माणी की शादी थी, माणी बोले तो जीजी की मोटकी और बेस्ट वाली दोस्त। तभी तो जीजी डाइरेक्ट लखनऊ से हियाँ आए थे अटेंडेंस लगाने, और कैसे नहीं आते चिठ्ठी पतरी के अलावा फोन पर धमकी देने की सारी कार्यवाही माणी ने कर डाली थी। यूँ तो क़ायदे से हमारा माणी को भी जीजी कहना बनता था पर सब उसके लिए यही नाम प्रयोग में लाते थे, यूँ की उसका हमसे भी छोटा भाई भी उसे 'माणी', 'माणो बिल्ली' जैसी संज्ञाओं से विभूषित करता था, तो हम भी माणी को माणी कहें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए, कभी कभी तो लगता कि माणी का दूल्हा भी उसे माणी या माणो बिल्ली ही कहेगा, बेस्ट लगता था पुकारने में। माणी को छोड़ मुद्दे की बात पर लौटते है, उसकी शादी, हाँ तो होने जा रही थी न भई। बनियों में एक खास बात होती है साफगोई और मैनेजमेंट, कुछ भी ऐसा जिससे चार पैसे बचने का जुगाड़ हो साफगोई से कह देने में कोई हर्ज नहीं रखते, राजू चाचा,फिल्म वाले नही माणी के अब्बा हुजूर, भी ठहरे ठेठ बनिए, ऊपर से पाक विस्थापित, एक एक चीज मैनेज कर डाली एडवांस में, कहाँ कब किस चीज पर कितना खर्च करना है सब तय था, उसी की एक कड़ी था, अपने होने वाले समधी से मिलकर प्रीतिभोज का संयुक्त आयोजन, खर्चा फिफ्टी फिफ्टी। ये मेरे या मेरे जैसे कइयों के लिए नया प्रयोग था उस समय में, वरना शादी के नाम पर फिजूल खर्ची ही देखते आए हम तो। मस्त आईडिया है न, तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय, न तुम हारे न हम हारे 😊, खैर जब इन्विटेशन में पढ़ा तो पता लगा, शादी के लिए होने वाली पार्टी मने खाना पीना गंगानगर में किसी 'मिलन मैरिज पैलेस' नामक स्थान पर होगा। पहली बार ये शब्द सुना , मैरिज के लिए कोई पैलेस भी होता होगा सोचा तक न था वरना अब तक तो जो शादियाँ देखी थीं उनमे तो गाँव के स्कूलों में और शहर की धर्मशाला में ही ठुसमठासी महायज्ञ का आयोजन होते देखा था। पर ये क्या होता है कैसा होता है इस बात पर ज्यादा मग्गज खपाई नहीं की, न तो इतना फालतू दिमाग ही है अपना ऐसी फालतू बातों पर विचार करने के लिए वैसे भी ऐसी कोई मग्गज खपाई वाली उम्र भी नहीं थी तब हमारी, 9 वीं में थे, समझ लो मूँछ की कोपलों ने उगने का विचार ही किया था बस, ढंग से उगी नहीं थी। लगभग पूरा मोहल्ला इंवाइटेड था, यहाँ तक की छोटे छोटे बच्चे भी जाने वाले थे, तो हम जैसे बूढ़े बच्चे कैसे पीछे रह जाते,माँ ने कहा तेरी दीदी और जीजाजी जा रहे है न , पूरा घर थोड़े न रवाना हो लेता है शादी का नाम सुनकर, पर कुछ भी हो, जैसे भी हो हमको भी जाना ही था, हम ही क्यूँ क़ुरबानी दें, तो स्कूल ड्रेस के अलावा जो इकलौती एक्स्ट्रा पार्टी वियर येल्लो चेक बुर्शट और भूरी पेंट वाली ड्रेस थी उसको अनीता आंटी के घर से प्रेस लाकर चकाचक तैयार कर चुके थे। शाम को जब जीजाजी और दीदी तैयार हो रहे थे तो हम भी पेंट में बुशर्ट ठूस कर खड़े हो गए, कुछ बचा भी रहा हो तो दी के पर्स से फेयर एंड लवली और जीजाजी का परफ्यूम रगड़ कर बाकि कमी भी पूरी कर ली। बारात बस से जाने वाली थी, जी बिलकुल गंगानगर 30 किमी पड़ता है इधर से तो, सब मेहमानों के लिए बस का इंतज़ाम किया हुआ था, जब शाम को बस में जीजाजी सवार हुए तो 3x2 बस में 3 वाली सीट पर खिड़की वाली सीट पर हमें ढिठाई से उनका इंतजार करते पाया, क्या करते, ले जाना ही पड़ा।
शाम को करीब 7 बजे सब वहां पहुँच गए, "मैरिज पैलेस" वाकई किसी महल से कम नहीं था, दरव्जे पे दोनों और 2 अधपकी खड़ूस युवतियाँ सफेदी पोते चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ आगन्तुकों पर इत्र जैसा कुछ छिड़क रही थी। पहली बार ऐसा ताम झाम देख रहे थे, युवतियां भले ही खुबसूरत नही थी पर सुहावनी लग रही थी, सो इत्र का फव्वारा पड़ते ही " हम आपके हैं कौन " की निशा की तरह मन ही मन "अहा" बजाते हम आगे बढ़ गए। लम्बा चौड़ा शामियाना जिसमे ढेर सारी सफेद और लाल कुर्सियों की कतारें हमारे स्वागत में बिछी थी। एक वेटर आया कोल्ड ड्रिंक की ट्रे सज़ा कर, मुझसे बड़े प्यार और अदब से बोला,' लीजिए सर', सर सुनते ही दिल धिन चक धिंचक कर उठा, धीरे होले बहुत चुपके से एक गिलास जो किनारे तक भरा हुआ था उठा लिया और वेटर की और देखा, वेटर की आँखे कह रही थी, 'वाह सर वाह, आप तो महान हो, निहाल कर दिया आपने तो'। फिर एक और आया पनीर के भुने टुकड़े लिए जिनमे छोटी छोटी तीलियाँ लगी थी साथ ही सॉस भी था, पेंट की जेब में नेपकिन लटकाए आकर सामने खड़ा हो गया। उसे क्या पता की हम नेपकिन पहली बार देख रहे है, उसकी जेब में लटकते नेपकिन से बिना उन्हें बाहर निकाले ही हाथ पोंछ डाले। 4 तीली विद पनीर उठा कर कहा अब तुम जाओ सॉस नहीं मांगता अपन को। वेटर को पता नही कैसा लगा होगा पर वो बस मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। दीदी एंड जीजाजी मैरिज पैलेस के किसी अदर पार्ट में जिधर एक्चुअल शादी की रस्मे हो रही थी वहाँ गये थे पर अपना मन तो पूरी तरह इधर ही रमा हुआ था। सब कुछ तो है इधर खाना एंड गाना एंड भीड़ एंड भड़का। गाने से याद आया जब हमने मारी एंट्रीयाँ तो घण्टियाँ कहीं नहीं बजी पर सामने के स्टेज पर एक आर्केस्ट्रा जिसमे एक बैंड अपना बाज़ा बजाने को तैयार नज़र आया। कुछ देर तक वे सिर्फ इंस्ट्रूमेंट बजाते रहे, एंड लेट मी टेल यू देट मोगैम्बो खुश हुआ रियली। मज़ा आ रहा था, फिर एक लंबे बालों वाला आया और माइक संभाल लिया, वन टू थ्री फ़ॉर राँझा मियाँ छडो यारी चंगी नाईयो इश्क बीमारी, गाने लगा। भगवान भला करे उसका जिसने गाना बदलने को बोला, आवाज़ बुरी नहीं थी पर एकदम से जो धमधम होने लगी किसी को भी नही अच्छी लगी। हल्के हल्के इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक के साथ लम्बे बालों वाला 'गुलाबी आँखे जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया', इधर ये गाना शुरू हुआ उधर वो आई, वो कौन ? क्या बताऊँ, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, मैं लुट गया मान के दिल का कहा मैं कहीं का ना रहा, बिलकुल दूध सी सफेद, रुई सी कोमल, स्काई ब्लू रंग की केप्री और झक सफेद टॉप पहने वो पैलेस में प्रविष्ठ हुई, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, दिल में मेरे, ख्वाब तेरे, तस्वीरे जैसे दीवार पे, वो अपनी 2 सहेलियों के साथ थी, माँ कसम उन दोनों में से किसी की तरफ एक नज़र उठा कर नहीं देखा माँ बदौलत ने, वो तीनो आईं और मुझसे पीछे वाली 1 कतार छोड़ तीसरी कतार में कुर्सियों पर विराजमान हो गई। मेरी नज़र वाकई चिपक गई थी उससे, इसीलिए जब से वो भीतर दाखिल हुई तब से कुर्सी पर तशरीफ़ रखने तक हर दिशा में उसके साथ ही घूमती चली गई और अब पूरा 180° घूम कर ढिठाई, बेशर्मी एंड प्यार से उसे निहार रही थी। ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, गाना लगातार चल रहा था, हालाँकि उसकी आँखे काली थी पर, हुआ ये जादू तेरी आँखों का, ये मेरा कातिल हो गया, संभालो मुझको ओ मेरे यारों, सम्भलना मुश्किल हो गया। आखिर , फाइनली लम्बे इंतज़ार के बाद ही सही पर कृपा हुई, उसने भी देखा, गाना चेंज, "तुमने मुझको देखा, मैंने तुमको देखा ऐसे, हम तुम सनम, सातों जन्म, मिलते रहे हो जैसे", गाना पूरा नहीं हुआ पर उसने नज़रें घुमा ली। मैं चाहे जितना मर्जी लोगों से कहता फिरूँ की मैं देखने की चीज हूँ आहाँ, पर सच्चाई वही थी जो अब सामने आ रही थी, ऐसा कुछ खास नहीं है इस थोबड़े में, मुँह उतर गया, पर " हम तेरे बिन कहीं रह नहीं पाते, तुम नहीं आते तो हम मर जाते" , नज़र अब भी उसी की और थी बिना ये विचार किए की पैलेस में और लोग भी हैं न जाने वो क्या क्या सोच रहे होंगे। अचानक नज़रे उठी फिर से मिली, दिल की कलियां खिल गई, अटलीस्ट फ्रॉम माय साइड, उसने हैरानी से मुझे देखा, ये पागल तो नहीं, ऐसे क्यों देख रहा है, अपनी सहेली से आइस क्रीम चेपते चेपते मेरी और इशारा कर कुछ कहा। सबने देखा फिर हंस दी। वो भुने पनीर वाला वेटर आया और लड़कियों के सामने खड़ा हो गया, नेटवर्क प्रॉब्लम, उफ्फ्फ , अरे भाई ऐसे भी कोई करता है क्या, तेरे 4 टुकड़े के पैसे ले लियो पर गुरु सामने से हट जा, तुझे खुदा का वास्ता। पर गरीब की कोई कब सुनता है वो खड़ा रहा तब तक जब तक उन्हें सर्व न कर दिया, मेरे वाली की सहेली ने एक नेपकिन धीरे से निकाला खोला फिर उस पर आहिस्ता आहिस्ता 2-2 तीलियाँ सबके हिस्से की उठाई उस पर आराम से सॉस डाला, अब क्या नहलाओगी इनको मन ही मन मैंने कहा। वेटर के जाते ही वो आराम से अपने खाने में मशगूल हो गई। तो हेल्लो हेल्लो माइक चेक, ऐसे थोड़े न होता है, ओ हेल्लो इधर इधर, देखो न यार प्लीज। अचानक खाते खाते उसकी नज़र फिर से उठी,और वो हँस दी, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, जरा सा हंस के जो तूने देखा मैं तेरा बिस्मिल हो गया, गुलाबी आँखे जो तेरी देखी.... शरआबी ये दिल हो गया, वो उठी फिर उसकी सहेलियाँ भी उठी और उठकर चल दी, इधर उधर के भ्रमण के लिए, अरे तो मैं बैठा क्या कर रहा हूँ, हियर आई कम बेबे, उठने को हुआ की अचानक जीजाजी का हाथ कंधे पे, क्या हो रहा है? " अ आ कु कुछ नही जीजाजी", कैसे बताऊँ की जीजाजी प्यार की कश्ती में, लहरों की मस्ती में, पवन के शोर शोर में, चले हम जोर जोर में, गगन से दूर, दूर से याद आया,अरे वो चली जाएगी, कहाँ है वो, आँखे उसे ढूंढ रही थी, जीजाजी बोले किसे देख रहे हो? मैंने कहा मैं अभी आया जीजाजी, पूरा पैलेस छान मारा पर वो कहीं नहीं मिली😢, कहीं वो चली तो नही गई ? नहींईईई, फिर दौड़ कर पैलेस के दरव्जे तक आया, देखा सच में वो जा रही थी मारुती ओमनी वेन पर सवार होकर, मुझे देखा तो फिर से मुस्कुराई, पर किसी ने भीतर से दरवाजा खींच कर बंद कर दिया। वैन चल दी, न जाने किस ओर, जाती हुई वैन का शीशा खुला एक सफेद हाथ बाय बाय करता सा लहरा रहा था।
#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
शाम को करीब 7 बजे सब वहां पहुँच गए, "मैरिज पैलेस" वाकई किसी महल से कम नहीं था, दरव्जे पे दोनों और 2 अधपकी खड़ूस युवतियाँ सफेदी पोते चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ आगन्तुकों पर इत्र जैसा कुछ छिड़क रही थी। पहली बार ऐसा ताम झाम देख रहे थे, युवतियां भले ही खुबसूरत नही थी पर सुहावनी लग रही थी, सो इत्र का फव्वारा पड़ते ही " हम आपके हैं कौन " की निशा की तरह मन ही मन "अहा" बजाते हम आगे बढ़ गए। लम्बा चौड़ा शामियाना जिसमे ढेर सारी सफेद और लाल कुर्सियों की कतारें हमारे स्वागत में बिछी थी। एक वेटर आया कोल्ड ड्रिंक की ट्रे सज़ा कर, मुझसे बड़े प्यार और अदब से बोला,' लीजिए सर', सर सुनते ही दिल धिन चक धिंचक कर उठा, धीरे होले बहुत चुपके से एक गिलास जो किनारे तक भरा हुआ था उठा लिया और वेटर की और देखा, वेटर की आँखे कह रही थी, 'वाह सर वाह, आप तो महान हो, निहाल कर दिया आपने तो'। फिर एक और आया पनीर के भुने टुकड़े लिए जिनमे छोटी छोटी तीलियाँ लगी थी साथ ही सॉस भी था, पेंट की जेब में नेपकिन लटकाए आकर सामने खड़ा हो गया। उसे क्या पता की हम नेपकिन पहली बार देख रहे है, उसकी जेब में लटकते नेपकिन से बिना उन्हें बाहर निकाले ही हाथ पोंछ डाले। 4 तीली विद पनीर उठा कर कहा अब तुम जाओ सॉस नहीं मांगता अपन को। वेटर को पता नही कैसा लगा होगा पर वो बस मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। दीदी एंड जीजाजी मैरिज पैलेस के किसी अदर पार्ट में जिधर एक्चुअल शादी की रस्मे हो रही थी वहाँ गये थे पर अपना मन तो पूरी तरह इधर ही रमा हुआ था। सब कुछ तो है इधर खाना एंड गाना एंड भीड़ एंड भड़का। गाने से याद आया जब हमने मारी एंट्रीयाँ तो घण्टियाँ कहीं नहीं बजी पर सामने के स्टेज पर एक आर्केस्ट्रा जिसमे एक बैंड अपना बाज़ा बजाने को तैयार नज़र आया। कुछ देर तक वे सिर्फ इंस्ट्रूमेंट बजाते रहे, एंड लेट मी टेल यू देट मोगैम्बो खुश हुआ रियली। मज़ा आ रहा था, फिर एक लंबे बालों वाला आया और माइक संभाल लिया, वन टू थ्री फ़ॉर राँझा मियाँ छडो यारी चंगी नाईयो इश्क बीमारी, गाने लगा। भगवान भला करे उसका जिसने गाना बदलने को बोला, आवाज़ बुरी नहीं थी पर एकदम से जो धमधम होने लगी किसी को भी नही अच्छी लगी। हल्के हल्के इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक के साथ लम्बे बालों वाला 'गुलाबी आँखे जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया', इधर ये गाना शुरू हुआ उधर वो आई, वो कौन ? क्या बताऊँ, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, मैं लुट गया मान के दिल का कहा मैं कहीं का ना रहा, बिलकुल दूध सी सफेद, रुई सी कोमल, स्काई ब्लू रंग की केप्री और झक सफेद टॉप पहने वो पैलेस में प्रविष्ठ हुई, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, दिल में मेरे, ख्वाब तेरे, तस्वीरे जैसे दीवार पे, वो अपनी 2 सहेलियों के साथ थी, माँ कसम उन दोनों में से किसी की तरफ एक नज़र उठा कर नहीं देखा माँ बदौलत ने, वो तीनो आईं और मुझसे पीछे वाली 1 कतार छोड़ तीसरी कतार में कुर्सियों पर विराजमान हो गई। मेरी नज़र वाकई चिपक गई थी उससे, इसीलिए जब से वो भीतर दाखिल हुई तब से कुर्सी पर तशरीफ़ रखने तक हर दिशा में उसके साथ ही घूमती चली गई और अब पूरा 180° घूम कर ढिठाई, बेशर्मी एंड प्यार से उसे निहार रही थी। ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, गाना लगातार चल रहा था, हालाँकि उसकी आँखे काली थी पर, हुआ ये जादू तेरी आँखों का, ये मेरा कातिल हो गया, संभालो मुझको ओ मेरे यारों, सम्भलना मुश्किल हो गया। आखिर , फाइनली लम्बे इंतज़ार के बाद ही सही पर कृपा हुई, उसने भी देखा, गाना चेंज, "तुमने मुझको देखा, मैंने तुमको देखा ऐसे, हम तुम सनम, सातों जन्म, मिलते रहे हो जैसे", गाना पूरा नहीं हुआ पर उसने नज़रें घुमा ली। मैं चाहे जितना मर्जी लोगों से कहता फिरूँ की मैं देखने की चीज हूँ आहाँ, पर सच्चाई वही थी जो अब सामने आ रही थी, ऐसा कुछ खास नहीं है इस थोबड़े में, मुँह उतर गया, पर " हम तेरे बिन कहीं रह नहीं पाते, तुम नहीं आते तो हम मर जाते" , नज़र अब भी उसी की और थी बिना ये विचार किए की पैलेस में और लोग भी हैं न जाने वो क्या क्या सोच रहे होंगे। अचानक नज़रे उठी फिर से मिली, दिल की कलियां खिल गई, अटलीस्ट फ्रॉम माय साइड, उसने हैरानी से मुझे देखा, ये पागल तो नहीं, ऐसे क्यों देख रहा है, अपनी सहेली से आइस क्रीम चेपते चेपते मेरी और इशारा कर कुछ कहा। सबने देखा फिर हंस दी। वो भुने पनीर वाला वेटर आया और लड़कियों के सामने खड़ा हो गया, नेटवर्क प्रॉब्लम, उफ्फ्फ , अरे भाई ऐसे भी कोई करता है क्या, तेरे 4 टुकड़े के पैसे ले लियो पर गुरु सामने से हट जा, तुझे खुदा का वास्ता। पर गरीब की कोई कब सुनता है वो खड़ा रहा तब तक जब तक उन्हें सर्व न कर दिया, मेरे वाली की सहेली ने एक नेपकिन धीरे से निकाला खोला फिर उस पर आहिस्ता आहिस्ता 2-2 तीलियाँ सबके हिस्से की उठाई उस पर आराम से सॉस डाला, अब क्या नहलाओगी इनको मन ही मन मैंने कहा। वेटर के जाते ही वो आराम से अपने खाने में मशगूल हो गई। तो हेल्लो हेल्लो माइक चेक, ऐसे थोड़े न होता है, ओ हेल्लो इधर इधर, देखो न यार प्लीज। अचानक खाते खाते उसकी नज़र फिर से उठी,और वो हँस दी, ल् ल् ल् ला, ला ल्ला ला ला ला ला, ला ल्ला ला ला ल्ला, जरा सा हंस के जो तूने देखा मैं तेरा बिस्मिल हो गया, गुलाबी आँखे जो तेरी देखी.... शरआबी ये दिल हो गया, वो उठी फिर उसकी सहेलियाँ भी उठी और उठकर चल दी, इधर उधर के भ्रमण के लिए, अरे तो मैं बैठा क्या कर रहा हूँ, हियर आई कम बेबे, उठने को हुआ की अचानक जीजाजी का हाथ कंधे पे, क्या हो रहा है? " अ आ कु कुछ नही जीजाजी", कैसे बताऊँ की जीजाजी प्यार की कश्ती में, लहरों की मस्ती में, पवन के शोर शोर में, चले हम जोर जोर में, गगन से दूर, दूर से याद आया,अरे वो चली जाएगी, कहाँ है वो, आँखे उसे ढूंढ रही थी, जीजाजी बोले किसे देख रहे हो? मैंने कहा मैं अभी आया जीजाजी, पूरा पैलेस छान मारा पर वो कहीं नहीं मिली😢, कहीं वो चली तो नही गई ? नहींईईई, फिर दौड़ कर पैलेस के दरव्जे तक आया, देखा सच में वो जा रही थी मारुती ओमनी वेन पर सवार होकर, मुझे देखा तो फिर से मुस्कुराई, पर किसी ने भीतर से दरवाजा खींच कर बंद कर दिया। वैन चल दी, न जाने किस ओर, जाती हुई वैन का शीशा खुला एक सफेद हाथ बाय बाय करता सा लहरा रहा था।
#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
बेहतरीन
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