"कम ऑन यार, अब इतना भी शक्की नही होना चाहिए , वैसे भी वो मेरे बारे में जानता ही क्या है...?"
"एग्जेक्टली..मैं भी वही कह रही हूँ, तू भी तो कहाँ कुछ जानती है उसके बारे में...पता नही कौन है, सो इट वुड बी बेटर टू कीप डिस्टेंस फ्रॉम सच फुलिश फेल्लोज... पता नही क्यों तू उसके लिए हलकान हुई जा रही.."
"नॉट अगेन यार, अब मैं कोई बच्ची थोड़े न हूँ, उसके पास मेरा नम्बर तक नही है, एक्चुअली उसने कभी माँगा ही नहीं....दैट्स द् थिंग आई लाइक हिम , वो अलग है सच में ...कभी कोई डिमांड नहीं सिवा इसके की उससे बात करो... और उसमे बुराई क्या है...एंड ..इवन आई आल्सो लव टू टॉक विद हिम .."
"अच्छा है अगर नम्बर नही दिया तो, मेरी मानो तो कभी देना भी मत...नम्बर नही दिया तब भी इतना पका रहा है..बाद में पता नहीं क्या करेगा...और सुन तुझे पता नही लगता पर तू भी उसके जैसी पकाऊ होती जा रही है ...कल भी आधा घण्टा बोर के गई हूँ तेरे घर से... मैं यहाँ तुझसे मिलने आती हूँ उसकी बोरिंग चैट सुनने नहीं..समझी"
"नाराज क्यों होती हो, अच्छा तुझे नही पसन्द तो अब से उसकी बात नही करूंगी तुझसे..ओके खुश ....जानी ... तेरे लिए तो हम कुछ भी कर जाएंगे, बोले तो सु- सु- सु- सुसाइड कर के दिखाऊँ, तू रुक मैं वाश रूम हो के आती हूँ... सु सु एट साइड...हाहाहा"
"दिमाग खराब हो गया है तेरा सच में, कहा था न.. 😬😬😬😬😬😬😬 तू उसके जैसी पकाऊ होती जा रही है...पहले दस बार बुलाने पे बोलती थी अब चुप करने के लिए दस बार बोलना पड़ता है.....शर्म तो बेच खाई लगता है.....सुधर जा ..सुधर जा....तेरा ही फायदा है...."
"हेहेहे, क्या यार अदिती, अब तुझसे भी मजाक न करूँ जानेमन ? जिंदगी झंड हो जाएगी तब तो...ऊप्स...आँखे मत दिखा यार..आती हूँ रुक.."
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'अच्छा बोलो मेमसाब किधर जाओगे रामगढ के शामगढ़...बैठो तांगे पे, रामगढ का एक रुपया शामगढ़ का दो रुपया...आप सोचोगे के रामगढ और शामगढ़ की दुरी एक ही जितनी है फिर रामगढ का 1 और शामगढ़ का 2 रुपया क्यों, यूँ की अब पूछने वाली बात ये है की तांगा कहाँ का है...पूछो पूछो..?'
"नहीं पूछना मुझे कुछ भी, जब देखो तब बक-बक बक-बक, थकते नही तुम इतना बोल बोल के"
'कहाँ बोलता हूँ यार, वो तो मेरी उँगलियाँ बोलती है...हाहाहा ;)'
"चुप रहो, घर में भी इतना ही बोलते हो ? सब कितने परेशान हो जाते होंगे तुमसे, मुझे तो उन बेचारों पर तरस आता है बाय गॉड"
'हाँ मुझे भी...'
"तुमको क्यूँ?"
'वो बस ऐसे ही....तुम भी कहाँ मेरी बातों पर सीरियस हो रही हो'
"येस राईट ..तुम तो हो ही पागल...और पागलो की बात लो सीरियस नही लेना चाहिए हेहेहे"
'हाँ अब सही जा रही हो...एक बात बोलूँ..?'
'तुम हँसते हुए भोत अच्छी लगती होगी, हैं ना ? तुम यकीन नहीं करोगी पर मैं तुम्हारी खिलखिलाहट सुन पाता हूँ सच में..'
"अच्छा जी, अब बोलोगे की काश सच में भी सुन पाता , है ना .."
'हाँ...पर'
"कोई पर वर नहीं नम्बर तो भूल कर भी मत मांगना.."
'नहीं मांग रहा यार...सच में...😢'
"ओह कम ऑन यार , ये सैडी सैडी शक्लें मत बनाओ अब तुम, और ये तुमको सूट भी नहीं करता "
'हेहे अच्छा तुमको बड़ा पता है मेरे बारे में..?'
"हाँ ज्यादा नही पर थोड़ा तो जानने ही लगी हूँ तुमको"
'अच्छा क्या क्या जानने लगी हो बताना जरा...?'
"और कुछ नही बस इतना ही..कि तुम पागल हो..हाहाहा"
'हेहेहे सही जवाब...आपको मिलता है..आपकी ढेर सारी जुओं के लिए डिनर सेट....बोलो कब भिजवाऊं'
"चुप रहो, तुम्हारे ही होंगी जुएँ, मेरे बाल बहुत खूबसूरत हैं और मेरे कभी जुएँ नही पड़ती समझे , खुद का एक्सपीरियंस याद आ रहा होगा तुमको डफर.."
'अपने तो चांस ही नही ,सर पर पड़ोसी की जूं भी आ जाए तो फिसल के धरती माता को प्रणाम करने लगेगी, आई एम् पैदायशी टकलू डार्लिंग'
"हाहाहा.....यू आर मेड..सच में पागल हो.."
'प्यार चीज ही ऐसी है, स्वीटी, अच्छे भले इंसान का भेजा खराब खराब कर देता है....'
"चुप रहो तुम, कुछ भी बोलते हो.....ज्यादा बकवास की तो सीधा ब्लॉक कर दूँगी"
'ओके पर कसम है तुम्हे चुन्नू की अम्मा, बस अपने दिल में ब्लॉक करना....'
"पागल पागल पागल......पागल हो तुम....हटो, मुझे जाना है, बाय"
'हटो तो यूँ बोल के जा रही है जैसे सच में .....बाँहो के दरमियाँ, दो प्यार खिल रहे थे.....हीहीही'
"हुँह, बाय बाय घोंचू"
'ओके लव यू टू.. दिलबरा'
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तन्मय आज भी ऑनलाइन नही आया...पर ऐसा कैसे हो सकता है ...वो तो बोलता था की मैं 24 में से 26 घण्टे ऑनलाइन रहता हूँ , इवन मुझे ही वक़्त नहीं मिलता था उससे बात करने का...इतने महीनों में ऐसा एक बार भी नही किया उसने....पिछले 4 दिन से ऑफलाइन है...क्या करूँ....पर मैं उसके बारे में सोच ही क्यों रही हूँ...ना आए तो ना आए मेरी बला से....मुझे क्या फर्क पड़ता है....पर यार क्या मैं इतनी बुरी हूँ जो अपने ईगो के चलते उसे एक मैसेज तक न करूँ....पर करूँ भी किसको...4 दिन पहले का ऑनलाइन शो हो रहा है...क्या फायदा...करने का भी......अरे नही...जब वो आएगा तो उसको कितना अच्छा लगेगा ..हाँ..
"ओये डफर..ज़िंदा तो हो न..."
"मुझे लगा लुढ़क गये"😂😂😂
"हे सॉरी यार..."
"नाराज़ हो क्या मुझसे"
"हे तन्मय....आई रियली मिसिंग यु बड्डी 😢"
"यार तुम तो ऐसे कभी न थे...कितने दिन हो गये पता भी है..."
"मेरी ही गलती है यार...पता नहीं क्यूँ.... सब मेरी ही गलती है...मैंने ही कुछ गलत बोला होगा तुमको..."
"कुछ गलत बोल दिया हो तो सॉरी यार"
"अब तो चले आओ....एक महीना होने को आया यार...यूँ ही दिलबरा बोलते रहते थे? ऐसे कौन करता है अपनी दिलबरा के साथ... हँसते हँसाते रुलाने क्यों लग गये यार"
"तुम बहुत बुरे हो...देखो मैं भी तुमसे कभी बात नहीं करूंगी.."
2 महीने गुजर गए न तन्मय ऑनलाइन आया और न ही उसका कोई जवाब , आस्था बहुत मिस करती थी इस पागल को...दिल के किसी कोने से आवाज आती...सब ठीक नहीं है ..कुछ बहुत बुरा हुआ है शायद....एक दिन बैठे बैठे उसका प्रोफाइल खंगाला ..संचित बंसल ....कहीं ये संचु तो नहीं..? पता नहीं...पर...कभी किसी अनजान को रिप्लाई करने से पहले हजार बार सोचने वाली आस्था ने आखिर संचित को मैसेज भेजने की हिम्मत कर ही डाली... कुछ देर में उधर से रिप्लाई भी आया...
'हूज दिस...?'
"आई एम तनु'ज फ्रेंड...डू यू नो व्हेयर ही इज..."
'वेट...यू आर दैट आशु राईट..'
"यस ..आई एम.. नाउ प्लीज टेल.."
'आई हेव नथिंग टू टेल यू आस्था, वेट लेट मी शो यू समथिंग....'
संचित ने कुछ तस्वीरें उसे भेजी, पहली जिसमे एक मासूम सा दिखने वाला लड़का एक शरारती मुस्कान दिखा रहा था, फिर कुछ और जिसमे वही लड़का किसी हॉस्पिटल में एक बेड पर अचेत लेटा था...नाक में ऑक्सिज़ेन पाइप लगी थी ...पर अब भी मुस्कान मानो जबर्दस्ती अपनी जगह बनाए हुए थी..
'ये है तनु..'
"ओह गॉश ये सब क्या है...क्या हुआ उसे.."
'ही इज नो मोर डिअर... वो अब इस दुनिया में नहीं है...गले का केंसर था उसे ...एक साल से ज्यादा हुआ..आवाज़ चली गई...बहुत बातूनी था...चुप कैसे रहता...और कुछ नहीं मिला तो सोशल साइट पर शुरू हो गया...6 महीने से यहीं था... हॉस्पिटल में बैठे बैठे लोगों को पकाता रहता ...खुश रहने की कोशिश करता.. .. तुम्हारे बारे में भी बताता था हमको..की कैसे तुम्हे परेशान करता है... न जाने तुम उसे क्या समझती होगी ..पर वो बस ख़ुशी तलाशता था तुम से भी... उसने कहा था की अगर तुम कभी उसके बारे में पूछो तो ही कहूँ...खुश रहना यार बस'
आस्था को सहसा यकीन ही नहीं हुआ...ऐसा कैसे हो सकता है,....फोन हाथ से छूट कर गिर पड़ा, मन हुआ की खूब ज़ोर से फफक फफक कर रो पड़े अभी, बकबक करके से बातों में लीन करने वाला चिर निद्रा में लीन हो गया था चुपचाप...😢
....
अब भी आस्था तन्मय को याद करती है, जब भी उसकी बातें याद आती है होंठो पर आई मुस्कान के साथ चुपके से एक छोटा सा आंसू भी आँखों में तैर ही जाता है, पर रोती नहीं क्योंकि उसे किसी महान इंसान ने बोला था कि खुश रह कर ज़िन्दगी सँवारो डार्लिंग, झंड तो ये खुद बा खुद हो जाती है. अपनी कोई भी तकलीफ अब तकलीफ जैसी लगती ही नहीं....तकलीफ को लात मार के जीने का सबक जो सीख लिया उसने.
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#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
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