो किसी को भी अच्छा नही लगा ..पैसों के डूबने की वजह से नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि कुछ ज्यादा ही हिला हुआ था हम सब से ...कुछ ही दिन पहले छत को पक्का करवाया था उसी के हाथों .....बहुत बातूनी था ..इधर उधर की कुछ न कुछ बोलता ही जाता..बातो में काम करना भूल जाता, मैं उसके साथ बैठ कर दार्शनिक हो जाता जब वो ये कहता की आप मुझे कभी टोकते क्यों नहीं...अगर मैं काम नही करता तो ? मैं कहता ...जब मैं 12 वीं में था तो एक किताबों की दुकान पर काम करने के लिए लगा था छुट्टियों में 1000 रुपए महीना की तनख्वाह पर, लालच में आकर एक दिन उस दुकान से कुछ पेन चुरा लिए...यकीन मानों मेरा ही जी जानता है कि उस चोरी के अपराध का दंड मैंने बहुत प्रकार से भुगता, जब भी कभी एक आध नम्बर से प्रतियोगी परीक्षा में चयन से वंचित रहा..हर बार उस चोरी की याद आती...ग्लानि से भरा बार बार खुद को कोसता....कोई माने या न माने सृष्टि की न्याय व्यवस्था बड़ी अद्भुत है....हमारा अपना कर्म ही किसी न किसी रूप में लौट कर फल रूप में हमारे पास वापस आता है..... वो कहता भाईजी आप तो किताबी बाते करते हो...पवन मोटा...अरे वोई सेठ सारे शहर को खा गया...उसका तो कभी कुछ नही बिगड़ा...मैं हंस देता.....कहता बड़ी सूक्ष्म व्यवस्था है बेअंत बाबू ...इतनी आसानी से सब हमारे पल्ले कहाँ पड़ती है....पर मैं तो यही मानता हूँ की मैं किसी का कुछ भी नुकसान करूँगा तो मेरा नुकसान होना तय है...... तुम वो राजेश को जानते हो न..? कौन वो चश्मे वाला मुंडा ? हाँ वही.....उसकी कहानी सुनो आँखिन देखी ...उसके पिता सेल्स टेक्स में थे ...भोले थे थोड़े...इतने भोले की साइकिल लेकर घर से जाते पर पैदल वापस आ जाते...कुछ याद न रहता....घर की मैं कमांड उसके ताऊ जी ने ले रखी थी अघोषित रूप से....ताऊ जी पेशकार थे कोर्ट में...अंधी कमाई...मने उस जमाने में भी रोज के 2 से 3 हजार ऊपर के पक्के.....राजेश  के पापा जो कमाते बड़े भाई के हाथ में रख देते ...ताऊ जी के लड़के ऐश मारते...रुपया पानी की तरह बहाते... और राजेश की फॅमिली को सब कुछ होते हुए भी पेट को गांठ मार कर जीना पड़ता...आखिर सब अलग हो गए... ताऊ ने उसमे भी चालाकी की मकान का बंटवारा इस तरह से किया की राजेश के परिवार को मिला भाग ताऊ के भाग के 10 वें हिस्से की कीमत का भी न होगा.....कुछ पैतृक जमीन थी....राजेश के पिता से साइन करवा कर चुपके से सलटा दी ताऊ ने..इन्हें धेला न दिया.......राजेश की माँ कहती भगवान कहाँ हैं होते तो हमारे साथ ऐसा थोड़े न होता...ताऊ और उसके बेटे राजेश को चिढ़ाते जब भी वो मेरे पास पढ़ने के लिए यहाँ आता....कहते अरे लोग तो पढ़ने के लिए शहर जाते हैं तू पहला और अकेला है जो गाँव वाले के पास जा रहा है...कुछ नही रखा उसके पास ...कुछ काम धाम कर ले...तेरे बावले बाप का सहारा बन... बुरा लगता राजेश को पर वो चुप रहता

 अब सुनो......ताऊ के चार बेटे...रईस बाप की बिगड़ी औलादे टाइप....सबसे बड़े को मेडिकल एजेंसी करवा दी ताऊ ने.....पर बिना मेहनत कोई कामयाब हुआ है जो ये होते...अच्छा खास घाटा देकर वापस घर पर बैठ गए.... टाउन ने रेडीमेड शॉप करवा दी...जैसा की अपेक्षित था ..सुपर्ब घाटा रिपीट हुआ......बड़े भैया की पत्नी को बी एड करवा दिया की ये कहीं लग जाएगी तो इसकी ग्रहस्थी चल जाएगी....पैसे तो खर्च हुए पर डिग्री कोई काम न आई ..भाभी जी को केंसर हो गया...2 महीने में ही चल बसे... एक दिन अचानक से पता लगा बड़े भैया की दोनों किडनियां डैमेज हैं.......हर हफ्ते डायलेसिस होता....खर्च होता...किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की क्वायद बनते बनते ही बड़े भैया अपने 3 बच्चे ताऊ जी को सौंप ऊपर सिधार गए ......ताऊ जी के दूसरे लड़के दिमाग से पैदल थे...कुछ आता जाता था नही इसलिए एक्यूप्रेशर के नाम से टाइम पास करने लगे , तीसरे भाई को मॉडल बनने शौंक सवार हुआ....मुम्बई जाकर फोटो वीडियो और पोर्टफोलियो के चक्कर में अच्छा खासा चुना ताऊ को लगा डाला......सिर्फ तस्वीर अच्छी होने से काम थोड़े न चलता है .होना कुछ था नहीं...हुआ भी नही......फिर एक दिन बोले लव मैरिज करुँगा.... ताऊजी को भोत बुरा लगा पर कर दी शादी भी....कोई कमाई न हो तो कुबेर का खजाना भी खत्म हो जाता है....ताऊ के साथ भी कुछ वैसा ही हो रहा था.... एक दिन मॉडल भाई साहब सुबह टॉयलेट गए तो धड़ाम से गिर गए भीतर ही....न जाने कैसे........सर फट गया..अचेत हो गये ....न्यूरो सर्जरी पर लगभग 2 लाख का खर्च आया था उस वक्त.....खोपड़ी की एक हड्डी निकालनी पड़ी सयो अलग...चेहरा अजीब सा हो गया .....3 महीने हॉस्पिटल में पड़े रहे.....और तुम यकीन न करोगे...जिस दिन उन्हें घर वापस ले कर आए उसके अगले ही दिन उनके उसी प्रकार टॉयलेट में गिरने की घटना फिर से रिपीट हुई........दोबारा वही सब हुआ...फिर से खर्चा, टेंशन और तकलीफ..और इस बार तो जान भी बड़ी मुश्किल से बची........कुबेर महाराज की आर्थिक हालत वाकई बहुत खराब हो चुकी थी ...कर्ज हो गया.......छोटे भैया...ने वकालत कर ली थी...ताऊ ने उनकी शादी एक सरकारी अध्यापिका से करवा दी...चलो उसकी तनख्वाह से ही कुछ मदद मिलेगी...पर छोटे भैया जल्दी ही अलग हो गए ताऊ को अकेला छोड़ कर अपनी दुनिया अलग बसा ली ..... .. कर्जदारों की तकाजे की जिल्लत झेलते हुए आज ताऊ जी की पेंशन तो आती है पर घर का खर्च न जाने कैसे चला रहे हैं . राजेश जिसे वो सब चिढ़ाया करते थे आज वन विभाग में एक सम्मानित पद पर पदस्थ है....जब भी ताऊ जी मुझसे मिलते हैं तो आशीर्वाद के बाद ये कहना नहीं भूलते कि तुम्हारी संगत ने राजेशिये को आदमी बना दिया ....मैंने देखा है आज भी राजेश अपने ताऊ जी की मदद करने से नहीं चुकता....तो बेअंत पराजी ...क्या समझे....मोरल औफ द स्टोरी यही है की जो हम करते हैं वही लौट कर हमारे पास भी वापस जरूर आता है...मुझे नहीं लगता की मैं किसी को कुछ नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच भी सकता हूँ और मुझे ये भी नही लगता की कोई मुझे नुकसान पहुंचा सकता है... तुम भी नही.....हेहेहे ऊपर देखकर कहता उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती पापे...... बेअंत प्रश्न सूचक आँखों से मेरी और देखता फिर हंस देता... कहता भाईजी आप तो किताबी गलां करते हो.... फिर धीरे धीरे अपने काम में लग जाता 😊

 आज बेअंत नहीं है तो मन में बहुत से विचार आ रहे हैं ...बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न.....बहुत सारे क्यों ,बहुत से  कैसे.?.... मन को समझा लेता हूँ शायद बेअंत ने को दिया उधार हमारा नहीं हम पर उसका उधार रहा होगा........ईश्वर से उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहा हूँ....

#जयश्रीकृष्ण

©अरुण

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🎪🎪🎪🎪 तिरुशनार्थी ♠️♠️♠️♠️

एक बार एग्जाम के लिए तिरुपति गया था। घरवाले बोले जा ही रहे हो तो लगे हाथ बालाजी से भी मिल आना। मुझे भी लगा कि विचार बुरा नहीं है। रास्ते म...