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बेअंत मिस्त्री नहीं रहा...पापा ने घर आकर जब कहा तो सब चौंक गए, अच्छा भला था ...कुरता पाजामा पहने सर पर स्थायी रूप से गमछा बांधे, अधपके बालो वाले शख्स की तस्वीर झट से सबकी आँखों में तैर गई, उम्र भी ज्यादा नहीं थी यही कोई 45-50 के बीच होगी .... घर में जब भी कुछ नया निर्माण करवाना हो या कुछ मरम्मत करवानी हो उसी को याद करते थे, काम थोड़ा धीरे करता था पर बहुत सफाई से करता था, माँ से कुछ पैसे उधार ले रखे थे उसने ...बहुत बार मुझे याद दिलाती , अरे तुम्हारे स्कूल के पास ही तो है उसका घर आ जाओ तो उससे पैसे ले के आना.....मैं ठहरा हद दर्जे का आलसी रोज भूल जाता.... आज पापा गए थे पता लगा महीना भर हुआ हर्ट अटैक से बेअंत को दूसरी दुनिया में कुछ किए हुए, सुना तो किसी को भी अच्छा नही लगा ..पैसों के डूबने की वजह से नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि कुछ ज्यादा ही हिला हुआ था हम सब से ...कुछ ही दिन पहले छत को पक्का करवाया था उसी के हाथों .....बहुत बातूनी था ..इधर उधर की कुछ न कुछ बोलता ही जाता..बातो में काम करना भूल जाता, मैं उसके साथ बैठ कर दार्शनिक हो जाता जब वो ये कहता की आप मुझे कभी टोकते क्यों नहीं...अगर मैं काम नही करता तो ? मैं कहता ...जब मैं 12 वीं में था तो एक किताबों की दुकान पर काम करने के लिए लगा था छुट्टियों में 1000 रुपए महीना की तनख्वाह पर, लालच में आकर एक दिन उस दुकान से कुछ पेन चुरा लिए...यकीन मानों मेरा ही जी जानता है कि उस चोरी के अपराध का दंड मैंने बहुत प्रकार से भुगता, जब भी कभी एक आध नम्बर से प्रतियोगी परीक्षा में चयन से वंचित रहा..हर बार उस चोरी की याद आती...ग्लानि से भरा बार बार खुद को कोसता....कोई माने या न माने सृष्टि की न्याय व्यवस्था बड़ी अद्भुत है....हमारा अपना कर्म ही किसी न किसी रूप में लौट कर फल रूप में हमारे पास वापस आता है..... वो कहता भाईजी आप तो किताबी बाते करते हो...पवन मोटा...अरे वोई सेठ सारे शहर को खा गया...उसका तो कभी कुछ नही बिगड़ा...मैं हंस देता.....कहता बड़ी सूक्ष्म व्यवस्था है बेअंत बाबू ...इतनी आसानी से सब हमारे पल्ले कहाँ पड़ती है....पर मैं तो यही मानता हूँ की मैं किसी का कुछ भी नुकसान करूँगा तो मेरा नुकसान होना तय है...... तुम वो राजेश को जानते हो न..? कौन वो चश्मे वाला मुंडा ? हाँ वही.....उसकी कहानी सुनो आँखिन देखी ...उसके पिता सेल्स टेक्स में थे ...भोले थे थोड़े...इतने भोले की साइकिल लेकर घर से जाते पर पैदल वापस आ जाते...कुछ याद न रहता....घर की मैं कमांड उसके ताऊ जी ने ले रखी थी अघोषित रूप से....ताऊ जी पेशकार थे कोर्ट में...अंधी कमाई...मने उस जमाने में भी रोज के 2 से 3 हजार ऊपर के पक्के.....राजेश के पापा जो कमाते बड़े भाई के हाथ में रख देते ...ताऊ जी के लड़के ऐश मारते...रुपया पानी की तरह बहाते... और राजेश की फॅमिली को सब कुछ होते हुए भी पेट को गांठ मार कर जीना पड़ता...आखिर सब अलग हो गए... ताऊ ने उसमे भी चालाकी की मकान का बंटवारा इस तरह से किया की राजेश के परिवार को मिला भाग ताऊ के भाग के 10 वें हिस्से की कीमत का भी न होगा.....कुछ पैतृक जमीन थी....राजेश के पिता से साइन करवा कर चुपके से सलटा दी ताऊ ने..इन्हें धेला न दिया.......राजेश की माँ कहती भगवान कहाँ हैं होते तो हमारे साथ ऐसा थोड़े न होता...ताऊ और उसके बेटे राजेश को चिढ़ाते जब भी वो मेरे पास पढ़ने के लिए यहाँ आता....कहते अरे लोग तो पढ़ने के लिए शहर जाते हैं तू पहला और अकेला है जो गाँव वाले के पास जा रहा है...कुछ नही रखा उसके पास ...कुछ काम धाम कर ले...तेरे बावले बाप का सहारा बन... बुरा लगता राजेश को पर वो चुप रहता
अब सुनो......ताऊ के चार बेटे...रईस बाप की बिगड़ी औलादे टाइप....सबसे बड़े को मेडिकल एजेंसी करवा दी ताऊ ने.....पर बिना मेहनत कोई कामयाब हुआ है जो ये होते...अच्छा खास घाटा देकर वापस घर पर बैठ गए.... टाउन ने रेडीमेड शॉप करवा दी...जैसा की अपेक्षित था ..सुपर्ब घाटा रिपीट हुआ......बड़े भैया की पत्नी को बी एड करवा दिया की ये कहीं लग जाएगी तो इसकी ग्रहस्थी चल जाएगी....पैसे तो खर्च हुए पर डिग्री कोई काम न आई ..भाभी जी को केंसर हो गया...2 महीने में ही चल बसे... एक दिन अचानक से पता लगा बड़े भैया की दोनों किडनियां डैमेज हैं.......हर हफ्ते डायलेसिस होता....खर्च होता...किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की क्वायद बनते बनते ही बड़े भैया अपने 3 बच्चे ताऊ जी को सौंप ऊपर सिधार गए ......ताऊ जी के दूसरे लड़के दिमाग से पैदल थे...कुछ आता जाता था नही इसलिए एक्यूप्रेशर के नाम से टाइम पास करने लगे , तीसरे भाई को मॉडल बनने शौंक सवार हुआ....मुम्बई जाकर फोटो वीडियो और पोर्टफोलियो के चक्कर में अच्छा खासा चुना ताऊ को लगा डाला......सिर्फ तस्वीर अच्छी होने से काम थोड़े न चलता है .होना कुछ था नहीं...हुआ भी नही......फिर एक दिन बोले लव मैरिज करुँगा.... ताऊजी को भोत बुरा लगा पर कर दी शादी भी....कोई कमाई न हो तो कुबेर का खजाना भी खत्म हो जाता है....ताऊ के साथ भी कुछ वैसा ही हो रहा था.... एक दिन मॉडल भाई साहब सुबह टॉयलेट गए तो धड़ाम से गिर गए भीतर ही....न जाने कैसे........सर फट गया..अचेत हो गये ....न्यूरो सर्जरी पर लगभग 2 लाख का खर्च आया था उस वक्त.....खोपड़ी की एक हड्डी निकालनी पड़ी सयो अलग...चेहरा अजीब सा हो गया .....3 महीने हॉस्पिटल में पड़े रहे.....और तुम यकीन न करोगे...जिस दिन उन्हें घर वापस ले कर आए उसके अगले ही दिन उनके उसी प्रकार टॉयलेट में गिरने की घटना फिर से रिपीट हुई........दोबारा वही सब हुआ...फिर से खर्चा, टेंशन और तकलीफ..और इस बार तो जान भी बड़ी मुश्किल से बची........कुबेर महाराज की आर्थिक हालत वाकई बहुत खराब हो चुकी थी ...कर्ज हो गया.......छोटे भैया...ने वकालत कर ली थी...ताऊ ने उनकी शादी एक सरकारी अध्यापिका से करवा दी...चलो उसकी तनख्वाह से ही कुछ मदद मिलेगी...पर छोटे भैया जल्दी ही अलग हो गए ताऊ को अकेला छोड़ कर अपनी दुनिया अलग बसा ली ..... .. कर्जदारों की तकाजे की जिल्लत झेलते हुए आज ताऊ जी की पेंशन तो आती है पर घर का खर्च न जाने कैसे चला रहे हैं . राजेश जिसे वो सब चिढ़ाया करते थे आज वन विभाग में एक सम्मानित पद पर पदस्थ है....जब भी ताऊ जी मुझसे मिलते हैं तो आशीर्वाद के बाद ये कहना नहीं भूलते कि तुम्हारी संगत ने राजेशिये को आदमी बना दिया ....मैंने देखा है आज भी राजेश अपने ताऊ जी की मदद करने से नहीं चुकता....तो बेअंत पराजी ...क्या समझे....मोरल औफ द स्टोरी यही है की जो हम करते हैं वही लौट कर हमारे पास भी वापस जरूर आता है...मुझे नहीं लगता की मैं किसी को कुछ नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच भी सकता हूँ और मुझे ये भी नही लगता की कोई मुझे नुकसान पहुंचा सकता है... तुम भी नही.....हेहेहे ऊपर देखकर कहता उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती पापे...... बेअंत प्रश्न सूचक आँखों से मेरी और देखता फिर हंस देता... कहता भाईजी आप तो किताबी गलां करते हो.... फिर धीरे धीरे अपने काम में लग जाता 😊
आज बेअंत नहीं है तो मन में बहुत से विचार आ रहे हैं ...बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न.....बहुत सारे क्यों ,बहुत से कैसे.?.... मन को समझा लेता हूँ शायद बेअंत ने को दिया उधार हमारा नहीं हम पर उसका उधार रहा होगा........ईश्वर से उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहा हूँ....
#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
rajpurohit-arun.blogspot.com
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