डिस्क्लेमर : पोस्ट की मेरी बातों से आपको मेरे स्वप्रशंसन की अनुभूति हो सकती है, तिस पर इतना ही कहना है की जीवन में ऐसे अवसर बहुत कम आये है जिसमे मेरी तारीफ हो सके। सो चुप रहें और करने दें। :p
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कमियाँ किस इंसान में नही होती, कम या ज्यादा होती जरूर है। तो क्या हुआ अगर मुझमे कुछ ज्यादा ही ज्यादा है 😁 , अब भगवान ने जैसा बनाया वैसा बना दिया, क्यों किसलिए का रोना लेकर सारी जिंदगी झंड बनाये भी तो कब तक? इसलिए ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा चेंज किया हम लोगों ने। (हम लोगों का मतलब जानने के लिए आपको मेरी पिछली पोस्ट "स्वर्ग की सैर" पढ़नी पड़ेगी। :p )
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दिमाग के घोड़े लगातार दौड़ाये जा रहे थे की क्या कब कैसे करना है, लेकिन किसी फाइनल कंक्लूज़न पर पहुँचने में अभी वक़्त था।
मेरा आरआरबी भोपाल का एग्जाम था इंदौर में, शायद गुड्स गार्ड्स मैन्स परीक्षा, इसलिए मैं बी एड सत्र शुरू होने के लगभग डेढ़ महीना बाद कॉलेज पहुंचा था। इस डेढ़ महीने में राजेश ने फुल ऑन फील्डिंग कर रखी थी मेरे लिए, मने की अरुण ये है अरुण वो है टाइप, क्लास टीचर माया रायजादा इतना पक चुकी थी रोज का मेरा गुणगान सुन कर कि अब तो उन्हें भी उत्सुकता होने लगी थी की आखिर रोल नम्बर 149 है कौन ? रोजाना सवाल पूछा जाता पर उत्तर में राजेश मेरी तारीफ करता बस, की मैडम यहाँ जितने भी स्टूडेंट्स हैं उन सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट है वो जल्द ही आने वाला है। 😊 (बाकी स्टूडेंट्स के उस वक़्त क्या रीएक्शन्स होते होंगे, नही पता क्योंकि राजेश ने मुझे उसके बारे में नही बताया।)
खैर ! मैं इंदौर का एग्जाम देते ही सीधा श्रीनगर आ गया, कॉलेज के सभी अध्यापकों ने बड़े सकारात्मक रुख से मेरा स्वागत किया मने की इतना लेट आने पर भी मुझे डाँटा नहीं, बस इतना कहा की अब पता लग जाएगा कितने इंटेलिजेंट हो ?
जितनी मेहनत की जा सकती थी हम दोनों से, वो की, तब तक के लिए उसका इतना फायदा हुआ हमें औसत से अच्छा समझा जाने लगा। माइक्रो टीचिंग के वक़्त सबसे ज्यादा मार्क्स मिले तो थोडा और सुधार आया।
मैंने आपको कभी बताया नही पर मैं औसत से अच्छा गा सकता हूँ और श्री राजेश जी गोस्वामी अच्छे इंसान के साथ बहुत अच्छे डांसर भी है। हमे लगा की एक यही है जो हमे औरों से अलग स्थान दिलवा सकता है।
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समय गुजरता रहा और हम छुट्टी मार के घर पर एक चक्कर लगा आये, 24 घण्टे की थका देने वाली यात्रा के बाद एक दिन विश्राम किया , उसके अगले फिर से कॉलेज का रुख किया, गेट पर ही करमजीत मिला ( करमजीत हमारे ही शहर का रहने वाला है, गोरा लम्बा स्मार्ट सा लड़का ) बोला ' किथे सी एन्ने दिन तुसी ता आखदे सी एनुल फंक्सन च पार्ट लवोंगे, परसो हेगा ओ ता ' (कहाँ थे इतने दिन, तुम लोग तो बोल रहे थे की एनुअल फंक्शन में भाग लोगे, वो तो परसो ही है)
ओ तेरी, अब क्या करेंगे, मेरा तो चलो कुछ भी नही राजेश ने तो उसके लिए बाक़ायदा डांस क्लास तक ज्वाइन की थी एक डांस नम्बर तैयार किया था जबरजस्त, पर सब पर पानी फिर रहा था।
अब क्या करे यार, करमजीत से पूछा तो उसने बताया की तैयारी तो पिछले 10 दिन से चल रही है, सब फिक्स हो चूका है फाइनल स्टेज में है, अब कोई तुम्हारा नाम नही लिखेगा, हाँ चाहो तो रिहर्सल देखने शाम को ऑडिटोरियम में ऊपर आ जाना।
गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर पी जाने के अलावा कोई आप्शन था भी नही, गलती हमारी ही थी।
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ऑडिटोरियम में रिहर्सल में कश्मीरी रउफ नृत्य हो रहा था, हम दोनों रुआँसे एक कोने में खड़े थे। फिर सोचा कोशिश करने में क्या हर्ज है ।
मसरत मैडम के पास जाकर डरते डरते पूछा ,'मैम क्या हम भी फंक्शन का हिस्सा बन सकते हैं ?
'आप लोग कौन हो ? नाइँ नाइँ नाइँ अब कोई हिस्सा विस्सा कुछ नही, इतने दिन से नींद में थे ?'
'मैम हम आज ही आये है राजस्थान से'
'नाइँ नाइँ अब कुछ नही हो सकता, ये लोग पागल थोड़े न है जो दस दिन से तैयारी कर रहे हैं, जाओ आप लोग।'
वापस आ कर फिर से रिहर्सल देखने लगे, लेकिन दिल है की मानता नही बॉस, सोचा एक आखरी ट्राई तो बनती है, पर इस बार थोड़ी स्ट्रेटेजी बदल दी।
राजेश मैडम के पास गया बोला 'मैम प्लीज हिस्सा लेने दीजिये। '
'अरे तुमको समझ क्यों नही आ रहा।'
'मैम मुझे न सही आप उसे हिस्सा लेने दे दो।'
तरक़ीब ने काम किया, मैडम ने थोड़ी सहानुभूति दिखाई, बोली ' किसमे भाग लेना है ?'
'जी, गाने में'
'नाइँ नाइँ गाना नही, गाने वाले पहले से बहुत हो गए है, कश्मीरी पंजाबी, हिमाचली, और जावेद तो बहुत ही अच्छा गाता है'
मैम, ये उन सब से अच्छा गाएगा।'
'नाइँ, नहीं हो सकता, सॉरी'
'मैम कम से कम रिहर्सल में ही गा लेने दीजिये।'
मैडम मुस्कुराई, हम्म, उससे मुझे कोई एतराज़ नही। चलो भेजो उसे।
मैं स्टेज पर गया और मैंने "फिरता रहूँ दर बदर, मिलता नही तेरा निशां" गीत गाया। स्टेज से उतरते वक़्त मैडम ने मेरा नाम पूछा।
'जी अरुण'
'नाम लिख लो इसका' ये बोल कर मैडम फिर से व्यस्त हो गई, मैं मैडम के पास जाकर खड़ा हो गया। मुझे देखा तो उन्होंने पूछा, ' हाँ अब क्या है।'
'जी मैम, पार्ट लेना है न'
'अरे तुम्हारा नाम लिख दिया बेटा'
'थैंक यू मैम, पर मैं अपने लिए नहीं, उसके लिए आया हूँ'
मैम हँसी, और बोली ' ये ठीक है, वो तुम्हारी सिफारिश करने आया और तुम उसकी ? अच्छा बोलो क्या करेगा वो ?'
'जी डांस'
'सॉरी अरुण, ये देख ही रहे हो रउफ हो रहा है, फिर भांगड़ा भी है, गिद्दा भी, और भी ढेर सारे हैं। एक तो राजस्थानी गीत गा कर डांस करेंगे। सॉरी नही हो सकता।'
'मैम, रिहर्सल में ही नाच लेने दो। 'बड़ी मासूमियत से मैंने इसरार किया तो हँसते हँसते मैडम ने हाँ बोल दिया।
राजेश ने क्या जबरदस्त डांस किया, जितने भी लोग उपस्थित थे हॉल में सब तालियाँ बजाने लगे। सीटियों से पूरा हॉल गूँजने लगा।
धीमे से आवाज़ सुनाई दी, नाम नोट करो इसका भी। 😊
अगले दिन राजेश को बुखार आ गया, कॉलेज जा नही पाए, एनुअल फंक्शन के दिन मैंने बदल कर प्यारे मोहन मूवी का गाना,
'तू जहाँ भी जाएगी, तेरे पीछे पीछे मैं आऊंगा,
आई लव यु माय एंजेल, तुझे कभी न मैं भुलाउंगा'
गाया,
राजेश ने उसी 'तेरा सुरूर' गाने के रीमिक्स वर्जन पर ब्लॉक बस्टर परफॉर्म किया।
जब प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन हुआ तो मुझे बेस्ट सोलो सिंगर और राजेश को बेस्ट सोलो डांसर की ट्राफी मिली, कर्मजीत को भी मिला, "बाबाजी का ठुल्लु" :p
रेहाना मैम ने बोला, मुझे पूरे फंक्शन का हाईलाइट तुम्हारा गाना लगा।
माया रायजादा मैम बोली, की ये गाना टीवी पर बहुत बार सुना है पर अच्छा आज लगा है पहली बार।
कॉलेज की सारी लड़कियाँ, लड़के चपरासी प्रिंसिपल सब के सब अब अच्छे से जानते थे की अरुण या राजेश कौन है 😀😁😂
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मिशन सक्सेसफुल
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कॉलेज से घर लौटते हम दोनों के दिल में एक ही ट्रैक चल रहा था
"आज मैं ऊपर, आसमां नीचे,
आज मैं आगे, जमाना है पीछे।।"
#जयश्रीकृष्ण
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