💬💬💬💬💬💬 बातचीत ♠♠♠♠♠


आज एक महिला मित्र से संवाद करते करते मन किया कि फिजूल गॉसिप करने के बजाय कुछ सार्थक चर्चा की जाये, तो वैसा ही कुछ करने के क्रम में जो बहस हुई उसे यथावत यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। शायद ये आपके लिए कुछ ज्ञानवर्धक या कम से कम मनोरंजक ही हो
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मैं : ये ज्यादातर आतंकी मुस्लिम क्यों होते है ? क्या कारण है ? क्या मुसलमान इतने भोले या बेवकूफ होते हैं की उन्हें कोई भी मजहब के नाम पर मरने मारने को तैयार कर देता है
वो : Iska reply ni dena chahti m
मैं : अरे मैं लड़ने के लिए नही पूछ रहा
कोई वजह तो होगी ना
एक जगह नही है, बहुत सारे उदाहरण है
वो : lkn bat agr age bdhaya to jrur ldne lgega
मैं : इनका ब्रेन वाश करना आसान होता है ?
या ये सॉफ्ट टारगेट होते है
वो : Hahaha jo dikhta h wo hota ni
मैं : पता है जब मैं कश्मीर में था बी एड के लिए, तो वहां हर जुम्मे की नमाज के वक़्त जामा मस्ज़िद में ब्रेन वाश कार्यक्रम चलता था
तुम्हारा मतलब कसाब ने बन्दूक खेलने के लिए ली थी
जो गलती से चल गई और लोग मरे
बेचारे लश्कर वाले भी मासूम होंगे फिर तो
जैश, इंडियन मुजाहिद्दीन, लश्कर
बेचारे
कितना जुल्म हो रहा है सब पर
वो : Kashmir ka topic alg h wo log khud ko kisi or desh ka part nhi mante unki nazro m kashmir e unka desh h
मैं : अगर कोई यही बात पंजाब राजस्थान या किसी और प्रान्त के लिए बोल कर आंतक फैला दे तो वो जायज़ तो नही हो जाएगा
कल को मैं भी बोल दूँ मेरा घर अलग देश है जी मैं नही मानता
मुझे आज़ादी दो
वरना जंग चलेगी
वो : kasab? kitne bhole h na hum log kisi ko b desh m ghusne dete :) wo specl treatmt k sath ? ate kese h ye log hmari cntrym politician ka koi hath ni?
मैं : कौन कैसे घुसा इस पर बात नही हो रही। न ही मुम्बई जैसे हमलो के कारण और निवारण पर चर्चा कर रहा हूँ मैं
वो : बेवकूफी
मैं : ये बताओ की उन 9 लोगों को जो इत्तिफ़ाक से एक बार फिर मुस्लिम थे , का ब्रेन वाश कैसे कर दिया गया
वो : कौन है ये
मैं : क्यों ये लोग मासूमो को मारने को तैयार हो जाते हैं
वो : Tujhe mujh se bat krne m koi intrst ni ha na?
मैं : जिन्होंने कभी किसी का कुछ नही बिगाड़ा
इंटरस्ट है, और बहुत सारा है
और मुझे लगता है तुम निष्पक्षता के साथ सच का साथ डौगी इसलिए पूछ रहा हु
वो : Waqt btaega ek din kon masoomo ko mar ra h m filhal is topic pe behs ni krna chahti
मैं : भविष्य में कब क्या होगा वो ईश्वर जानते है, मैं किसी धर्म मजहब को गलत नही कह रहा हूँ पर कुछ तो गड़बड़ है।
वो : Mujhe to ni lgta k koi intrst h
mujhe to kus or e lg ra h
मैं : तुम्हे ऐसा शायद इसलिए लग रहा है क्योंकि इतेफाक से तुम भी मुस्लिम ही हो, और शायद तुम्हे लगता हो की मैं तुम्हे भी उनमे से एक या उन जैसा मान कर बात कर रहा हूँ। ऐसा तो बिलकुल नही है
वो : Gdbd ki jd pta kya h jews or muslims ki dushmni or politics isse zyada kus gdbd ni
Hmm
मैं : यार ये क्या लॉजिक है, किसी की दुश्मनी किसी से और मरे कोई और ? ये तो कोई जुस्टीफिकेशन नही हुआ
अच्छा तुमको क्या लगता है की कसाब क्या था ?
मासूम ?
वो : Ni jise officr ko marne aya ta wo masoom ta
मैं : मुम्बई हमला हो, देश या विदेश में कोई भी आतंकी हमला हो उसमे मरने वाले ज्यादातर मासूम लोग होते है, कोई बम या गोली धर्म पूछ कर थोड़े न मारती है, आतंक को धर्म से खुद आतंकी जोड़ रहे है, मुझे लगता है मुस्लिमो को इसके खिलाफ एक होकर आवाज़ बुलन्द करनी चाहिए
वो : Kasab ko le k kon aya ? kasab jeso ko bnaya kisne?
hahaha kus yad aa gya mujhe
मैं : फिर से बात डाइवर्ट कर रही हो तुम, बात के मर्म को समझो, कोई अजमल कसाब बन कैसे गया यही तो सवाल है, ऐसा क्या लालच है जो उन्हें ये सब करने पर मजबूर कर रहा है ?
वो : Kya apko pta h america m grmany rus pakistan sese logo ko kharid k agwa krke laya jata h wo b aisi halt m jb unme soch ki shkti ni hoti zyadatr k umr k tkazo se unhe soch ka mtlb tk ni pta ho jis trf mod do mud jate
paisa e bhgwan h logo ka
Mushraf ne apni ek kitab m bde proudly ye likha ta k usne america se dollrs le k ullemao ko becha h
Or fr mushrf ko rokne k lie kitne e ullemao ne desh ki khatir jan di 200 golia apne shareer pe khayi lkn logo un ulema ki qurbani nazr ni ati k wo b muslman te or na sirf muslman blke islam k neta te
or mushrf jese logo ki gaddari khub yad rehti h or uska dhrm b jb k dhrm ki sbse bdi nishani ka to uske chehre pe namo nishan ni
मैं : आप मेरी बात के अंश को छु भर पाई है। सिर्फ पाकिस्तान प्रायोजित आतंक पर बात नही कर रहे हम, अगर ऐसा होता तो विश्व के अन्य भागो में पूर्ण शांति होती, रूस में चेचन्या, चीन जर्मनी फ़्रांस जैसे न जाने कितने देश ऐसे है जो मुस्लिम अतिवादियों के कहर को झेल रहे हैं, प्रश्न ये है की सिर्फ इस्लाम ही आतंक के पर्याय जे रूप में क्यों कुख्यात होता जा रहा है, ऐसा क्या है जो मुस्लिम बड़ी आसानी से उन लोगो की कठपुतली बन कर मानवता के विरुद्ध उठ खड़े हो रहे है ?
वो : Mene bs pakistan ki exampl di ti
मैं : पता चल गया, पर ये वैश्विक समस्या है
विषय की गम्भीरता को समझे कृपया
अगर आतंक के मूल को जान कर उस पर प्रहार नही किया गया तो ऐसे मुशर्रफ हाफिज, ओसामा और होंगे, होते रहेंगे।
वो : ek bat bolu muslim mtlb atankwadi ye titl copy ryt h hmara usse koi frk ni pdta k hm atnkwadi h ya khud ka bachao kr re hmara zor se bolna tk atnkwad m shumar hota h
Logo m jb paiso ki bhuk mit jaegi khud e solve ho jaega sb kus
मैं : देखो अब तुम्हे ये बताने की जरूरत नही की तुम कौन और क्या हो, न ही मैंने कहीं ये कहा है की सभी मुस्लिम आतंकी होते है। पर सभी आतंकी (९९%) मुस्लिम ही होते है, इसका कारण क्या है
तुम्हारा कहने का मतलब , आतंकी सिर्फ पैसे के लिए ये सब करते है ?
मैं नही मानता
याकूब मेनन, टाइगर मेनन, दाऊद ये सब तो बहुत पैसे वाले है, isis का सरगना बगदादी भी बहुत पैसे वाला है फिर उन्हें क्या जरूरत है मासूम लोगो को मरवाने की
वो : peshawr attack yad h?
मैं : किसी स्पेसिफिक अटैक की बात नही हो रही यार, क्यों मारते है ये लोग
क्या दिक्कत है इनको
वो: hindu ni ta usme koi?
मैं : क्या किसी धर्म में ऐसा लिखा है ? नही न, तो फिर क्यों
हिन्दू मुस्लिम मत करो, आतंकी किसी का मजहब पूछ के नही मारते। यही तो समझने की जरूरत है। पर जो मारने आते है उन्हें कुछ समझ क्यों नही आता
वो: Kyu marte ki bat ni ho ri tu keh ra h k muslims e atankwadi kyo hote h
मैं: पेशावर अटैक का उदाहरण लेना है, लो, मान लिया की कोई भी हिन्दू नही मर उसमे, उससे क्या ? जो मारने आये थे वो आरएसएस वाले थे ये बोलना चाहती हो ? यार लॉजिकल बनो न प्लीज़
वो: Mujhe to paiso k kus karn nazr ni ata rehnuma paisa le k am dheshwasio m unke dhrm stats cast creed ko zriya bna k unhe bdkate h brain wash krte h or sb lg jate h mar kat m
मैं: यार ये ब्रेन वाश का कांसेप्ट ही तो समझना है
ऐसा क्या कहते है वो लोग?
जिहाद करो और वो लोग जिहादी बन जाते हैं?
वो: Ni ye ni keh ri puch ri hu peshawr attck m kon marne aya ta unhe?
मैं:ये लो इत्ते पैसे, मार डालो अल्लाह हू अकबर बोल के, और वो शुरू हो जाते है ? ऐसा तो नही होता होगा
वो: Zihad wrd bich m mt la kon kr rha h zihad btaoge?
मैं: ये तो जाँच एजेंसीज़ को पता होगा, शायद किसी तहरीक इ तालिबान का नाम आया था, अगर मैं गलत हूँ तो करेक्ट कर देना
वो: Allah hu akbar bolenge tbi to mqsd pura hoga agr muslmano pr ilzam na aya to itni mehnt ka fayda?
मैं: जिहाद शब्द बीच में नही, शुरुआत में आता है यार, मुझे लगता है इस शब्द की जितनी गलत व्याख्या हुई है शायद किसी और शब्द की नही हुई
वो: Yups tahreeke taliban k so calld zihadi te
मैं: तभी तो मैं कह रहा हूँ यार मुसलमानो को इनका विरोध करना चाहिए, न की इन्हें जस्टिफाई किया जाये
वो: acha to ap ko kya lgta h wo sch m zihadi te?
Correct virod kese kre?
मैं: मुझे क्या लगेगा यार, मैं कोई इस्लामिक स्कॉलर भी होता तो कुछ बताने की कोशिस कर पाता, जिहाद के नाम पर बरगलाया गया आतंकी गाज़ी नही हो सकता, इतना पता है बस
हर तरह से, धर्म के प्रमुख मौलवियो द्वारा, आमजन द्वारा सब तरह से, बहुत सारे तरीके भी है
वो: Wo sb ki pith pe tatoo ta
or zihad m jo insan jata h usko jruri h k islam k frz ada kre yani most importnt namaz ka pabnd ho
or tatoo is bat ki gwahi h k unho ne zindgi m shayd e kbi namaz pdhi hogi fr zihadi kese? yani zihad ko bdnam krne ki koshish ti ye or to or unsb ka link londn or america se juda ta infact educatn b
yani ek pathr se do nishane dhrm b bdnam kr dia or atank b mcha dia
yani muslims agr currupt h to molivio dwara curruptn dur ho skta h?
Ryt? mtlb hme muslmano ki sikhsha prnali sudharni chahie hain na?
मैं:करप्शन ही सही, पर अगर मजहब पर उंगली उठे तो अपने आप को उन सब से अलग करते हुए विरोध दर्ज करवाना उनका दायित्व बनता है।
वो: hmm
मैं: जी बिलकुल, शिक्षा प्रणाली में सुधार तो अपेक्षित है ही, साथ ही साथ किसी मजहबी पुस्तक की किसी विशिष्ट आयत सूरा हदीस की यदि कोई गलत व्याख्या की जा रही हो किसी को बरगलाने, ब्रेन वाश करने के लिए तो भी प्रयास करने चाहिए, हो सके तो ऐसी विवादित बाते हटा दी जानी चाइये वो न हो तो संशोधित और परिमार्जित शुद्ध व्याख्या पर बल दिया जाना चाहिए जिससे धर्म के नाम पर कोई भ्रान्ति न फैले।
वो: siksha prnali to tb sudhregi jb desh mdrso ko smman milega lkn yha to politician mdrse bnd krwane m lge h aaye din muslmano or mdrso pe tipnia aa ri h mdrso me ghus k hmare apne fozi 5 sal tk k bacho ko uda dete h kehte sala atankwadi ta mdrso s atank faila re h ab agr 5 sal ka bcha atnkwadi h to masoom kon h mujhe ni pta g
Or galt surah hadees ki tensn mt lo dunia m kisi ki itni auqat ni k quran ko crrupt kr ske Khuda ne quran ki hifazt apne jimme le rkhi h or iska saboot h ye k in lgbhg 1500 salo m quraan ki ek matra bindi tk crrupt ni hui
ab agr log quran chor k dusri jagaho se quran k surah ka gayan lenge to educatn to crrupt hogi e
simple sa ilaz h mdrso k raste muskile na paida kre koi taki dini taleem asan ho logo k lie
मैं: बस यही वो समस्या है जिसके इलाज की जरूरत है, जड़ता मृत्यु का प्रथम लक्षण है आप वही हुए जा रहे है " किसी की औकात नहीं है" टाइप के जुमले इसी जड़ता और मानसिक विमन्दता के सूचक हैं।
मेरे पूर्व मैसेज को पुनः पढ़े , तब तक जब तक समझ न जाएँ, मैंने क्या निवेदन किया था ? यही न कि "अगर" कुछ ऐसा है जिसका गलत प्रयोग सम्भव है, उसे बदला जाना चाहिए या उसकी सही व्याख्या को लोगो के सामने लाना चाहिए। अगर कुछ है तो। कुछ गलत कहा ? पर नहीं, यही आकर आप और शायद बहुतो को उन्माद घेर लेता जिसका फायदा मुशर्रफ हाफिज और बगदादी जैसे लोग उठाते हैं। क्या लगता है आपको आज के वैज्ञानिक युग में कोई आसमानी ख्याली बातों पर यकीन करेगा ? मान्यता अलग वस्तु है, होनी भी चाहिए पर किस हद तक ? इसकी स्पष्ट रेखा है कोई आपके सामने ? ईश्वर में भरोसा रखिये, चाहे जिस किसी भी नाम से रखे, किसी को कोई आपत्ति क्यों होगी भला, पर दिक्कत ये है की इस्लाम के नाम पर कट्टरता को दिमाग में इस कदर ठूस दिया गया है की प्रत्येक तर्कसंगत बात, भले ही आप मन से उसे सत्य स्वीकारें, धर्मान्धता उसे स्वीकारने से मन कर देती है।
धार्मिक पुस्तकें निश्चय ही बहुत शोध के बाद बहुत गुणी लोगो द्वारा रची गई होंगी, पर परिवर्तन संसार का नियम है, समय के साथ मान्यताएं, आदर्श , विचार , आचार, व्यवहार यहां तक की उनका पालन करने वाले व्यक्तियों की शारीरिक संरचना तक में आमूल चूल परिवर्तन हो जाते है। यथा प्रत्येक परिवर्तन में सकारात्मकता अवश्य देखी जानी चाहिए, समय के साथ यदि कुछ अप्रासंगिक हो गया है तो बदला भी जाना चाहिए, आप हिंदुओं की बहुत सी कुप्रथाओं को उदाहरण स्वरुप ले सकती हैं जिन्हें बदल दिया गया है, अगर अब भी कुछ है तो उनको भी बदला जाना चाहिए।
दिक्कत इस्लाम में कहीं नही है, किसी धर्म में नही हो सकती, दिक्कत उनको मानने वालो में है, जो जड़ हो गए हैं, और अगर कोई उनको आइना दिखाने की नाकाम कोशिश करता भी है तो वो उसे अपना हितैषी नही अनर्गल प्रलापी समझते है।
खैर, धन्यवाद , मुझे मेरे प्रश्नो का उत्तर आपने दे दिया, चाहे अनचाहे। आप अपनी यथास्थिति बनाये रखे
ईश्वर आपका कल्याण करें।
जय श्री कृष्ण
वो: Bdlao ki jrurt insan ki likhi kitabo ko hoti h kyoki insan glti ka putla h ishwr glti ni krta na e uske kalam ko changes ki jrurt h infact problm b tbi s shuru hui jaha uske kalam m hera fera shuru kr d logo ne asmani kalam hr yug m dhhl jati h bdlaw ki jrurt ni ise muslim agr aj khsare m h to quran se dur hone ki wajh se
Or vinrmta ki hd e ni ap ki :D puchhte h k muslim e zyadatr atnkwadi kyo
aisa ap ko lgta hoga mujhe to bs muslims e mjlum nzr ate hr jgh muslims ko unke dhrm k wajh se tkleef pohnchayi jati or jb glti se ek muslman khada ho jae ap k samne to log use defeat krne k lie atkwad ki chadr ka sahara lete doubl standrd peopl
america m ek bche ne arabic m america ki desh bhkti song gaya to srkar ne scul bnd krne ki dhmki de dali or fr whi log individual ryt ki bat krte h jb tk osama america k unglio pe nach ra ta tb to logo ko bda psnd ta lkn jb america k against hua to atnkwadi kehlane lga
log whi smjhte h jo america iran isryl jese desh logo k samne unhe presnt krte
rhi kashmir ki bat to unke b hal smjhne ki koshish kr lia kro india or pakistan k bich m pis rhe h bechare unko unke e ghr m rkh k zanjeero m bandh rkha h
hmare bahadur sainik unhi ki nazro k samne unki maa behno ki izzt lut'te h bechare zindgi bchane k dr dadhia ktwa dete in sb k bawjud ap unse kya xpect krte ho insan e h bechate frishte ni h
India or baki desho muslims aurte h jo chah k b burqa ni dal skti mrd dr ki wjaho se dadhia mundwae firte h china m to muslims ko roja tk ni rkhne dete mar mar kr roza tudwa dete h becharo k hmari to hr bat e buri h
Brma k muslims k sath kia hua ? unhe apna e peshab pine pe mjbur kr dia itna zulm
philistin dekh lo world history m sb se zyada julm philistinio pe hote ate fr b unhe e atnkwadi kaha jata h
Asam m kya ho ra h koi muslim atnkwadi h waha
?
Asal ap logo ki problm atnkwad ni muslman h bhle e zuban se na bolo pr lehze to bol e jate h
Khair insaf krne wala baitha log ko unke sbr ka sila mil e jaega
last thing faltu k behas chrcha vichar krne se kus ni hoga itne salo se bs yhi to hota aa ra mujhe aisi bkwaso m koi intrst ni
rhi deshbkti dikhane ki bat to m or meri family aisa koi kam ni krti jo indian low k against ho ya gaddari ka saboot i thnk itna e kafi h
मैं: मुझे आपके तर्कों पर हँसी आती है मोहतरमा, अमेरिका ने ये किया , फौजियों ने बच्चे की हत्या कर दी मदरसे में, लोग अमेरिका और इजराइल से सब सीखते है ? और आतंकी मासूम होते है ? भई बलिहारी आपकी सोच के, ईश्वर ऐसी सोच से बचाये।
पुरे विश्व में वही होता है जो ये देश चाहते है ? और ये आतंकी तो इतने नादान होते है की अमेरिका या उस जैसे अन्य किसी पूंजीपति देश का कहा आकाशवाणी या आपके शब्दों में आयत ही मान लेते है जिसे टाला नही जा सकता। और ये मासूम नादान परिंदे शुरू हो जाते है मानवता का उद्धार करने के अपने पुनीत कार्य में। है ना ?
भई वाह।
आपके पास कोई भी तार्किक उत्तर नही है, जड़ता के अतिरिक्त कोई कारण ही नही है की आप बिदक जाते हो, की अरे हमारी किताब तो परफेक्ट है जी, मुल्ला जी ने बोला है टपकाना ही सही है जन्नत जो जाना है 72 हूरे पानी है, वहां शहद के झरने है जी, और बजी पता नही कितनी गप्प है, आप ही जाने। ब्रेन वाश इसी तरह होता है, पता लग गया।
चलिए आप कहती हो तो मान लिया की फलां फलां ने फलां फलां मुस्लिम को मार दिया। गलत हुआ? मैं भी कहता हूँ और मानता हूँ कसम से, की गलत हुआ, नही होना चाहिए। हो सके तो दोषी को दण्डित किया जाना चाहिए। पर स्वविवेक से दोष निर्धारण कर सज़ा देने का हक़ किसने दिया आपको ? मुम्बई या पेशावर जैसे आतंकी हमलो को कोई कैसे तर्कसंगत बता सकता है? क्या वो भी न्याय प्रदान करने का प्रयास किया था आपके मासूमों ने ?
कश्मीर कितनी बार गई हैं आप ? मैं 6 महीने रहा हूँ वहां। आर्टिकल 370 पढ़ा है कभी ? मैंने पढ़ा है, कभी सोचा की उसकी आवश्यकता ही क्यों आन पड़ी ? आप जानते हो आज़ाद कश्मीर गुलाम कश्मीर की थ्योरी और उसकी सच्चाई ? बिना पूरी सच्चाई जाने टिप्पणी करना मूर्खता कहलाता है , और आओ वही कर रही है। कश्मीर की महिलाओ का दर्द आपको दिखा, कश्मीरी पण्डित दिखे कभी ? उनके साथ क्या क्या हुआ, कभी जानने की चेष्टा की, मन भी किया ? केवल धर्म के आधार पर सेलेक्टिव होकर विचार करना आपकी बौद्धिक विचारशून्यता दर्शाता है। सेना ने ये किया वो किया , बड़े ज़ोर से बोल दिया पर सेना ने जो जो झेला उसके बारे में भी पता है ? वहां के लोग छद्म युद्ध लड़ रहे है अपनी ही सेना से, और युद्ध हो या प्रेम में सब जायज़ होता है, बड़ी पुराणी कहावत है जी।
असम में अस्थिरता फ़ैलाने वाले और वहां की मुख्य समस्या अवैध रूप से वहां निवास कर रहे बांग्लादेशी है, जो इस देश का खा कर यहाँ के निवासियों के अधिकारों में सेंध लगा रहे है, जिनका मुख्य व्यवसाय तस्करी है। आप क्या चाहती हो ऐसे लोगों को धर्म के चश्मे से देखा जाये, करने दिया जाये जो कर सकते है ? आँखे खोलिए देवी जी।
बर्मा चीन या और भी किसी जगह मुस्लिमो के साथ गलत होता है ? पर मुस्लिमों के साथ ही क्यूँ? विचार किया कभी? ऐसा तो सम्भव नही की प्रत्येक व्यक्ति का जन्म ही मुस्लिम संहार के लिए ही हुआ हो। अपने मासूमों से कहिये की अंतर्मन में झांके, कारण बड़े स्पष्ट शब्दों में नज़र आ जाएगा। अगर लोग आपका विरोध कर रहे है तो कारण वो खुद है, मानवता की हत्या करेंगे तो कोई भी समर्थन क्यों करेगा।
रही बात आतंकवाद पर मेरे दृष्टिकोण की, तो वो आप तय नही करोगे कि मैं किसे क्या समझता हूँ, मुझे व्यक्तिगत रूप से मुस्लिमो से कोई दिक्कत न थी न होगी। पर जब कुछ जाहिल आतंकियों को आप जैसे पढ़े लिखे लोग मासूम 'मजलूम' कह कर पुकारते है तो मन बहुत खट्टा हो जाता है, ये मानसिक दिवालियापन नही तो क्या कहा जाएगा? घृणा आधारित रक्तपात पुनीत कैसे हो सकता है ?
आपको अपनी सफाई में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं, न मुझे आपकी निष्ठा पर कोई सन्देह है। लेकिन आपके उपरोक्त कथनो में जब आप 'इंडिया और बाकी देश' शब्द लिखती है तो मन प्रश्न करता है की क्या आप इस देश की निवासी नही हो, इंडिया की जगह मेरा देश क्यों नही कहा। अगर कोई दिक्कत है तो यहां लोकतन्त्र है, न कोई आपको या किसी को बुरका पहनने से रोक सकता है यहां। फ़्रांस में रोक लगी है , कारण फिर से वही मासूम है जिन्होंने आपकी कौम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्या करेंगे अपने देश को बचाने की कौशिश करने वाले ? ये बोलेंगे की आओ किसी आवरण में छुपकर आओ बम फोड़ो, निरीह लोगो को मारो, की फर्क पेंदा ए, और पैदा हो जाएंगे ? ऐसी सोच किसी भी देश की नही हो सकती होनी भी नही चाहिए।
खैर! आपने तो पूरी बहस को तहस नहस कर दिया। मुद्दा तो ये था की मुस्लिम क्यों भटक जाते है, और इस भटकाव को कैसे रोक सकते है
किसी विशिष्ट घटना के सन्दर्भ में इसे समझने की जरूरत ही नही थी, लेकिन आपने बता दिया की आप कुछ भी होने से पहले मजहबी है, जिनके लिए आसमानी किताब सब कुछ है। आपको आपकी निष्ठा मुबारक, पर ईश्वर के लिए, अगर सम्भव हो सके तो उसे मानवता की हत्या का हथियार न बनने दे।
वो: To hns len na mene kon sa mna kia h
M b hns ri hu ha ha ha fyn ? :)
Ek bat batao jb apko pta h k bndi satisfy ni kr skti to kahe ko ye betukana swal kr k apna tym waste krte ho ka irada h? koi makhml k kpde m chappl lpet k marna to ap se sikhe slute u man :p
ek chiz clear kr du or waqai is bar m bht serious hu
agr ap ki nzro m meri koi izzat ni, mujh se bat krne m koi intrest ni apko, ya fr ya fr frnd k bjae ap mujhe muslim smjh k nicha dikha m apne ego or gayan ko satisfy krna chahte h to plzzz mujhe pehle e bta den thu h mujhpe jo mene kbi apko tang krne ki koshish b ki to
Atleast isse hum dono ek dusre ki nazro m girne se bch jaenge
Kasam se keh ri hu jo hmara past rha h uske lie ye bht jruri h :p
मैं: देखिये ना तो मैं कोई ज्ञानी हूँ न शेखी बघारना ही आता है, भई जो चीज है ही नही उस पर गर्व क्यों करेगा कोई।
हो सकता है आपको मेरा सवाल कतिपय कारणों से बेतुका लगा हो, पर ऐसा बिलकुल भी नही है की उसका उत्तर आपको ज्ञात नही, हाँ ये और बात है जो उत्तर है कदाचित उसे आपकी धर्मान्धता स्वीकारने नही दे रही। प्रश्न अपने आपसे करिये, क्योंकि उस उत्तर की आवश्यकता मुझसे कहीं ज्यादा आपको है ।
शेष, न आपसे बात करने में मुझे कोई असुविधा हो रही है न कोई अन्य कारण है जिसका उल्लेख आवश्यक हो। नजरो में गिरने उठने जैसा कारण ये वार्ता बने इसकी भी अपेक्षा नही की जानी चाहिए, जैसा की मैंने पूर्व में उद्धृत किया , इस प्रकार की वार्ता सदैव सार्थक ही होती है यदि उन्हें स्वस्थ मन से किया जाये।
जय श्री कृष्ण
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विचार कीजिये, और कुछ समझ में आये तो कृपया इस नासमझ को भी जरूर अवगत करावें।
धन्यवाद
‪#‎जयश्रीकृष्ण‬

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🎪🎪🎪🎪 तिरुशनार्थी ♠️♠️♠️♠️

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