वो रोज मुझे मिल जाया करती थी कहीं न कहीं, कभी तब जब माँ मुझे बाजार से कुछ समान लिवाने भिजवाती तो कभी स्कूल से आते जाते, मुझसे 4-5 साल बड़ी ही होगी,पर जाने क्यों मुझे वो बहुत आकर्षक लगा करती, बहुत भोली बड़ी प्यारी मासूम सी, तब भी जबकि वो हमेशा एक ही फ्रॉक पहने रहती , मैली कुचैली सी , घने काले बिखरे बाल, मुझे देख कर मुस्कुरा देती मेरा मन होता की उसके पास चला जाऊँ पूछूँ कि वो अपने घर क्यों नहीं जाती? नहाती क्यों नहीं? अच्छे कपड़े क्यों नहीं पहनती ? क्यों अकेले में घूमती है ? क्या उसके घरवाले गुस्सा नहीं होते ? पर जब भी कोशिश सी करता तो कोई न कोई रोक देता,'अरे वो पगली है, काट लेगी, पत्थर मार देगी' . और वो ऐसा करती भी तो थी जब भी कोई उसे चिढ़ाता, उसके पीछे दौड़ पड़ती मारने को, पर मैं उसे चिढ़ाता थोड़े न हूँ जो मुझे मारेगी ..
एक रोज जब स्कूल से लौट रहा था तो देखा वो शिव पार्क के पास लंगड़ाती सी चली जा रही थी पैर पर जख्म हो रखे थे, चेहरे पर रोने क वजह से आंसुओं की गहरी स्याह लकीरें जमी थी, एक मेज पर बैठ फिर से रोने लगी, रोक नहीं पाया में खुद को उसके पास चले जाने से, मुझे डबडबाई आंखों से देखा फिर हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया , पूछा तुम्हारे पास खाना है ? मैंने कहा नहीं तो रुआंसी हो गई , उसे भूख लगी थी घर से दौड़ कर उसके लिए खाने को चार रोटी और अचार चुरा लाया चुपके से, वो टूट पड़ी खाने पर फटाफट रोटियां निगल गई बोली और नहीं है ? मैंने कहा नहीं इतनी ही थी बाद में और ला दूंगा. उसने प्यार से मेरे सर पर हाथ रख दिया, बोली..... भैया... सहसा उसकी आंखों के आंसुओं के कुछ कतरे मेरी आंखों में भी उतर आये थे.
माँ मुझसे बहुत खुश थी, राजा बेटा रोज टिफ़िन खत्म कर के लाता है, और अब तो ज्यादा खाना ले जाता है, मैं रोज उसे खिला आता, वो मुझसे बात करती बताती की उसका भी घर है ....बहुत दूर दूर........., माँ है....... पापा है .....बहुत सारी बहने हैं.....सब काम करते हैं...... पापा भी...., माँ भी....., बहने भी......., सब बहुत अच्छे हैं...... बस कभी कभी मारते थे, वो तो मैं थोड़ी भोली हूँ ना ........तो पापा डॉ के पास गए हैं दवाई लेने .......वो आएंगे .......आते ही होंगे .....आने वाले हैं.....वो बोलती चली जाती रोजाना...पर कभी कोई लेने नहीं आया ,उसके पैर पर चोट कैसे लगी पूछा तो बोली...वो टकला है ना ...मैं उसे मार दूंगी तुम देखना .... डबल रोटी उठाई थी.....मुझे मारा........तुम भी मारना....भैया...और मेरा मन सच में उस टकले का खून करने का हो जाता....पर वो बहुत बड़ा है...मेरे पापा जितना बड़ा......तो क्या हुआ...किसी दिन पत्थर से सर फोड़ दूंगा मैं भी.
एक दिन रोजाना की तरह पार्क में आया तो देखा सोनी, हाँ यही तो नाम बताया था उसने अपना, सोनी वहां कहीं नहीं थी, किसी ने बताया की सोसाइटी वालों ने भगा दिया उसे, उनके बच्चे डर जाते हैं उससे, बहुत दिन तक बहुत जगह ढूंढा आखिर बस स्टैंड के पास सोनी मिली...मुझे देख कर रोने लगी...मुझसे लिपट गई....कुछ लोग आए दौड़ कर...अरे रे बच्चे को मार देगी ये....... सहसा चिल्ला उठा मैं... हट जाओ.......दूर हो जाइए आप लोग....वो मेरी बहन है.
"अच्छा तेरी बहन है तो तेरे बाप को बोल की घर ले के जाए इसको, कहाँ कहाँ मुं मारती फिरती है ...हुँह..'
'कल तेरी बहन को कुछ दारूखोर उठा कर ले गए थे, घर पर रखो इसे'
कई आवाजे आई भीड़ में से, पर फिर सब चले गए , पीछे बस रोते हुए सोनी और मैं बचे थे
*****
मुझे पापा से बहुत डर लगता है, वो बहुत गुस्सैल हैं, आज पक्का पापा को बोल दूंगा कि पापा मैं कभी और कुछ भी नहीं मांगूगा,पॉकेट मनी भी नहीं, कभी घूमने ले जाने को नहीं कहूँगा, आपकी सब बाते मानूँगा, खूब मन लगा कर पढूंगा कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा बस आप मेरी बहन को ले आओ , रोज सोचता हूँ की आज कह दूंगा पर कैसे कहूँ, उधर सोनी की तबियत भी खराब है जब देखो तब उल्टियां करती रहती है, उसे इलाज की जरूरत है,आखिर मां को बोल ही दिया....माँ मुझे मेरी बहन ला दो प्लीज....और रोने लगा....माँ ने चुप कराया... पापा के पास ले कर गई....बोली सुन लो अपने लाडले की बातें, रो रहा है, पता है क्यों, क्योंकि इसे इसकी बहन चाहिए, आप ला दो....पापा हंसने लगे...बोले '.हाँ बेटा ला देंगे बहुत जल्द ला देंगे, तुम रोओ मत, मेरा अच्छा बेटा......' मेरे पापा कितने अच्छे हैं ना , अब मेरी बहन यहां आ जाएगी फिर कोई चिंता नहीं हम खुशी खुशी साथ रहेंगे, खाना चुरा कर ले जाने की कोई जरूरत न रहेगी, कोई मेरी बहन को नहीं पिटेगा, कोई दारूबाज उसे हाथ नहीं लगाएगा, उसका इलाज अच्छे से हॉस्पिटल में होगा.
पर कितने दिन हो गए पापा उसे नहीं ले कर क्यों नहीं आते, सोनी की तबियत खराब होती जा रही है, उसका पेट भी खराब है फूलता जा रहा है,मैन बोला था उसे भी कि पापा तुम्हे हमारे घर ले चलेंगे, वो कितना खुश हो गई थी , वैसे पापा ले जाएं या में एक ही तो बात है ना, पापा भी खुश ही होंगे मुझे शाबासी देंगे, राजा बेटा अच्छा किया जो अपनी बहन को ले आया, फिर हम सब खुशी से रहेंगे. डोरबेल बजाई पर माँ दरवाजा खोलते ही चौंक गई, ये कौन है और तुम इसके साथ क्या कर रहे हो? 'यही तो मेरी बहन है माँ, पापा इसे ही तो लाने वाले थे देखो मैं ले आया, इसकी तबियत खराब है इसका इलाज करवाना है माँ' पर ये क्या माँ ने मुझे भीतर खींच सोनी को जोर से धक्का दे दिया बाहर, कई तमाचे मारे मुझको, 'किस कुलच्छनी को उठा लाया है, घर गंगाजल से धोकर साफ करना पड़ेगा, बेवकूफ, जाने किसका पाप उठाए घूम रही है,' सोनी बाहर खड़ी मुझे पिटता देख रही थी, उसकी आंखों में आँसू देख मैं भी रो पड़ा. शाम को पापा से शिकायत करूँगा सोचा था, पर मुझसे पहले मेरी ही शिकायत हो चुकी थी , पापा ने भी मारा मुझे, बोले आइंदा उस पागल के आसपास भी दिखे तो हड्डियाँ तोड़ दूंगा.
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आज मौका मिला है सोनी से मिलने का, ना जाने वो कैसी होगी, कितने महीनों गुजर गए पापा ने रोज स्कूल आने जाने के लिए वैन लगवा दी है उसी से आता जाता हूँ, खड़ूस है वो वैन वाला भी स्कूल पर ही उतारता है, आज मौका मिला तो निकल आया हूँ चुपके से , पर पार्क बस स्टैंड सब घूम लिया सोनी कहीं नहीं मिली, पता नहीं कहाँ चली गई, बेचारी उसकी तो तबियत भी खराब है , खाना भी कौन देता होगा, क्या पता वो टकले ने उसे फिर मारा हो, अगर मारा होगा तो इस बार मैं सर फोड़ दूंगा उसका चाहे कुछ भी हो जाए, उसी से पूछता हूँ जाकर.....हाँ.... लेक़िन ये कौन चला जा रहा...अरे ये तो वही है जो मुझे कह रहा था की अपनी बहन को घर ले जाओ, कहाँ कहाँ मुं मारती फिरती है..........अरे अंकल जी...सुनिए....सुनिए तो....हाँ आप...आपने मेरी बहन को कहीं देखा क्या ?
"कौन बहन? अच्छा तुम तो उस पगली के भाई हो न....अब आए हो बहन को ढूंढने, घर क्यों नहीं लेकर गए. वो वहाँ बस स्टैंड के पीछे की झाड़ियों में बच्चा जना था उसने, बच्चे को कुत्ते खा गए ,ले गए घसीट कर, छीन कर, वो भागती रही उसके पीछे फिर गिर गई और मर गई....खून बहुत बह गया था ना...."
'क्या....कहा....मर गई...? मुझसे बोला भी नहीं जा रहा...आँखों पर जोर नही चल रहा...अपने गाल भीगने से गीले गीले लग रहे हैं.'
अंकल बोले, 'अब क्यों रोते हो, दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं हैं, हमने उसका संस्कार करवा दिया था'
कुछ समझ नहीं आ रहा, किसे क्या कहूँ, लौट पड़ा उल्टे कदमों से, मन कर रहा है जोर से चिल्ला कर रो दूँ, कहूँ की "आई हेट यू माँ, आई हेट यू पापा"
#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
rajpurohit-arun.blogspot.com
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