☪☪☪☪☪ ये कश्मीर है.... ♠♠♠♠♠


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कश्मीर का जिक्र आते ही मन में खूबसूरत वादियां , नदियाँ, झरने , पहाड़ , बगीचे....बड़ी खुशनुमा सी तस्वीर उभरती है, पर क्या इस नाम के साथ बस खूबसूरती ही जुडी है...? नहीं ..पूरा सच ये भी नहीं.... आइए थोड़ा कश्मीर मेरे साथ भी घूमिए.....जब मैं वहाँ बी एड करने गया था...तो स्वाभाविक रूप से बहुत से लोगो से बात भी हुई थी... जैसे  हमारे कॉलेज का हॉस्टल वार्डन जावेद...जो हमे ये बताता की आप लोग यहाँ मेहमान हो...मेहमानों की तरह ही रहना.... देशभक्ति मने भारत भक्ति अगर हो तब भी उसको भीतर दबा के रखना ...बाहर मत निकालना, ये कश्मीर है भारत नहीं.....!!!! ? चौंके न आप....अजी चौंकना छोड़िए...आगे देखिए....यूँ भी किसी बन्धन में रहना ज्यादा नही सुहाता...तो हम लोग कॉलेज के होस्टल में रहे ही नही.....बाहर एक पोर्शन रेंट पर ले लिया....हमारे पड़ोस में एक युसूफ अंकल रहते थे...डॉ थे...समथिंग लाइक कश्मीरी इंटेलेक्चुअल ... बहुत से लोगो की तरह उनसे भी बतियाते हम लोग.......हाँ उन युसूफ के अथाह ज्ञान की बदौलत हमने ये जाना कि कश्मीर तो कभी भारत का हिस्सा बना ही नही...कब्ज़ा किया है आपके हिंदुस्तान ने... हम हंसकर  पूछते...तो क्या अंकल आप पाकिस्तानी हो...? वो कहते नही...हम कश्मीरी हैं ..पड़ोस का एक और बाशिंदा मुजामिल ...अपने सपने में खुद को आज़ाद कश्मीर में पहुँचने की ख़ुशी हमसे साँझा कर के बताता....लगा जैसे मैं जन्नत पहुँच गया हूँ.....वुऊऊहुऊऊ .....वादिये कश्मीर तुझ पर जान कुर्बान...... हम असमंजस से पूछते आज़ाद कश्मीर कौनसा ? वो बताता अरे वही जिसे तुम लोगो की गवर्मेंट पीओके बोलती है...इंशा अल्लाह एक दिन हमारा कश्मीर एक होगा.....हम मासूमियत से कहते ..पर ये तो हम भी चाहते हैं.....वो गुस्से से डराता.. अरे हमारे और तुम्हारे चाहने में बड़ा फर्क है....कश्मीर एक होगा और तुम्हारे इंडिया और पाकिस्तान दोनों से अलहदा खुदमुख्त्यार मुलुक बनेगा.....देखना अगली बार जब आओगे तो पासपोर्ट लगेगा तुमको ......हाहाहा ..वो हंस देता तो हम भी मुस्कुरा लेते जबरन... .. जब कभी हुमैमा चौक राशन लेने जाते गुप्ता जी की दुकान से....तो अचानक ...कई दीवारों पर गहरे स्याह अक्षरो में पुते .."इंडिया गो बैक" के स्लोगन से माथा खराब हो जाता........मकान मालिक का बेटा खुर्शीद हो या उसका दोस्त उमर ..हमसे बहुत दोस्ताना व्यवहार करते पर ..जब भी  कुछ भी ऐसी चर्चा चलती तुरंत कश्मीरी बन जाते......और हम खुद को उनके विरोधी खेमे में खड़ा पाते ...इंडियन जो थे......... इतना तो तय है की कश्मीरी खुद को हिंदुस्तानी नहीं मानते...पर क्यों.... ? हमारी टी पी मने टीचिंग प्रेक्टिक्स के लिए हमको बडगाम के एक स्कूल में जाना पड़ा.... वहाँ के हेडमास्टर वाहिद मियाँ ने हमारा इंट्रो बच्चो से कराया...ये हिंदुस्तान से आये है.....!!!!? ओह तो यहाँ तक है इसकी जड़ें....? हर जुम्मे मने शुक्रवार को पड़ोस की जामा मस्जिद में स्पेशल नमाज होती.....अल्लाह हु अकबर के बाद ...मुल्ला जी माइक संभल लेते....फिर काश्मीरी भाषा में उनकी कर्कश और उत्तेजक वाणी में व्याख्यान होता, कुछ समझ में न आते हुए भी बहुत कुछ समझ आ जाता जब रोज हमसे हंस कर बात करने वाले कश्मीरी भी वहाँ से बाहर निकलते वक़्त जलती अंगारों सी आँखों से हमे घूरते .... उनकी आँखे अहसास कराती कि हिंदुस्तानी होना वहाँ सम्मान की बात नही .

 फैक्ट यही है कि अलगाववाद का भूसा लगातार आम कश्मीरी के मन में लगातार ठूसा गया है......स्कूल हों या कॉलेज...यही पढ़ाया गया है कि कैसे इंडिया ने कश्मीर पर कब्ज़ा किया है...... आज़ाद कश्मीर का कोई रोड मैप किसी के पास नहीं पर...आज़ादी के दिवास्वप्न के चलते हर मन को पृथक्कता के विष से सींचा गया है.....

 एक पत्रिका में एक आलेख पढ़ा था कहीं...पूरा तो याद नहीं पर मजमून कुछ यही था कि आज़ादी के बाद से कश्मीर पर इतना खर्च किया है भारत सरकार ने की अगर सच में वो ग्राउंड पर लगता तो वहां की सड़के भी सोने की होती. .... आर्टिकल 370 जानते होंगे आप भी....इस आर्टिकल के बोझ तले छोटी सी समस्या को नासूर बना दिया हमारे चचा ने.....6 साल की विशेष विधानसभा..जो अपने क्षेत्र में हमारी संसद से अधिक प्रभावी है.....अलग झंडा...अलग संविधान .....दोहरी नागरिकता ...विशेष नागरिक अधिकार......और भी न जाने क्या क्या.....जब उन्हें इतना अलग होने का लगातार अहसास कराया जाता रहा है तो क्या आश्चर्य अगर वहाँ के लोग खुद को हमसे अलग ही मान लें.

 अपनी ही सेना को आततायी मानने की उनकी प्रवृति नई नहीं हैं , बहुतों को देखा था सेना के खिलाफ ज़हर उगलते हुए, कल सुना की आतंक समर्थक 3 पत्थरबाज़ परलोक भेज दिए हमारी सेना ने...ये भी सुना की वो किसी आतँकनिरोधक कार्यवाही के विरोध में आतंकियों के पक्ष में सेना पर पत्थर बरसा कर अपनी विशिष्ट देशभक्ति का परिचय दे रहे थे.....आज जैसा की अलगाववादियों से अपेक्षित भी है कि उन तथाकथित मासूमों की याद में कश्मीर बन्द  का आयोजन हो रहा है.....जरा भी अचरज नही...  वो वही कर रहें हैं जो उनको करना है...इसलिए हम भी वही करें जो हमे करना चाहिए ...मत बहकिए अगर कोई मानवाधिकार की दुहाई देने वाला सेक्युलर किसी देशद्रोही के लिए घड़ियाली आंसू बहाए......मत बहकिए अगर कोई आपकी सेना को अत्याचारी सिद्ध करने की कोशिश करे, सेना बहुत नियंत्रित है पर वही कर रही है जो एक जिम्मेदार देश की सेना ऐसी परिस्थिति में किया करती है......कार्यवाही रुकनी नहीं चाहिए.... कश्मीर को जड़ से लेकर शिखर तक इलाज की जरूरत है...इलाज होने दीजिए.....सेना का मनोबल बढाइये....और वहाँ की सरकार का भी....क्योंकि वही एक जरिया है जो राष्ट्रवाद की शिक्षा का प्रसार काश्मीरी मन तक पहुँचाने में सहायक बन सकती है...

जय हिन्द

©अरुण

rajpurohit-arun.blogspot.com

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