जीवन उतार चढ़ाव का नाम है, कभी अच्छा तो कभी बुरा , चलता रहता है। हाँ अच्छे और बुरे की परिभाषा व्यक्ति के स्तर पर भिन्न हो सकती है। खैर आपको कोई दार्शनिक व्याख्यान देना मेरा उद्देश्य नही, न ही मेरी बौद्धिक क्षमता के चलते वो मेरे लिए सम्भव ही है। कल इनबॉक्स में एक मित्र से चैटियाते समय उसने मेरी पिछली दो पोस्ट को लेकर कहा की तुमने तो बड़े मजे किये यार। 😊
हम्म, कुछ और भी है जो छूट गया था, शायद।
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युसूफ अंकल और कई अन्य कश्मीरी विद्वानों से हमे ये ज्ञान प्राप्त हुआ की जीवन की सारी सच्चाई अगर कहीं है तो वो सिर्फ और सिर्फ कुरान में। इसको खुदा ने खुद लिखा है, इसलिए इससे पहले जितनी भी पुस्तकें आई हैं वो रद्द की जाती है। :p कयामत के बाद मुसलमान फिर से जिन्दा किये जाएंगे, उनकी आँखे सर पर होंगी , बला बला।
ये भी सुना कि नेक्स्ट टाइम जब भी हमे कश्मीर आना होगा तो पासपोर्ट लेकर आना पड़ेगा। आज़ादी लेकर रहेंगे जी।
मन में प्रश्न उठा, किससे और क्यों ?
तो जवाब मिला, भारत के कब्जे वाला हिस्सा गुलाम कश्मीर है और पाक अधिकृत कश्मीर आज़ाद कश्मीर। सिम्पल है क्योंकि यहां मुख्यमंत्री मने सदर होते हैं वहां प्रधानमन्त्री बोले तो वजीर ए आज़म।
बेचारे भोले लोग ये भी नही जानते की कश्मीर का एक हिस्सा अब चीन के पास भी है, आज़ाद और गुलाम के बाद उसे पता नही क्या नाम देंगे।
मोरल ऑफ़ दी स्टोरी ये है की ज्यादातर कश्मीरी खुद को भारतीय नही मानते। और वो ऐसा ही मानते भी रहें इसके लिए लगातार वहां अलगाववादियों के ब्रेन वाश कार्यक्रम चलते है।
कहीं पढ़ा था मैंने की आज़ादी के बाद से आज तक कश्मीर को जितना पैसा दिया है भारत सरकार ने, अगर वास्तव में धरातल पर लगता तो वहां की सड़कें सोने की होती। ये कितना सच है कितना झूठ वो नही पता, पर आतंक से रक्षा करने वाली हमारी सेना पर आये दिन हमले होते है, कब कहाँ से मौत आ जाये नही पता।
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श्रीनगर में लाल चौक ,शहर का दिल, पर ऐसी जगह जहाँ हर हफ्ते धमाके हुआ करते थे। ये हमे तब पता लगा जब एक दिन घर से फोन आया की किधर हो ? हम अपने रूम में ही थे। पता लगा लाल चौक की किसी बिल्डिंग में आतंकी घुस आये थे Ganga Mahto भैया वाली अंजना भौजी आजतक पर लाइव ढ़ढ़ढ़ढ़ टेलीकास्ट कर रही थी। हमने भी टीवी चलाया तो देखा
की ये वो जगह थी जहाँ हम एक दिन पहले ही खुले राजस्थानी सांड की तरह घूम रहे थे। आवाज़ नही हुई पर कहीं कुछ फटा जरूर था जो हम दोनों को गहराई तक महसूस हुआ।
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एक दिन पैसे निकलवाने थे एटीएम से, सो उसी लाल चौक जाना था। सबके कार्ड इकट्ठे किये और निश्चय हुआ की कोई एक जा कर पैसे ले आएगा। पर, लाल चौक !?
मेरे पास एक कैमरा था, बड़े वाला, जिसमे फ़्लैश के लिए लाइट अलग से लगी होती है। उसकी मोटर काम नही कर रही थी मने की पिच्चर रोल अटक गया था। हुमैमा चौक के आस पास ,जहां हम रहते थे, सब स्टूडियो वालो को दिखाया, उन्होंने इंकार में सर हिलाते हुए बताया, लाल चौक ले जाना पड़ेगा, वो तो ठीक है पर लाल चौक !?
आखिर हिम्मत कर के हम दोनों ने ही जाने का निश्चय किया, फिर अचानक ख्याल आया क्यों न खुर्शीद (युसूफ अंकल का बेटा) को भी ले चले, उसे बुलाया तो वो तुरन्त आ गया, अपने साथ एक और नमूने को भी साथ लाया। पतला, लम्बा चेहरा , तीखे नयन नक्श, बीच की मांग निकाल कर बेतरतीब बिखरे से बाल, एक आँख में ललाई लिए हुए ये नमूना हमे फुल ऑन आतंकी लग रहा था। खुर्शीद ने बताया ये केबल का काम करता है, इसे भी कुछ काम है, ले चलते है साथ ही। खुर्शीद से कड़ी ताकीद की कि भाई कैमरा ठीक हो न हो, जो भी नजदीक का एटीएम हो वही ले चल, बस।
अरे लॉल चौक ही जाना होगा।
क्रमशः.............
#जयश्रीकृष्ण
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