☠👻👹💀🌚🗿🎭🐙💣 खौफ़ का चेहरा ♠♠♠♠♠ *****


गत पोस्ट से अब आगे.......
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हुमैमा चौक से हम चारों लाल चौक के लिए सिटी बस पर सवार हो गए, पता नही क्यों पर मन बड़ा अनमना सा हो रहा था।
खुर्शीद से फिर इसरार किया, भाई कोई एटीएम लाल चौक से पहले मिल जाये तो बता देना।
वो हमारी बात को बड़े हल्के में ले रहा था, लाल चौक हो या कहीं और जाना उसके लिए कोई नई बात तो थी नही, बोला ' आप टेंशन मत लेओ'
लाल चौक से थोडा पहले इक़बाल पार्क के पास एटीएम मशीन लगी दिखी, खुर्शीद ने वही उतार लिया, देखा तो जे एंड के बैंक का एटीएम था, जिसने हमारे sbi कार्ड को मुँह चिढ़ा के लौटा दिया। लाल चौक कुछ ही दूर था तो खुर्शीद बोला पैदल ही चलते हैं।
सबसे आगे खुर्शीद और उसका डरावना दोस्त था, उसके पीछे राजेश , जिसने बाएँ कन्धे पर कैमरा बॉक्स शान से लटका रखा था, उसके ठीक पीछे मैं चल रहा था। लगभग 100 मीटर चले होंगे की एक सुरक्षाकर्मी ने रुकने का इशारा किया, मेरे कदम वहीं रुक गए। राजेश ने शायद सुना नही था, वो धीमे कदमो से मदमस्त हाथी की तरह बढ़ा जा रहा था। सुरक्षाकर्मी की अगली चावेज़ चेतावनी भरे लहज़े में थी। मैंने भी राजेश को ज़ोर से आवाज़ लगाई। इस बार सब रुक गए।
सीआरपीएफ के जवान ने डाँट लगाते हुए कहा, तुम लोगो को सुनाई नही देता, बहरे हो ?
मैं कुछ बोलने ही वाला था की जवान ने मुझे चुपचाप दूर खड़े होने को कहा, अपनी गन दिखाते हुए राजेश से पूछताछ शुरू कर दी। राजेश ने सब व्यथा बताई, कैमरा निकाल कर दिखाया, तो पूछा कहाँ से हो, बताया राजस्थान, मुझसे भी वही सवाल जवाब अलग से किए, फिर हल्की मुस्कुराहट के साथ बोला राजस्थान से हो तो राजस्थानी बोल कर दिखाओ
मैंने कहा ,'थारे जी म आव बो बुलवा लेओ।'
वो हंस कर बोला, मैं भी राजस्थान से ही हूँ। फिर खुर्शीद एंड कम्पनी को कड़ी ताकीद भी की, ये दोनों मेरे भाई है इनको कोई दिक्कत नही होनी चाहिए।
खुर्शीद खिसिया गया, बोला हमारे भी तो भाई है।
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लाल चौक पर सब कुछ सामान्य नही था। न जाने कहाँ से चींटियों की तरह सुरक्षाकर्मियों के दल के दल आ रहे थे। हर आने जाने वाले वाहन की जबरदस्त चेकिंग हो रही थी। खुर्शीद हमे लेकर एक फुटवियर शॉप में आ गया, इत्मिनान से चप्पल खरीदने लगा।
मैंने कहा भाई कुछ गड़बड़ है यहाँ।
मन की उद्विग्नता और बढ़ गई। दुकानदार से पूछा, 'भाई साहब ये सब क्या है ?'
'अभी 5 मिनट पहले 4 मिलिटेंट 2 आर्मीबालो को मार के भाग गए। उन्ही को ढूंढ रहे है।'
राजेश बोला, खुर्शीद तू चल अब यहां से। बड़ी बेफिक्री के साथ खुर्शीद ने चप्पल खरीदी (कमीने से उसके 50 रूपये लेने हैं मुझे, छुट्टे जो नही थे)। रोड क्रॉस कर के एक पतली सी गली में दाखिल हुए, किसी शार्ट कट के चक्कर में,घुसते ही एक और सीआरपीएफ वाला मिला, वही सवाल वही जवाब और उसी ताकीद के साथ बात खत्म हुई, क्योंकि ये साहेब भी राजस्थान से थे, सच पूछो तो डरावने माहौल में भी ये राजस्थानी रणबांकुरे फील गुड़ करवा रहे थे, वहां से चल पड़े लेकिन तभी वो हुआ जो किसी फ़िल्म के सीन की तरह था, पर जिसने हकीकत में हमारी पुंगी बजा दी।
बड़ी मुश्किल से 100 कदम ही चल पाए थे की एक महिंद्रा मिनी ट्रक गली के गेट पर रुका, कम से कम 10 जे एंड के पुलिस के जवान लगभग दौड़ते हुए पीछे से आये और हम चारो को घेर लिया। जवानो ने अपनी अपनी पोजीशन ले ली, खचक खचक गोली लोड करने की एक साथ कई आवाजे गूंजी , मने की जरा सी हरकत हुई और सामने बन्दों की जगह छलनियाँ दिखाई देती।
"हाथ ऊपर, हाथ ऊपर"
एक पुलिसमेन ने अपनी गन से ही इशारा किया।
हम सब अचानक मूर्तिवत हो गए, काटो तो खून नही।
चेहरे पीले पड़ गए, खुर्शीद साहेब जो अब तक सब कुछ कैज़ुअल होकर हैंडल कर रहे थे, बन्दूक की नली को ताकता देख समझ नही सके की बेफिक्री के तोते कब के उड़ चुके है।
एक जवान हमारे धीरे धीरे करीब आया और तलाशी लेने लगा। तभी एक जिप्सी और आई ,एक चश्मिश उतरा, कन्धों पर सितारे और आई पी एस के बैज जगमगा रहे थे। आते ही बोला , इनको गाड़ी में डालो पूछताछ हैड क्वार्टर में करेंगे। हमारी शक्लें रोने वाली हो गई, दिमाग सुन्न हो गया,लगने लगा की आज हमारा अंतिम दिन है, किसी को पता भी नही चलेगा हम कहाँ गए, हो सकता है कल के न्यूज़ पेपर में हमे आतंकी बता कर कोई मैडल ले ले। मौत हमारे ठीक सामने थी, खौफ़ किसे कहते है नज़र आ रहा था।
अब इसे राजेश की समझदारी कहें या बेवकूफी पर उसने धीरे से हाथ नीचे किए और कहा सर हम तो बी एड स्टूडेंट्स है, ये कैमरा ठीक करवाने आये थे। भगवान का शुक्र है की किसी ने गोली नही चलाई, चश्मिश राजेश को अलग ले जा कर पूछताछ करने लगा।
कहाँ से आये हो ?
कहाँ रहते हो?
कहाँ पढ़ते हो?
यहां क्यों आये हो?
राजेश ने डरते डरते ही सही सभी सवालो के जवाब दिए।
चश्मिश बोला, पर तुम मुझे राजस्थानी नही कश्मीरी लग रहे हो।
राजेश बोला सर मैं राजस्थान से हूँ।
'नही कश्मीरी हो।'
'नही सर राजस्थान से हूँ।'
"झूठ बोले तो गोली मार दूंगा, तुम राजस्थान से नही कश्मीर से ही हो। "
राजेश ने मन ही मन दस बारह गन्दे वाली गालियाँ निकाली साले @$%%&* मैं किस एंगल से कश्मीरी लगता हूँ, मेरा रंग कश्मीरियों जैसा है क्या मनहूस ?
पर बड़ी विनम्रता से बोला सर मैं राजस्थान से ही हूँ। एक और बार पूछता तो राजेश वहीं बुक्का फाड़ के रोने लग जाता।
चश्मिश को दया आ गई शायद, उसे छोड़ दिया, मुझसे केबीसी खेलने लगा, सभी सवालो के सही जवाब मिलने और हमारी सारी आई डी चेक कर तसल्ली की।
5 मिनट में जैसे जिस तेजी से आये थे उसी तेजी से लौट भी गए।
हमे लगा जैसे हम पटरियों के बीच लेटे थे और अभी अभी ट्रेन अपनी 10 बोगीयों के साथ दनदनाती हुई हमारे ऊपर से गुजरी है। थोड़ी देर बाद अहसास हुआ की हम ज़िंदा है अभी, दहाड़ मार कर खुर्शीद को कहा, भाड़ में गया कैमरा ठीक करवाना, चूल्हे में गया एटीएम, हम वापस जा रहे है रूम पर, गली के दूसरे छोर से वापसी की बस पकड़ ली।
भइये जान है तो जहान है।
‪#‎जयश्रीकृष्ण‬

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