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दोपहर के 3 बजे हैं, और गर्मी के बाकी दिनों की तरह आज भी बहुत गर्मी है। तपन को देखते हुए भीड़ कम नही है बाजार में, गांधी चौक के पास की एक दुकान पर लगे टिन शेड की छाया में आसरा तो मिल गया है, पर चैन नहीं, न न वजह गर्मी बिल्कुल नहीं है। किताबों की दुकानों की कतार लगी है पास ही, आती जाती पदाति, स्कूटी सवार और कार धारी भिन्न भिन्न प्रजाति की कन्याएँ ताड़ रहा हूँ , जी हाँ जी हाँ बिल्कुल, ओनली कन्याओं को, कसम लगे जो किसी लड़के को देखा हो तो, सब अपने काम मे लगे हैं, सामने पान वाला अपनी गर्मी पान के पत्तो पर दना दन कत्था रगड़ के निकाल रहा है, मुँह में कुछ ठूँस भी रखा है, जिसकी तस्दीक सामान्य से थोड़ा अधिक उठा उसका नीचे का होंठ कर रहा है, माथे पर पसीने की कुछ बूंदे चमक उठी है , पसीना पोंछते वक़्त एक उपेक्षित सी नज़र उसने मुझ पर डाली, मुँह बिचकाया जो मुँह में है वो बिलोया फिर एक सधी हुई पिचकारी दुकान के बाहर की तरफ दे मारी, पहले से आधा लाल हुआ खम्बा और लाल नजर आने लगा। ओहो तो ये भी पान पराग के शौकीन हैं ? एक छोटी सी मुस्कान ने मेरे चेहरे पर आने की गुस्ताखी की, पान वाले ने भौंहे ऊपर हिला कर कुछ प्रश्नवाचक मुद्रा में मुझ पर आक्रामक दृष्टिपात किया तो मैंने झट से इनकार की मुद्रा में सर हिला दिया। पता नही इस तरह भौंहे नचाकर ये बाबू मोशाय मुस्कान की वजह पूछ रहे थे या मेरे वहाँ खड़े होने का प्रयोजन, खैर ! नजरें फिर से किताबो की दुकानों पर किताबे टटोलती कन्याओं पर है , दूर हूँ आवाज़ नहीं सुनाई पड़ रही , लेट मी इमेजिन वट दे आर टॉकिंग अबाउट , अरे वा लगता है गर्मी से इंग्लिश दिमाग मे चढ़ गई है मेरे 😜 लेट कम टू लड़कियों की बातें, अरे अरे अब वो जो मर्जी बात करें मुझे क्या, आपको बड़ा चस्का है लड़कियों की बातें सुनने का हाँ, मैं तो उधर देखता हूँ तो बेचैनी और बढ़ जाती है, याद आ रही है ओ तेरी याद आ रही है, कब से इंतज़ार कर रहा हूँ जाने मेरे वाली कब आएगी, जानेमन लिख के रख लो कोई पूछे तो बता देना , न भी पूछे तो भी याद रखना लाइफ टाइम काम आने वाली बात है, दुनिया का सबसे मुश्किल काम 'इंतज़ार' है डेढ़ घण्टे से खड़ा हूँ। दिन , समय , जगह सब उसी ने तय किया पर ......।
कर भी क्या सकते हैं जैसे घर के बुजुर्ग सब पर गुस्सा हो सकते हैं उन पर गुस्सा करने का हक किसी को नहीं वैसे ही छोरियाँ कुछ भी करे उनको कुछ बोल नही सकते क्या समझे,उनका बस एक आँसू और बाज़ी पलटनी तय मानो, कमबख्त फ़िल्म वालों ने ज्यादातर जितने भी गाने बनाए हैं सबमे लड़की इंतज़ार कर रही होती है, आजा वे माही तेरा रस्ता उडीक दियाँ, हुँह कब से उडीक तो मैं कर रहा हूँ, मैं पिक्चर बनाऊंगा तो सारे स्थापित कांसेप्ट चेंज करूँगा हाँ नहीं तो। आजा रे छोरी तेरा रस्ता उडीक दां हाँ, हाँ ये वाला सही है, खीखीखीखी ।
अचानक आँखे बंद कर दी किसी ने पीछे से, उफ्फ ये छोरियों की नौटंकी, देखो तो आँखे बंद तो ऐसे की है जैसे मैं पहचान ही नहीं पाउँगा की कौन हो, अरे मेरे प्यारे से, खुबसूरत, कुची पुची , गुगली बूगली मैं ही नहीं बच्चा बच्चा समझ गया है कि तुम ही हो, बस तुम ही हो, ये नोटंकी, बस तुम ही हो। बन्द आँखों पर हाथों से टटोल कर अनु... अश्मी...श्वेता... रूही....शीतल....परी.... आरोही....एक एक कर नाम पुकारने लगा अचानक मुक्का मार दिया पीछे से उसने।
बोली ," हाँ हाँ इन्ही सब का इंतज़ार हो रहा था, मैं ही पागल हूँ जो भाग के चली आई हूँ तुमसे मिलने के लिए....."
मन किया की कहूँ, भगवान से डर छोरी भगवान से डर, पर खिसियाई हंसी ला कर जीभ को थोड़ा दांतो तले दबाया, दोनों कानों को पकड़ते हुए, सॉरी सॉरी सॉरी का उद्घोष करते हुए दांत चियारते हुए कहा, 'अरे मैं तो बस मजाक कर रहा यार, अच्छे बच्चे गुच्छा नहीं करते, कान पकड़ लिए ना, माफ कर दो न प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज'
लड़की हँसी समझो पक्का फँसी..... वो भी मुस्कुरा दी। मैंने नजर घुमाई पानवाला मुँह में नया माल ठूस कर अपनी व्यस्त चर्या से समय निकाल हम दोनों को निहारने का उपक्रम कर रहा है। एक उपेक्षित सी नजर उस पर डाली, हमारे नयन आपस मे टकराते ही उसके चक्षु अपूर्व दिव्य भाव से हृदय की प्रसन्नता की उद्घोषणा करते विस्तारित होते चले गए, उसकी तोंद थिरकी जैसे हल्का हंसी का भूकंप आया हो बस उसी के लिए, इस थिरकन से उसका पूरा शरीर कुछ सेकण्ड्स तक ऊपर नीचे होता रहा, उसने फिर से भौंहे ऊपर की और नचाकर मुझे घूरा, उसे उसके सभी अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो चुका था। अब मेरी बारी थी, गर्दन को उपेक्षा से झटक फोकस अपने वाली पर किया। उसके साथ उसकी स्कूटी पर सवार हो लिए। कंधे के पास से पकड़ रखा है हाथों को, गर्दन आगे ले जाकर उसके कानों के पास मुँह ले जाकर कहता हूँ, ढुर्रर्रर ढुर्रर्रर ढुर्रर्रर ......बिल्कुल वैसे जैसे छोटे बच्चे अपने मुँह से आवाज निकालते हुए अपनी काल्पनिक 'पीं' चलाते हुए निकाला करते हैं, वो हंस दी फिर से। बोली,"ये क्या है, सीधे हो कर बैठो न।"
'बाजार है, इसलिए शराफत का तकाजा है, वरना तो चिपक के बैठने का मन था हमरा, क्या समझी'
"ए हेहे, बड़े आए" वो मुँह बना कर बनावटी हँसी हंसी और स्कूटी आगे बढ़ा दी, सिर्फ चार कदम जितनी ही दूरी पर बसंत मेंगो बार पर रोक कर मुझे उतरने को कहा।
कमाल है इत्ती सी दूर ले जाने के लिए स्कूटी पर बिठाया था ? पर आप इस 'मैंगो बार" के नाम से धोखा मत खाना, ये सोचने की गलती बिल्कुल मत करना कि हम किसी आम रस या मैंगो शेक बेचने वाले की रेहड़ी पर आए हैं, लड़की कोई भी हो कहीं की भी हो कैसी भी हो ऐसे मामलों में घोर अनुदारवादी हो जाया करती हैं, बोले तो मारवाड़ी की तरह, नो रिक्स लेने का। अच्छा खासा रेस्टोरेंट है ये मैंगो बार भी, बहुमंजिला इमारत, वर्दी वाला साफ सुथरा स्टाफ, भीतर बैठने की शानदार व्यवस्था है, प्राइवेट चैम्बर भी बने हैं, पर सब के सब बुक्ड नजर आते हैं, नीचे भीड़ काफी है, दूसरी मंजिल पर आ गए हम, 8-10 टेबल लगे हैं यहाँ भी, सरसरी नजर दौड़ाई , सब भरे हुए नहीं है 3-4 फैमिलीज बैठी है, एक टेबल पर 3 लड़के बैठे है, एक कॉर्नर की टेबल पर 2 टीन कन्याएँ बैठी हैं उनके ग्लैमर से खिंच कर हम और हमारी 'बलिए' उन्हीं के बगल के एक टेबल पर तशरीफ़ रख चुके हैं। न जाने म्युज़िक सिस्टम कहाँ लगा है पर हल्के हल्के संगीत की ध्वनि सुनाई दे रही, शायद ....शायद क्या पक्का कोई अंग्रेजी गाना है, सम्भ्रांत दिखाने का ये भी कोई चोंचला होगा (शायद), सुनने कम समझने की थोड़ी सी कोशिश हुई मेरी तरफ से पर कुछ ही पल में हार मान कर ध्यान वापस बलिए पर कंसन्ट्रेट कर लिया। वो टेबल पर बैठते ही सीधे पॉइंट पर आ गई, व्हाट ए स्ट्रेट गर्ल मैन, सीधा मेन्यू कार्ड उठा लिया 😂😂😂 । सोचा एक नज़र मैं भी डाल के देखूँ क्या क्या मिलता है इधर, 25-30 तरह के सैंडविच के नाम लिखे थे, फिर कुछ चायनीज, इटेलियन के सैक्शन बने हैं, नाम समझ ही नहीं आए तो दाम की तरफ देखा, थूक निगला, अबे ऐसा क्या डालोगे इसमे, मुझे तो दाम पढ़ कर शर्म आने लगी थी, तुमको लिखते हुए भी नहीं आई। मेन्यू कार्ड पटक दिया, देखा सब फैमिलीज वाले अपने में मस्त हैं लड़को ने नींबू पानी विद पनीर पकौड़ा आर्डर किया है, 2 पकौड़ो को 6 टुकड़ों में काट कर प्राउडली खाया जा रहा है, कोई इधर उधर नही देख रहा, जैसे बस फटाफट खा पीकर निकल जाना चाह रहे, लड़कियों ने रंग बिरंगी आइसक्रीम ले रखी है, एक लड़की उस पर रखी चैरी को ही आधे घण्टे से चूस रही है। 'तेरी फीलिंग मैं समझ रहा हूँ छोटी..."।
पता ही नहीं लगा पास में वेटर जैसा दिखने वाला बंदा कब आ के खड़ा हुआ, हमारी टेबल का आर्डर सर्व करने आया था। पर आर्डर दिया कब, कुछ पता न लगा। मेरी ओर उसने देखा तक नहीं, ' दिस इज योर चायनीज प्लेटर, योर पनीर मन्चूरियन ड्राई, बेबी कॉर्न चिल्ली ड्राई, स्पेनिश मशरूम रॉल, योर चीज़ चायना टाउन,.....'
'अबे इत्ता कौन खाएगा" वेटर प्लेट्स रख ही रहा था कि मैंने बोला।
"मैं खाऊँगी, एनी प्रॉब्लम" उसने थोड़े गुस्से से मेरी तरफ देखा।
यार पता नहीं मिलने के लिए बुलाया है या पुराना कोई बदला लेने, वेटर फिर शुरू हो गया,"योर मिजो सूप मैम, एन दिस वन इज योर कैपेचीनो, ....एनीथिंग एल्स मैम ? एनीथिंग इन स्वीट डिश ओर इन आइसक्रीम ?"
"नो नो, इनफ फ़ॉर नाउ,आई विल कॉल यू इफ नीडेड..."
'फाइन थैंक्स मैम'
वो चला गया, पूरा टेबल सजा पड़ा है, पर इत्ता सच मे खाएगा कौन, कितने जन्म से भूखी हो यार। उसकी और देखा वो एक प्लेट उठा कर शुरू भी हो चुकी, मुझसे नजर मिली तो ठूसते ठूसते ही बोली, "फुम फी फो फ़ा..." जानता हूँ सीधा समझ आना थोड़ा मुश्किल है कि उसने क्या कहा, पर एक्सप्रेशन से आईडिया लगा लिया कि ये मुझे भी खाने को कह रही है (तुम भी लो ना),एक हाथ का पंजा दिखाया दूसरा पेट पर लगाया, बोला पेट गड़बड़ है यार तुम खाओ। फिर सोचा ये इतना खाती है तो वो जाता कहाँ है? इल्ली है इल्ली आई मीन घुन्न है घुन्न जितना मर्जी आटा खा ले रहेगी सुकड़ी की सुकड़ी ही। टेबल का कोई कोना खाली नहीं था, पर वो मुँह का माल निगल कर बोली तुम अपने लिए पाइन एप्पल जूस आर्डर कर लो, मैं कुछ न बोला फिर से मेन्यू कार्ड उठा कर देखने लगा, चायनीज प्लेटर= 350/- ?? हाए तेरा सत्यानाश जाए, पनीर मन्चूरियन ड्राई = 575/- ओ तेरा बेड़ा गर्क, बेबी कॉर्न चिल्ली ड्राई = 660/- ओ तेरी भेण...., स्पेनिश मशरूम रॉल= 256/- 😣😣😣 चीज़ चायना टाउन = √£¢¥ कमबख्त मारो ने खुद का दाम साथ मे जोड़ के लिख रखा था। बलिए खाने में फुल ऑन कंसन्ट्रेट किए हुए थी, धीरे से जेब से पर्स निकाल कर चैक किया , चिल्लर समेत 146/- रुपए थे। हाए ओ रब्बा हुण की होसें।
कई फिल्मों में देखा है पैसे न देने पर होटल वाले बर्तन धुलवाया करते हैं, इनका बर्तन धोने का डिपार्टमेंट किधर है पता नही, और क्या पता ये बर्तन धुलवाएँगे या मुझे ही धोएंगे। मारे गए गुलफ़ाम अजी हाँ मारे गए गुलफ़ाम, इसने तो बैठे बैठे 2500-3000 की माता धोक दी, अब भरेगा कौन? इसी को बोल देता हूँ कि तू ही भर तूने ही खाया है, पर तब इज्जत का फालूदा हो जाएगा, ऐसा कौन करता है यार, इससे तो अच्छा चाँद तारे तुड़वा लेती, सहम गया हूँ, डरते डरते फिर नजर घुमाई किशोरियाँ अभी भी आइसक्रीम टूँग रही थी, अब क्या इज्जत रह जाएगी मेरी इनके सामने 😢, फैमिली वाले वैसे ही गुलछर्रे उड़ा रहे, लड़के उठ कर चल दिए है, उनका नींबू पानी सीक्रेट अब रिवील हो चुका है, समझदार थे बेइज्जती के पिज़्ज़ा से इज्जत का नींबू पानी भला। एक किशोरी ने आइसक्रीम खाते खाते मेरी और देखा, मुस्कुराई, देखना ये खूब ज़ोर से हंसेगी जब ये वर्दीधारी वेटर मुझे उठा उठा के पटकेंगे। बलिए का ठूसना अनवरत जारी है, ये जरूर बदहज़मी से मरेगी कभी न कभी, लिख के रख लो। पर ये तो जब मरेगी तब मरेगी मेरा तो बेमौत मरना तय समझो, उस मनहूस घड़ी को कोस रहा हूँ जब इससे मिलने का विचार मन में आया था। किसी ने म्यूजिक चेंज कर दिया, हिंदी गाना चल रहा है, धीमे धीमे,
" ज़िंदा रहने के लिए, तेरी कसम,
इक मुलाकात जरूरी है सनम"
गलत है जी, गाना ही गलत है, बिल्कुल गलत है, एक्चुअली इसे तो यूँ होना चाहिए
"ज़िंदा मरने के लिए, तेरी कसम,
इक मुलाकात ही काफ़ी है सनम।"😢😢😢
खाना हो चुका उसका, अब मेरा जनाज़ा निकलेगा 😢, डर लग रहा है बुहु बुहु, पर रोने से भी क्या फायदा, वो खड़ूस मैनेजर आँसू देख के नही पैसे ले के मानेगा, जो मुझ गरीब के पास है ही नहीं। बलिए हाथ धो रही है, इसके बाद मेरे धुलने की कार्यवाही होने वाली है 😢 भगवान बचा लो, 11/- रुपए का प्रसाद चढ़ाऊँगा, लेकिन यहाँ कौनसी महाभारत चल रही जो भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी की तरह मेरी इज्जत बचाने आ जाएंगे, मेरी ही गलती है, खुद ओखली में सर दिया है अब धमीड़ तो पड़ेंगे ही। पीछे पीछे हो लेता हूँ क्या पता ये खुद ही काउंटर पर पे कर दे, पे करते ही बोल दूंगा की यार तुमने क्यों पे किया मैं दे देता न ऐसा थोड़े न होता है, हाँ यही सही रहेगा। इज्ज़त भी बच जाएगी और धुलाई भी नहीं होगी।
"चलें" उसने पूछा तो मैंने सहमे सहमे ही हाँ में सर हिला दिया, उसने अपना छोटा सा पर्स उठाया। मैं उठ कर मुँह धोने का उपक्रम करने लगा हूँ, ताकि ये थोड़ी आगे चली जाए, पैसे दे दे। पर ये क्या वो तो सीधे निकल गई स्कूटी के पास जाकर खड़ी हो गई। ओ तेरा भला हो, अब क्या होगा, मैं काउंटर के पास आकर मुजरिमों की तरह खड़ा हो गया, वो बाहर से ही चिल्लाई, आई हेव टू गो अरुण, ममा वेट कर रहे होंगे, हम शाम को बात करते हैं, स्कूटी का सेल्फ हुर्ररर किया और फुर्ररर हो गई, चलो अब बेज्जती कम से कम इसके सामने तो नही ही होगी, मैंने मैनेजर की तरफ कातर दृष्टि से देखा। उसने बिल मेरी और बढ़ा दिया , 2868.89 Rs. ओनली... वैट मार के।
' पर मेरे पास अभी पैसे नहीं है सर....'
"कोई बात नहीं, हमें वसूलने आते हैं" मैनेजर बोला।
दो पहलवान टाइप पट्ठे मेरी और आ रहे हैं, देख के ही मुक्कों के डर से चक्कर आ रहे है, गिर पड़ा मैं धम्म से जैसे किसी ने लात मार कर गिराया हो। पलट कर देखा अजीत चिल्ला रहा है मुझ पर , " कब से आवाज लगा रहे हैं उठते ही नहीं हो, बहरे हो का।"
इधर उधर देखा, न गांधी चौक नजर आ रहा था न बसन्त मैंगो बार या उसके वो मोटे बाउंसर, यूँ की मजा आ गया ज़िन्दगी का। उठ कर कपड़े झाड़े, अजीत को गले से लगा लिया, भाई तुझे 7 खून माफ़, तेरी ये लात मुझ पर उधार रही, कभी तेरा ये अहसान ऐसे ही जरूर उतार दूंगा। ऊपर देखा , भगवान मसखरी में कम तो तुम भी नहीं हाँ, बच्चे की जान ले लेते आज तो। 😂😂😂😂😂😂😂
#जयश्रीकृष्ण
©अरुण
Rajpurohit-arun.blogspot.com
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