'दीवाना' मूवी के सभी गाने बहुत पसंद हैं मुझे, ओये नयी वाली नहीं रे, पुरानी वो ऋषि कपूर और दिव्या भारती वाली। वैसे उस मूवी में भी शाहरुख खान था पर तब तक मैं घनघोर टाइप राष्ट्रवादी नहीं बना था। सिर्फ इसीलिए नए वाली दीवाना बिल्कुल नहीं पसंद हमको, इवन गाने भी सुनना हो तो चुपके-चुपके ही सुनता हूँ और खुद गाने की चुल्ल लगे तो मुँह कम्बल में छुपा लेता हूँ। किसी को कुछ पता नहीं लगना चाहिए। आज तो बाइक से जाना हो रहा, मन हुआ कि एक बार के लिए मेरा राष्ट्रवाद किसी ओर की तरफ फेस कर ले तो मैं बाइक पर शाहरुख की तरह उछल उछल कर 'कोई न कोई चाहिए प्यार करने वाला' ही गा लूं। मस्त लगेगा न ? पर फिर लगा ये थोड़ा ओवर हो जाएगा। लोग मुझे पागल समझने लगेंगे। इसलिए शाहरुख को कस के तमाचा दिया, उधर ऋषि कपूर ने तुरन्त तान छेड़ दी। पायलिया हो हो हो, तेरी पायलिया हो हो हो। (अहा ये हुई न बात, बहोत सही काके, और जोर से गा।) और सच में अच्छे बच्चे की तरह ऋषि कपूर भीतर तेज़ आवाज़ में गाने लगा।
तेरी पायलिया शोर मचाये, नींद चुराए
होश उडाये, मुझको पास बुलाये, ओ रब्बा हो...
पायलिया से याद आया उस थिएटर का नाम भी तो पायल सिनेमा ही है जिधर मैं अभी जा रहा हूँ। यूँ तो मेरे पास टाइम वेस्ट करने का सबसे अच्छा साधन मोबाईल भी है पर सिनेमा की बड़ी स्क्रीन पर मूवी देखते हुए टाइम खराब करने का अपना अलग मजा है। पर मैं रोज मूवी देखने यहाँ नहीं जाता, हाँ कभी-कभी जाना अच्छा लगता है। इस बार वाला ये 'कभी' पूरे 6 साल बाद आया है। इतने सालों से कोई मूवी नहीं देखी। यही सोचता रहा कि अभी पैसे कमाने और जमा करने का वक़्त है, खर्च करने का नहीं, बुढ़ापे में ऐश करूँगा। आज अकाउंट में दीमक लगी देखकर सोचा ऐश करूँगा कैसे ? पैसा तो जमा हुआ नहीं और समय भी गंवाता जा रहा हूँ। यूँ की निकल आया जुगाड़ करके।
सड़क सबके बाप की है इसलिए यहाँ से निकलना दूभर लग रहा। एक हल्की सी चूक और कोई रेहड़ी वाला कानों में जोर से चिल्लाएगा, 'बीस रुपये किलो, बीस रुपये किलो...सस्ता कर दिया...ले जाओ ले जाओ...लूट लो...।' मेरा फोकस सामने और नजरें हमेशा की तरह लक्ष्य पर टिकी हैं। कोई मुझे इससे डिगा नहीं सकता। पर इस कमबख्त लेडीज परफ्यूम की बात ही कुछ और है हेलमेट की दीवारें पार कर नथुनों में घुस गया। ये किसी पल्सर के वश की बात नहीं, कोई एक्टिवा ही मुझे इतना एक्टिव बना सकती है। तुरंत उसके पीछे दौड़ लगा देना चाहता था पर आजकल की लड़कीज बहुत फास्ट होती पार्टनर, निकल गई। हाँ, उसकी खुशबू अब भी मेरे आसपास है। बहुत भीड़ है, थिएटर तक पहुंचने से पहले बहुत बार बाइक के ब्रेक जांचने पड़े। हर बार ब्रेक लगने पर एक उपेक्षित उड़ती सी नजर बींध डालती है। स्टोरी के हिसाब से ये हीरो का अपमान है पर क्या करें। आजकल सब गड़बड़झाला चल रहा। पर तब भी कहीं मन में आवाज़ उठी कि शायद हीरोइन की एंट्री से सब ठीक हो जाए।
थिएटर में पहुंचकर बाइक स्टैंड पर लगाई, हेलमेट वहीं बाइक पर अटकाने के अलावा उसी पर सुतली से कस कर बांध दिया। क्यों? क्योंकि मारवाड़ी अब भी रिस्क नहीं लेते। रेड एंड येलो चेक बुशर्ट (शर्ट का मारवाड़ी संस्करण) और ब्लू जींस में, मुँह घुमा कर एक लंबे बालों वाली लड़की खड़ी है। मैंने भी अपने बाल हवा में लहराने के लिए खोपड़ी को यहाँ वहाँ झटक कर हिलाया। पर हेलमेट की वजह से बाल चिपक गए हैं। नारियल तेल इज नॉट गुड इन सर्दी। साला चंपू लग रहा हूंगा, मन ही मन मैंने सोचा पर दूसरे ही पल ये विचार हवा हो गए। एक लड़की Hiiiii को जोर से चबा- चबाकर बोलती हुई इधर ही आ रही थी। आईला मतलब मैं चंपू नहीं हैंडसम टाइप कुछ लग रहा हूँ ? वाह। पर लड़की उड़कर आई और उस चेक बुशर्ट वाली लड़की के गले लग गई। यहाँ तक तो चलो मैं फिर भी बर्दाश्त कर लेता पर उसने आते ही एक चुम्मा भी चिपका दिया। दिल ही में सही पर कहना ही पड़ा, 'छी छी छी क्या जमाना आ गया है। इन्हीं के कारण देश तरक्की नहीं कर रहा। लड़की होकर दूसरी लड़की पर ऐसा हमला?' मैं कुछ और कहता इतने में चेक बुशर्ट वाली ने भी चुम्में के बदले चुम्मा चिपका दिया। आई मीन कि ये हो क्या रहा है ? आज तो जुम्मा भी नहीं है फिर ये चुम्मा दे, दे दे दे चुम्मा, क्यों खेला जा रहा ? अचानक बुशर्ट वाली ने सामने वाली लड़की के कमर में हाथ डाला और थिएटर की ओर चल 'दिया'। जाते हुए बुशर्ट वाली की दाढ़ी अब साफ दिख रही थी। कलयुग है भाई कुछ भी हो सकता है, कहकर मैंने अपना फोन निकाल लिया।
बुक माय शो, पर फ्री में दो टिकट बुक करवाई हैं। क्रेडिट कार्ड जिंदाबाद। मेरे पास नहीं है, पर जिसके पास है उसके पास वक़्त नहीं था। सो आई थॉट के मेरे समय के साथ मिलाकर उसकी इस ओपोर्चुनिटी को भी कैश करवा लिया जाय। 'वो' अभी आई नहीं है। उसने कहा था कि टाइम पर आ जाएगी, पर नहीं आई हमेशा की तरह। हर बार लेट आती है, लगता है बड़ी होकर नेता (नेत्री) बनेगी। ये इंतज़ार करने का ठेका हर बार बस मुझ ही को मिलता है। एक बोर्ड लगा है जिस पर मूवी के हाइलाइट्स की पिक्चर्स लगी हैं। कोई नहीं देख रहा, तो मैं पहुंच गया देखने, हाई शाबासे मस्त लग रही यार। बीच-बीच में गर्दन घुमा कर मेन एंट्री गेट को भी देख लेता हूँ। कुछ कन्याओं ने एंट्री ली है, सबके हाईलाइटर लगे अननेचुरल बाल बड़े प्यारे लग रहे, जिन्हें बार-बार झटक कर और हर 3 मिनट में संवारने का उद्यम कर और प्यारा बनाया जा रहा है। कपड़ों की डिटेलिंग दूंगा तो मेरी तरह आप भी मुझे कहोगे कि मैं इनको इतना गौर से क्यों देख रहा हूँ आखिर ? पर और देखूँ भी तो किसे ? जो भी आ रहा सीधे थिएटर में चला जाता है। कन्याएं भी हाथों में मोबाईल थामे कमर मटकाती हुई भीतर चली गईं। सबके पास बड़े से पर्स थे फिर भी मोबाईल हाथ में क्यों रखती हैं ? शायद कोई इम्पोर्टेन्ट कॉल आने वाला हो। पर तीनों का ? दुनिया बहुत तेज़ी से तरक्की कर रही है। उनके मोबाईल की सोच रहा तो अपना मोबाईल याद आया। जेब से बाहर निकालने लगा तो ढक्कन बाहर आ गया। टेप उतर गई शायद। बड़े धैर्य और जतन से बाकी मोबाईल को भी मना कर बाहर निकाला। बेचारे का पिछवाड़ा दिख रहा था, शर्म तो आएगी ही। देखा तो फोन चुप था, और इस चुप्पी में 'उसकी' आवाज़ भी दब गई। 5 मिनट पहले की 7 मिसकॉल थी। साइलेंट फोन में रिंगटोन नहीं बजी। फटाफट उसे कॉल लगाई , 'हेल्लो बच्चे...' बच्चे सुना तो उधर से वो फट पड़ी।
'कोई बच्चा वच्चा नहीं, जब कॉल रिसीव ही नहीं करते तो ये खटारा क्यों उठाए घूमते हो?'
कुछ नहीं कहा मैंने, एक्चुअली देयर वाज ए पॉइंट, वो सुनाने लगी और मैं सुनने लगा। थोड़ी रफ्तार कम हुई तो खिसिया कर पूछ ही लिया, कहाँ हो यार ?
'1 घण्टे से यहाँ गेट पर इंतजार कर रही हूँ, आधे घण्टे से कॉल कर रही हूँ तो उठा नहीं रहे। जाने वाली थी वापस, अगर तुम्हारा कॉल नहीं आता तो अब तक निकल गई होती।'
'चल झूटी'
'अच्छा, मतलब मैं झूठी हूँ?, मीन्स आई एम ए लायर ? ओके फाइन, आई एम गोइंग।' कहकर वो रोने लगी।
'अरे मजाक कर रहा था यार। यू नो ना आई लव यू'
'सब झूठ है। तुम झूठे हो, तुम्हारा प्यार भी झूठा है। मुझे परेशान करने के लिए ही बुलाया था न ? (पर मैंने कब बुलाया, ये सब तो तुम्हारी प्लानिंग थी न?) अब जा रही हूँ तो रोक भी नहीं रहे। तुम कितना बदल गए हो। मुझे बिल्कुल प्यार नहीं करते।' वो फोन पर फिर से सुबकने लगी।
'अरे यार मैं तो खुद कबसे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था, रुको मैं तुम्हें लेने आ रहा हूँ।' मैंने गेट तक पहुँच कर बाहर देखा तो वो ऑटो वाले को पैसे देकर दौड़ कर आ गई। मेरे चेहरे पर लगे क्वेश्चन मार्क को देखा तो बोली, 'देखा अभी चली जाती मैं।' फिर मुझे देखकर मुस्कुराई और चहककर बोली, 'चलो भी मूवी स्टार्ट हो जाएगी न।'
झूटी...मैंने मन ही मन कहा उसे और उसके पीछे पीछे थिएटर में प्रविष्ठ हो गया।
मूवी शुरू हो चुकी थी और भीतर बहुत अंधेरा था। इसलिए वो मेरी छड़ी बनी हुई थी। एक कॉर्नर पर खुद बैठ कर मुझे भी पास बैठा लिया। थोड़ी देर अंधा रहने के बाद अब मेरी आँखें लौट आई हैं। सामने बड़े से स्क्रीन पर चल रही मूवी के अलावा भीतर भी सब देख पा रहा हूँ। आधी से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं। मुझे अचानक देश की बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था और मंदी प्रत्यक्ष दिखाई देने लगी। किसी को देश की चिंता है ही नहीं, वरना क्या ये कुर्सियाँ इस तरह खाली रहती ?
'पॉपकॉर्न तो ले आओ'
'हैं!!??' मुझे लगा किसी ने मेरी तन्द्रा में व्यवधान डाल दिया हो, देखा तो वो पॉपकॉर्न खाने पर अड़ी हुई थी। उठ कर जाने लगा तो उसने पॉपकॉर्न के साथ कोक और एक कैडबरी डेयरी मिल्क सिल्क भी ऐड कर डाली। पॉपकॉर्न और कोक तो सुने हैं पर कैडबरी का इससे क्या कनेक्शन ? मतलब कुछ भी ? अब इससे पहले कुछ और ऐड हो मैं तुरन्त वहाँ से निकल गया।
250/- रुपए का पॉपकॉर्न पहली बार सुना और जब 190/- रुपए कोक के लिए सुने तो मेरी तो भूख प्यास दोनों मिट गई। लेकिन फिर सोचा कम से कम पानी तो ले ही लूं। उसने 500ml की बॉटल के 60 रुपए अलग से झटक लिए, सब लेकर लुटा पिटा सा उसके पास गया। वो बिना प्यार दिखाए या थैंक्यू बोले सीधे शुरू हो गई। ये भी नहीं कहा कि 'तुमने अपने लिए क्यों न लिया?'
'बाहर 20 रुपए का मिल जाता, ये लोग लूट रहे हैं।' मैंने धीरे से कहा। तो उसने डपट दिया, 'अब ये सब मत शुरू करो ओके, मूवी देखो न, कितनी अच्छी है।'
मैंने आसपास देखा, सबको मूवी इतनी अच्छी लग रही थी कि सब उसी में खोए थे। वो 3 लड़कीज भी बैठी थी 6 बन के, साथ आई थी पर यहाँ अलग-अलग हो गई। शायद बाकी 3 उनके बॉयफ्रेंड होंगे। इधर उधर और नजर दौड़ाई तो सिर्फ कपल्स नजर आ रहे थे। उस चेक बुशर्ट और लंबे बालों वाले को खोजा पर कहीं नहीं दिखा। ख़ैर! वैसे वहाँ किसी को किसी के होने से 🔔 फर्क नहीं पड़ रहा था। मेरी वाली को देखा तो वो बेवकूफों की तरह बस मूवी देख रही थी। उसे हल्की सी कोहनी मार कर मैंने उन लड़कियों की तरफ देखने को कहा। सामने स्क्रीन पर नायक नायिका को चूम रहा था। उसी तर्ज़ पर यहाँ भी उसका रूपान्तरण प्रत्यक्ष हो उठा। उसने उन्हें देखा तो शरमा कर लाल हो गई। बोली कैसे बेशर्म लोग हैं ना ?
मन में आया कि कहूँ , ' इसमें शर्म वाली क्या बात है ? प्यार में पुच्ची की मिठास न हो तो सब फीका नहीं हो जाएगा।' पर उसकी आँखों में देखते ही बोला, 'सही कहती हो।'
वो बोली, 'हम्म, तुम इनको मत देखो, मूवी देखो चुपचाप।'
उधर कोई डांस नम्बर आ रहा था। नायक नायिका फ्लोर पर धूम मचा रहे। धूम-2-3-4-5...... थिएटर के भीतर अलग-अलग कोनों में चल रही। यहाँ मैं अकेला ऐसा एलियन हूँ जिसके पास पॉपकॉर्न है पर उसे खा नहीं सकता। सोचा व्रेपर ही छू लो तो, और धीरे से उसके बाएं हाथ पर अपना दायाँ हाथ रख दिया। उसे लगा मैं उसके पॉपकॉर्न छीनने वाला हूँ, कस के मुक्का मार दिया। कोक की डकार मार कर बोली ये सब शादी के बाद। इधर मैं, लाइक सीरियसली ? सोचने लगा, हाथ छूने के लिए भी शादी का इंतज़ार करना पड़ेगा ? तब तो पुच्ची के लिए 4-5 जन्म लेने को बोलेगी? और उसके लिए.... ? खैर जाने दो मैं भी न, यहाँ आया ही क्यूँ ? नेक्स्ट टाइम कभी जाना पड़ा तो भगवान वाली मूवी देखने जाऊंगा। यहाँ तो सब मुझे जलाने की तैयारी कर के आए हैं।
अचानक लाइट्स जल उठी। इंटरवल हो गया था। उसने मेरा हाथ पकड़ा। (!!??) बोली, 'चलो न मुझे भूख लगी है।' मैंने ध्यान से उसका चेहरा देखा। सोचा, हे नारी तू वाकई धन्य है। वो मुस्कुरा दी। बाहर वेंडर के पास जाकर अपने लिए 'कुछ' खरीदा और 1869/- रुपए का बिल मुझे थमा दिया। वो फिर से अपनी सीट पर जाकर चपड़-चपड़ करते हुए मूवी देखने लगी। बाकी मूवीज भी आगे बढ़ रही थी। मन उचट रहा था तो फिर अपना मोबाईल निकाला। इस बार ढक्कन जेब में रह गया, बाहर जो फोन आया वो मेरे जैसा लग रहा था। ये भी बेशर्मी से अपने काम में लगा रहता है। जब तक मूवी चल रही थी, मैं सोशल मीडिया पर देश को बचाने में जुटा रहा। सच्ची अब सब बोर लग रहा था। देर से ही सही पर आखिर फ़िल्म खत्म हुई। उसने भी 'सब' खा-पीकर खत्म कर लिया था। सब को अचानक बुद्धत्व प्राप्त हो गया। ढेर सारे काम याद आने लगे, इसलिए जल्दी-जल्दी बाहर निकलने की होड़ मच गई। बाहर की ओर भागती भीड़ में वो लंबे बालों वाला भी था, जो बाहर निकलते हुए अपने अस्त-व्यस्त कपड़े ठीक कर रहा था।
#जयश्रीकृष्ण
✍️ अरुण
Rajpurohit-arun.blogspot.com