🌹🌹🌹🌹🌹 अनुपम प्रेम ♠♠♠♠♠


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एक सुबह अनुप मेरे पास आया, बिखरे बाल , गालों पर आँसुओ के जमने से बनी रेखाएँ, सूज कर लाल हुई आँखे, कुछ न बोला आकर चुपचाप बैठ गया।

इतना क्लांत उसे इससे पहले न देखा था, पूछा हमने कि,'प्यारे ये क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नहीं?' इतना सुनना था कि अनुप की आँखों से नोबिता के समान दोनों और दो झरने झर झर बहने लगे, हम भी बह ही जाते अगर अनुप को ही कस के पकड़ न लिया होता पर सहम गए कि यार ऐसा तो कुछ बोला भी नहीं तो फिर ये हो का रिया है। झट से दो बाल्टी उसके दोनों और रखी, रुमाल के काम करने का सवाल ही पैदा नहीं होता था इसलिए बैडशीट से उसका चेहरा पोंछा, फिर दोबारा प्यार से पूछा ,'प्यारे हुआ क्या है ?' इतना सुनते ही अनुप ने मुँह उठाया और बुक्का फाड़ के शुरू हो गया, बहुत करुण दृश्य था पर मारवाड़ी लोग पकाना जानते है पकना नहीं इसलिए बेडशीट उसके खुले मुँह में ठूस दी, और कहा , 'अबे ओये, प्यार से पूछ रहे तो बताते काहे नहीं हो, वो डंडा देख लो, अब अगर एक भी आँसू गिरा तो खोपड़ी फोड़ देंगे, सवेरे सवेरे माथा खराब कर रखा है। अब बोलो ढंग से बताते हो कि सेवा करवाओगे पहले ?' अनूप के आँसू झरना झट से बंद हो गया जैसे किसी ने मोटर बन्द कर दी हो पीछे से, बेडशीट का आख़िरी कतरा मुँह से बाहर आते ही उसने कातर नज़रों से मुझे देखा और मैंने गुस्से के साथ डंडे को, थूक निगल कर अनूप तोते की तरह शुरू हो गया, 'का बताई अरुण भैया, ई दुनिया भोत जालिम है, यूँ की ये मेरे जैसे अच्छे लोगों के लिए तो बनी ही नहीं है।'

मैंने उसे टोका,' अबे सुन, ये 'अच्छे लोगों वाला' डायलॉग नहीं बोलने का, साला पहले भी ये चिपका के पोपट बना गया था हमको ',फिर दो गहरे सांस छोड़ें बी पॉज़िटिव यार बी पॉजिटिव मन्त्र उच्चारा और अनूप को कण्टीन्यू करने को कहा। वो शुरू हो गया,' भैया आपको पता है आज बीस साल के हो रहे हैं हम,कोनो गर्लफ्रैंड नहीं, इस्कूल में भी लड़कियाँ हमसे ऐसे दूर रहती थी जैसे हम साले टीबी के मरीज है, दिल दुखता था हमारा पर सह लिए हम , की कभी तो कोई कन्या होगी जो हमसे मुहब्बत का इजहार करेगी, साला घण्टा नहीं किया किसी ने भी , फिर एक दिन गौरव बोला कि  'आजकल फेसबुक का जमाना है, तुम साले उस माल से उम्मीद लगाए रहते हो जिसकी बिल्टी किसी और ने पहले ही कटवा रखी होती है', तो हमने भी प्रोफाइल बना लिया, पर क्या करें इधर देखा तो इधर भी वही हाल है , इतनी रोमांटिक शायरी चेपते है पोस्टवा में, की कोई पढ़ ले तो करेजा मुँह को आ जाए, पर कोई कम्बख्त आना तो दूर देखती तक नहीं. जैसे हमने पोस्ट पर लेंडमाइन्स बिछा रखी है 😢'

इतना बोल कर वो मेरा मुंह ताकने लगा, हम बोले ' हो गया तुम्हारा? अच्छा तो फिर सुनो अब आराम से , ' देखो प्यारे प्यासे को कुएँ के पास चल के जाना पड़ता है, कुआँ कभी चल के नहीं आता'

'मतलब'

'मतलब ई बिरादर, की पहले प्रोफाइल की प्राइवेसी हटाओ लड़की लोगन को ऐड करो और उसके बाद भी जिसे तुम पसंद करते हो उसके पास तुम्हे खुद जाना पड़ेगा.'

'पर अरुण भाई हमें तो सब की सब पसंद है'

'बस यही गधापन कंट्रोल करना है प्यारे, अबे हर किसी से हो जाए वो दीवानापन नहीं कमीनापन होता है.'

'अच्छा और आप जो हर लड़की के कमेन्ट पर लार चुआते हो उसका क्या...?"

'अबे वो तो हठयोग है हमारा, और वैसे भी सब कन्याओं को एक ही नजर से देखते हैं हम 😉 सब को पता रहता है की मजे ले रए फोकट में बकैती कर के '

'तो मैं भी वही करूँ ?'

'वैसे ऐसी बातें बच्चों को 'शोभा' नहीं देती पर ...तुम कर सकते हो तो जरूर करो, अगर नहीं तो वो कन्या चुनो जिसे देख के जिगर का तानपुरा अपने आप बज उठे'

'अच्छा, फिर..'

'फिर क्या, बतियाओ उससे , हँसी और फंसी का डायलॉग नही सुने हो ? खुश रखो उसे , कुछ भी मांगना नहीं उससे, वो खुद बा खुद दे देगी'

'क्या...?'

'अबे ठरकशिरोमणि , उसके नम्बर की बात कर रहा हूँ मैं '

'अच्छा अगर कोई बात ही न करे तो....?'

'ओहो दुःखी आत्मा , तो कौनसा भूचाल आ जाएगा, वो नहीं तो उसकी कोई और बहन करेगी...टीराइ टीराइ अगेन सुने हो की नहीं  :), और सुनो चौखटा जरूर सुधार लो पहले, आजकल जो दिखता है वही बिकता है, पुराना डायलॉग है पर मौके की नजाकत देख के फिर चिपका रहे हैं कि 'थोबड़ा तबेले जैसा बनाए रखोगे तो गोबर ही मिलेगा' थोड़ा पिच्चर विच्चर देख के हीरोगिरी सीखो मियाँ'

'ओके.....' इतने आत्मविश्वास से अनूप ने कहा की लगा कि बात समझ गया पठ्ठा, तुरन्त उठा और लपक के निकल गया.

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विवेक मिश्र की अंग्रेजी क्लास चल रेई, इं. शुकुल बाबू आज के आज चौथी बार पिटे हैं अपनी भेरी स्टाइलिश अंग्रेजी उवाचने के चक्कर में, पर इन्हें मार से कोई दिक्कत नहीं , ढीठपन का गुण यूँ भी इन्हीं से बाकी दुनिया को प्रसाद रूप में वितरित हुआ है , पिटने के बाद वापस दरी पर बैठते बैठते ही खुन्नस में अजीत के मुक्का धर देने से बाज़ नही आते , हमारे पास भी नहीं बैठे आज तो ....जाकर अफ़जलवा से गलबहियाँ डाल रहे हैं, सिचुएशन के हिसाब से ' दोस्त दोस्त ना रहा' गाने का मन हुआ था पर सोचा पहले 'उदास' बोला था अब ना जाने किस मरियल की उपमा चेप दे, इसलिए चुप हो रहे। अचानक अजीत खड़ा हुआ.....शायद कुछ पूछना होगा।

'विमी गुरु, एक ठो बात बताइए....'

गुरु जी ने धर देई कंटाप फट से, बोले 'इस्पीक इन इंग्लिश ओनली..'

कान सहलाते अजीत बोला कि, 'गुरु अंग्रेजी नहीं आती एही लाने तो यहाँ आए रये, आप तो जे बताओ बच्ची की पोट्टी  को इंग्लिश में कैसन साफ़ करें'

'व्हाट रिडिक्यूल्स, आई एम् हियर टू टीच यू इंग्लिश लैंगुएज, नॉट टू टेल अबाउट द् प्रॉसेस हाऊ टू क्लीन द शिट ' गुस्से में तमतमाए विमी गुरु बोले।

हमने ज़बरन अजीत का हाथ पकड़ के बैठाय लियो, 'अबे देख नहीं रए गुरु गुस्सा हो रो, अब जे एक कंटाप और धर देइहें तो का इज्जत रह जाई ससुर।'

'बात तो तुम भी ठीक ई के रे, पन वो पोट्टी...?'

'अबे वो शुकुल से सीख के साफ कर लेइयो, वो ख़ुशी ख़ुशी सीखा देगो '

'घण्टा वो देखो शुकुल तो अफ़जलवा की गांव में घुसरो, बात करन की तो फुरसत ना मिलरी'

'हाँ दया मेरो मतलब, कुछ तो गड़बड़ है अजीत'

क्लास से छूटे तो शुकुल जी अफ़जलवा को अपनी खटारा के इकलौते डंडे पे बैठाए झट से निकल लिए, अजीत और हम भी फट से अपनी फटफटी दौड़ाये , पूछे, 'शुकुल प्यारे बोलते थे की मौसम नहीं है जो बदल जाएंगे आज साले इस फ़टे ट्यूब के लिए दोस्तों को छोड़ आए।'

शुकुल अपना गुस्सा पैडल पर चलाते चलाते ही बोले,' अबे तुम दोनों को कुछ ना पता, उ जो अफ़जलवा की बहिन सलमा है ना, (सलमा का नाम एक्स्ट्रा मक्खन मार के बोले थे)  सबेरे से गायब हैं, उसी को ढूंढने जा रहे, ना जाने कहाँ होगी बेचारी ' शुकुल का एक आंसू तुपुक कर के अफ़जलवा के टकले पर गिरा।

'ओह अच्छा अच्छा, मिल जाए तो बताना हमें भी', कहने के साथ हम फटफटी दौड़ा के निकल गए, अजीत बोला , शुकुल तो अच्छा आदमी है यार पर तुम भी टुच्चे निकले बे, अफ़जलवा की मदद हम लोग भी करते, रुके काहे नहीं ?

'अबे, इसलिए क्योंकि हम जानते हैं की सलमा कहाँ है.."

'कहाँ?'

'वो ससुर अनुपवा के साथ बसंत मेंगो बार में कुल्फी चूस रही है बे.......'

©अरुण

#जयश्रीकृष्ण

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