👫👬💏💑👼👪 लव आज़कल (पंजाबी से हिंदी में अनूदित पोस्ट) ♠♠♠♠♠ .

केमियाणा फरीदकोट का समीपवर्ती छोटा सा गाँव , सुबह के छः बजे हैं, इतनी सुबह भी स्कूल और कॉलेज के बच्चों के कारण बस स्टेण्ड पर खासी भीड़भाड़ थी। अलग अलग कॉलेजों के लड़के लड़कियाँ अलग अलग टोलियां बना कर अपनी बस के इंतज़ार में खड़े थे।
तनु, तरनप्रीत कौर, मेडिकल स्टूडेंट गुरु गोविन्द सिंह मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप होने के कारण, आज पहली बार इस बस अड्डे पर खड़ी थी। केमियाणा में उसकी बहन रहती है, सोचा जितने दिन इंटर्नशिप चलेगी उतने दिन बहन के साथ भी रहने को मिल जाएगा यही सोच के इस कॉलेज का नाम दिया था
था। बस स्टैंड पर उसे यूँ लग रहा था जैसे सब उसी को देख रहे हों, बहुत शर्म और संकोच के साथ वो लड़कियों के झुंड के नजदीक जाकर खड़ी हो गई। लड़कियो ने एक बार नजर उठा कर गांव में नए आए इस चेहरे की तरफ देखा पर फिरपर अगले ही क्षण अपनी बातों में पुनः मशगूल हो गई।
तनु बेहद खूबसूरत नही तो बुरी भी नही थी देखने में, साँवला और गोल चेहरा, तीखे नयन नक्श, बड़ी बड़ी काली आँखे, कुल मिला कर लड़की का लुक अच्छा ही था। थोड़ी देर में बस आई, भीड़ थी पर पंजाबी सभ्याचार देखिये , 'अरे भई महिला सवारियों को सीट दीजिये' एक साथ कई आवाज़ें बस में गूँजी, एक लड़का खड़ा हो गया और तनु को भी सीट मिल गई उसके लिए सीट छोड़ने वाला लड़का वही उसी सीट के पास सट कर खड़ा हो गया। तनु चुपचाप बाहर देख कर सफ़र की समाप्ति की प्रतीक्षा करने लगी। 30 मिनट के बाद वो अपने स्टॉप पर उतरी, उसके साथ कुछ लोग और भी उतरे पर तनु बिना किसी पर ध्यान दिए अपने कॉलेज की और चल पड़ी।
कॉलेज के गेट के पास ही उसे फ्रेंड खुशदीप मिल गई , अच्छा कॉलेज था उसकी शिफ्ट कब बीती पता ही न लगा, दोपहर 2:30 बजे वापसी का रुख किया बस में फिर से भीड़ ही थी ज्यादातर स्टूडेंट ही थे सुबह की तरह, फिर से उसके लिए एक सीट खाली हो गई। बैठते वक़्त उसने कपड़ो से नोटिस किया जिसने उसे सीट दी वो वही सुबह वाला लड़का ही था। बैठते बैठते उसने धीरे से थैंक यू बोला, लड़के से नजरें टकराई तो वो मुस्कुरा भर दिया। तनु चुपचाप बाहर देखने लगी। रोज आना होने लगा, तनु अकेली आती अकेली जाती, लड़का उसे हर दिन बस स्टैंड पर तैयार मिलता , बिन मांगे उसे सीट मिल जाती, अब जब लड़का मुस्कुराता तो वो भी हल्का सा मुस्कुरा देती। एक दिन तनु को कॉलेज से लौटते लौटते 5 बज गए बस स्टैंड पर लड़का बेचैन इधर उधर टहल रहा था। तनु को देख मानो उसे संजीवनी मिल गई खुश हो गया। बस में ज्यादा भीड़ नही थी तनु चुपचाप एक सीट पर बैठ गई, नजर उठा कर देखा तो लड़का ड्राईवर सीट के पास बैठा उसे ही निहार रहा था, तनु ने नजरें झुका ली। सोचने लगी कैसा भोंदु लड़का है रोज साथ आता जाता है पर कुछ भी बोल नही सकता। एक दिन यात्रा के दौरान एक और लड़का जो उसके पास बैठा था, ने उसे सत श्री अकाल बोल उसका नाम पूछा तो उसने निःसंकोच बता दिया।
लड़का कहने लगा 'तरन जी, मेरे उस दोस्त से तो बोला भी नही जाएगा इसलिए मैं ही बोल देता ये आपसे दोस्ती करना चाहता है, अगर आपको ऐतराज़ न हो तो।'
तनु को हँसी आने लगी, सोचा 'अजीब नमूने टाइप के लोग हैं दोस्ती के लिए भी मीडिएटर की जरूरत पड़ रही है और इसे देखो 'आपको ऐतराज़ न हो तो' 😊😊
बोली, ' अरे दोस्त तो कोई भी किसी का भी हो सकता है, इसमें इतना शरमाने वाली क्या बात है ?
लड़का बोला, 'अरे वो सिम्पल वाली नही जी, स्पेशल मेरा मतलब खास वाली दोस्ती करनी है उसको आपसे'
'आपको नही लगता आपका दोस्त कुछ ज्यादा ही अजीब है, अरे जिसका नाम तक नही जानती, उसे खास फ्रेंडशिप चाहिए ? हद है सच में'
'ये भी सही है, चलो आप सिम्पल फ्रेंडशिप ही कर लो'
😊😊😊
***
'नहीं मुझे कुछ नही पता, मैं कुछ नही जानता, आना है मतलब आना है'
'अरे यार बच्चों की तरह जिद मत किया करो तुम, कैसे आउंगी मैं , समझा करो ना'
'ओके ठीक है, अब से कभी मुझसे बात मत करना'
'ये क्या बात हुई यार !? ठीक मैं कोशिश करती हूँ पर कोई प्रॉमिस नही है ओके'
(फोन पर हुई लम्बी कन्वर्सेशन के बाद के कुछ आखिरी संवाद।)
पटियाला सूट में तनु बहुत अच्छी दिख रही थी, उसके कॉफी शॉप में आते ही जशनदीप ने उसकी अगवानी करते हुए कहा, 'आओ जी मालको, पता भी इंतज़ार करते करते 3 कॉफी पी चुका हूँ'
'ठीक है ठीक है कोई बात नही, अब फटाफट एक और पीयो मेरे साथ, मुझे वापस जल्दी जाना है'
'तुम एक काम करो, तुम निकलो यहां से कॉफी भिजवा देता हूँ पार्सल'
'हर समय गुस्सा क्यों होते रहते हो खड़ूस, अच्छा ठीक है 15 मिनट रुकूँगी पर प्लीज़ प्लीज प्लीज़ और रुकने की जिद मत करना'
जशनदीप हँसने लगा, तनु उसके मुस्कुराते चेहरे में खो गई। वो जिसे उससे कुछ भी कहने में शर्म आती थी आज उस पर हक जमाने लगा था, वो जो उसका दोस्त बन कर जिंदगी में आया था आज जिंदगी से बढ़कर मालूम होता था। ये दोस्ती, दोस्ती से बढ़कर वाले रिश्ते में बदलते बदलते बहुत सी सिम्पल मुलाक़ातें, गिफ्ट्स, टेलिकॉम कम्पनियों का रेवेन्यू बढ़ाऊ लम्बी लम्बी बातों का सफर तय कर चुकी थी। तनु ने कभी नही सोचा था की कोई उसके लिए इतना खास हो सकता है, एक डॉक्टर को तो वैसे भी कठोर दिल वाला होना चाहिए न जाने उसके दिल में इतना प्यार कैसे बचा रह गया और तो और कम्प्यूटर इंजीनियर से ? वाकई जोड़ियां रब्ब बना के भेजता है।
'अरे कहाँ खो गई यार, कॉफी खत्म करो अपनी' जशन ने कहा तो वो अपने सर पर हल्की चपत लगा कर मुस्कुरा दी। जशन फिर से मुस्कुराने लगा, तनु ने थोडा ऊपर देखा फिर सोचने लगी 'जिंदगी वाकई खूबसूरत है, थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू बाबा जी'
***
तनु गुस्से से हाथ इधर उधर पटक रही थी।
'क्या हुआ यार ?'
'यार फोन ही नहीं लग रहा, आउट ऑफ़ कवरेज आ रहा है'
'कहीं बाहर गया होगा यार'
'5 दिन हो गए लगातार यही टोन बज रही है' 😢
'किसी काम में बिजी होगा ना, खामखाँ टेंशन ना ले'
'अगर मैं एक बार फोन न उठाऊं तो वो आसमान सर पे उठा लेता है, और खुद का 5 दिन से कोई अता पता नही है'
'अच्छा तूने उसके दोस्त राजवीर से पता किया?'
'अभी उसके पास से ही आ रही हूँ, उसने बोला उसे भी नही पता।' 😢
'ओह, तब तो वाकई टेंशन की बात है, उसके घर चले ?'
'हाँ यार, लगता है जाना ही पड़ेगा'
थोड़ी ही देर में बड़े से महलनुमा घर के दरवाजे पर दस्तक दी, चौकीदार बाहर आया 'हाँ जी मेमशाब'
'वो जशन......'
'उ तो गोया मेमशाब, पोंच रोज हुई गोया।' उसकी बात पूरी होने से पहले ही चौकीदार बोला।
'पर कहाँ गया ?'
'बहार का मुलुक गोया मेमशाब, बोला उदर ई रेगा, उसका शादी भी है।'
'कौनसा मुल्क ? कोई नम्बर वम्बर तो होगा ही'
'उ शब हम नाइ जानता मेमशाब, हमको कोण नम्बर देगा'
'ओह शिट' तनु गिरते गिरते बची।
'संभाल अपने को यार' खुशदीप ने कहा।
तनु अब भी चकरा रही थी, बोली 'सब कुछ, सब कुछ गलत हो गया यार, सब कुछ गलत हो गया'😢
'कुछ नही होगा, तू घबरा मत'
'सब गलत हो गया यार, जस्ट गिव मी ए फेवर प्लीज़'
'हाँ बोल ना'
'यार मुझे एबॉर्शन करवाना है, आई ऍम हैविंग 3 मन्थ प्रेग्नेंसी, सब गलत हो गया यार, सब गलत हो गया, शिट शिट शिट, हुँह लव माय फुट'
‪#‎जयश्रीकृष्ण‬
© अरुण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

🎪🎪🎪🎪 तिरुशनार्थी ♠️♠️♠️♠️

एक बार एग्जाम के लिए तिरुपति गया था। घरवाले बोले जा ही रहे हो तो लगे हाथ बालाजी से भी मिल आना। मुझे भी लगा कि विचार बुरा नहीं है। रास्ते म...