🏃🏃💃🏃🏃 चौने पार ♠️♠️♠️♠️♠️

समय सुबह के 3 बज कर छियालीस मिनट, बिल्कुल एग्जेक्ट बता रहा हूँ उठते ही हमेशा की तरह फोन जो देखा था। सोचा पौने 4 वाली पौनाई चल रही क्या इस वक़्त उठकर जॉगिंग करने से कोई लाभ भी होगा? नहीं शुभ काम अशुभ समय पर करना सही नहीं होगा, इसलिए कुछ देर 'जियो' नेटवर्क का सदुपयोग किया। ठीक 4 बजकर 3 मिनट छियालिस सेकंड पर घर से बाहर कदम रखा, हाँ जी फिर से टाइम देखा था, छियालिस देखकर एकबारगी कदम ठिठके जरूर पर फिर सोचा इतनी माइनर चीजों को ऊपर भी कहाँ नोटिस करते होंगे, यूँ की कानों में इयरफोन ठुसे हम भी चल पड़े।

अंधेरा ही है, गली के बेनाम झबरे कुत्ते ने मुझे अनजान समझ कर भोंकने की गुस्ताखी की पर फिर मेरे ईंट फेंक कर मारते ही तुरंत पहचान लिया , अरे सर आप हैं क्या, सच्ची बेचारा जाते जाते बहुत बार सॉरी भी बोल कर गया। गली में पड़ी लकड़ी का टुकड़ा उठा लिया, क्या पता फिर से कोई अनजान मिल जाए और ईंट न मिले, रिक्स नहीं लेना चाहिए , यूँ की काम आएगा यू नो। 'घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही, रस्ते में है उसका घर' कानों में बज रहे गाने ने अचानक मेरा ध्यान खींचा, चलते चलते गली में बंद दरवाज़ों को देखता आगे बढ़ता जाता हूँ। वो भी सो रही होगी कहीं, 'मासूम चेहरा नीची निगाहें, भोली सी लड़की, भोली अदाएँ'' आए हाए क्या बात है, यूँ की मजा आ गया बात का। उसके ख्यालों के साथ सड़क तक आ गया, आहो जी, जॉगिंग करने लायक पार्क ही नहीं है यहाँ, खैर जॉगिंग शुरू करते हैं।

कुछ कदम दौड़ते ही सांस फूलने लगी है, 'ये कौनसा मोड़ है उम्र का' कान में गाना बजा, भक्क बन्द कर दिया तुरन्त। ना ना ना गाने की वजह से गाना बन्द नहीं किया, दरअसल सामने कुछ कदम की दूरी पर एक ज्ञात यौवना मुग्धा नायिका इसी तरह कानों पर वायरलेस इयरफोन लगाए धीमे धीमे दौड़ लगा रही। देखा शुभ समय का शुभ प्रभाव? अगर पौनाई पर निकलता तो ये नहीं बस वो डेढ़ पसली अखबार वाला ही मिलता, खैर कन्या की उपस्थिति ने अपना जादुई प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया, पेट अंदर सीना बाहर, मुझे मेरे बाई सेप्स भी रोज से ज्यादा मोटे लग रहे अचानक, सांस फूलना बन्द हो चुकी है, थोड़ा पसीना जरूर आ रहा पर वो तो तेज़ दौड़ने पर आता ही है। बलिए गाने में इतना मग्न होकर चल रही, कि उसने मेरे जैसे किसी प्राणी के संसार मे होने की सम्भावना पर भी विचार न किया होगा। सामने से एक प्यारा खूसट जोड़ा हल्के कदमों के साथ अपनी जॉगिंग खत्म कर के एक पुलिया पर बैठा सुस्ता रहा है, बलिए ने उन्हें नमस्ते अंकल, नमस्ते आंटी कहा, हाए वे रब्बा, मुझे पता था मेरी बलिए बहुत संस्कारी है, आई लव यू यार कहना चाहता था, पर जोर से नमस्ते अंकल, नमस्ते आंटी बोल दिया मैंने भी, प्यारे खूसट दम्पति ने भी प्यार से आशीर्वाद स्वरूप कुछ कहा शायद, पर मैंने वो नहीं सुना।

 बलिए ने पीछे मुड़ कर जो देखा था, फिर बिना कोई भाव चेहरे पर लाए चेहरा घुमा लिया। आइपॉड बन्द है पर न जाने कैसे गाना बजने लगा फ़िज़ाओं में, 'चेहरा क्या देखते हो, दिल मे उतर कर देखो ना, दिल में उतर कर देखो ना'। बलिए ने फिर से देखा, ऊप्स ज्यादा जोर से गा दिया क्या मैंने ? उसकी चाल में थोड़ी गति आ गई है, 'छम्मकछल्लो ओ ओ ओ ओ, जरा धीरे चल्लो, जरा धीरे चल्लो'। लगा कि अगर उसने ये भी सुन लिया तो बोलेगी, हप्प हप्प तुम भी कैसे कैसे गाने सुनते रहते हो। साँस फिर से फूलने लगी है पर कंट्रोल करने की भी कोशिश जारी है। अरे रुक जा न यार, इतना तेज क्यों भाग रही, कौनसा ओलंपिक में जाना है हम को? डेढ़ किमी के बाद बालिके को आखिर तरस आया, नहर के पास रुक गई, नाउ उसका एक्सरसाइज चालू आहे। मैं अभी पेट पकड़ कर हाँफ ही रहा हूँ, उसने पूछा, "आप पहली बार आए हैं जॉगिंग पर? आई मीन पहले कभी नहीं देखा आपको।"

"ज ज जी मैं वो, आ आज ही आ आया आ  हूँ" अपनी उखड़ती सांसो के साथ बड़ी मुश्किल से इतना ही बोल पाया।

"पानी पी लीजिए", नहर की और इशारा करते हुए उसने कहा। यूँ की बड़ी बेज्जती टाइप कुछ हो गया पर कोई न, जिंदा रहे तो इज्जत फिर कमा लेंगे। चुपचाप पानी पीकर बैठ गया, वो दनादन एक्सरसाइज पे एक्सरसाइज पेल रही थी, मेरा सीना थोड़ा अंदर चला गया और पेट भी कुछ बाहर आ गया, और तो और बायसेप्स भी पहले से काफी कम लग रहे थे।

"थोड़ा वार्मअप करके फिर जॉगिंग किया करें, इतनी सांस नहीं फूलेगी, कितने बजे उठते हैं आप ?" अचानक पूछ लिया उसने,  मेरे मुँह से बस ,"चौने पार" निकला।

वो खिलखिलाकर हँसने लगी, अपनी हड़बड़ाहट और बेवकूफी देखकर जो शर्मिंदगी हुई थी वो उसकी हँसी सुन कर हवा हो गई, मूर्खों की तरह मैं भी मुस्कुरा दिया, बोला 'वो मेरा मतलब पौने..' उसने हँसते हँसते हाथ से इशारा किया, 'मैं समझ गई, चौने पार का मतलब, ओके कल जब चौने पार बजे उठें तो जॉगिंग शुरू करने से पहले दस मिनट के लिए थोड़ा वार्म अप जरूर कर लीजिएगा।' हँसते हँसते उसने अपनी कमर पर बंधे कपड़े से माथा पोंछा कपड़ा और वापस मुड़ कर दौड़ लगा दी। अरे ये क्या, ये तो चीटिंग है ना, सरासर चीटिंग, सांस भी नहीं लेने दी। उसके पीछे पीछे दौड़ लगा दी मैंने भी पर चार कदम पर ही स्टेमिना जवाब देने लगा तो रुक गया, उसने जाते जाते पलट कर देखा, बोली 'अजी आराम से, कल चौने पार बजे उठना है कि नहीं?' हँसते हँसते दौड़ती हुई वो आंखों से ओझल होती चली गई।

मैं धीमे धीमे वापस कदम बढ़ाने लगा, बड़ी मिक्सअप सी फीलिंग आ रही। वैसे ये जॉगिंग इतनी मस्त होती है पता नहीं था, अब धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है आई मीन धीरे स्टेमिना बढाना है रोज इसके साथ आया करूँगा दौड़ लगाने, पर लड़की बेज्जती कर गई यार, लेकिन बात भी तो उसी ने की न, हो सकता है ये चौने पार कभी छोना बाबू वाले प्यार में ही बदल जाए। फिर से आइपॉड ऑन कर लिया। खूसट जोड़ा वहीं पुलिया पर बैठा है, मैंने अब की बार उन्हें ध्यान से देखा, सच्ची में दोनों बहुत प्यारे लग रहे थे। मुझे देख कर मुस्कुराए, तो मैं भी मुस्कुरा दिया। जब हम तुम भी खूसट हो जाएंगे तो इसी तरह घूमने आया करेंगे।

थोड़ी रोशनी फैलने लगी है, स्ट्रीट लाइट बन्द हैं, कुछ घरों के दरवाजे भी खुले हैं, 'कल सुबह देखा जो,बाल बनाती वो, खिड़की में आई नजर' मैं चलता जा रहा हूँ अपने घर की तरफ, पर अचानक नजर घूम कर उस दरवाजे पर रुक गई, हाँ ये तो वही है, मेरी बलिए 😍😍😍😍, पर ये बच्चा, हमारी शादी से पहले ? यूँ की पहले बोलना था नकी सन्तूर लगाती हो, सच्ची त्वचा से उम्र का पता ही नहीं चला। मुझे देखा तो हँसने लगी, बोली , 'बेटा तुम भी जल्दी उठना कल से ये अंकल तो चौने पार बजे उठ जाते हैं। 😂'

भक्क, इस दुनिया मे सच्चे प्यार की कद्र है ही नहीं, और जॉगिंग तो एकदम फालतू चीज है सच्ची, यूँ की कल से बंद ही है जी।

#जयश्रीकृष्ण

अरुण

Rajpurohit-arun.blogspot.com

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