👧👩👯💇👰 कजरी ♠♠♠♠♠


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'सुनिए',
'अरे भई आप ही से कह रहा हूँ'
अमित कुछ पढ़ रहा था, अचानक इस तरह पुकारे जाने पर चौंक गया, फिर अपनी प्रश्नवाचक आँखें दौड़ाई तो देखा , सामने की बर्थ पर एक अधेड़ सज्जन, उम्र लगभग 45-50 साल, एक घूंघट वाली महिला के साथ बैठे अजीब सी मुस्कान लिए उसी को देख रहे थे।
'आप का नाम अमित है ?'
'जी, पर आप कैसे जानते हैं? माफ़ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही'
'अरे भई माफ़ी वाफी छोडो, उसकी कोई जरूरत नही। और मैं तो ये भी जानता हूँ की आप सरदारशहर के पास छोटी सवाई के रहने वाले हो, बोलो है के नई ?'
'जी आप सही है साहेब, पर मैंने अब भी आपको पहचाना नहीं'
खुद के लिए साहेब का सम्बोधन सुना तो वो सज्जन हँस पड़े उनकी तोंद थिरकी, फिर बोले, 'ज्यादा दिमाग पर जोर मत दीजिये, हम वाकई इससे पहले कभी नही मिले हैं, और एक दूसरे को जानते भी नही।'
'तो फिर ......कैसे?'
'अरे भई हमारी श्रीमती जी आपको जानती हैं, कजरी नाम है इनका'
'कजरी!?' नाम सुन कर अमित चौंक गया। उसे यकीन ही नही हुआ की ये कजरी है। ये जो लम्बा सा घूँघट ओढ़े चुपचाप बैठी है, वो कजरी कैसे हो सकती है? जिस कजरी को वो जानता है वो तो ऐसी बिलकुल नही थी हो ही नही सकती थी।
***
5 साल हुए, अमित बीएससी प्रथम वर्ष में था तो मौसी जी के लड़के की शादी में गाँव जाना हुआ। राजस्थानी शादियों में उमंग, उत्साह और आनंद, वर्णन नही अनुभव की विषयवस्तु है। तिलक लगाकर अमित को घर में प्रवेश करते ही भीतर चल रहे वैवाहिक अनुष्ठान की भीनी महक आनी शुरू हो गई। सबसे मुलाकात कर वो चुपके से बाहर के कमरे में बैठ गया, तभी अमित की मौसी जी की बेटी उसे वापस अंदर ले गई।
'क्या भाई, इतने सालों बाद आये हो और यहां चुपचाप छुप के बैठे हो ?'
'अरे नही ऐसी तो कोई बात नहीं' कह कर अमित ने नजरें झुका ली। दरअसल वहां और भी बहुत सी लड़कियाँ थी। अनजान लड़कियों को देख कर बेचारा अमित थोडा असहज हो रहा था। तभी एक लड़की का स्वर सुनाई दिया।
'तो फिर कैसी बात है जी?'
अमित ने नजरें उठाई तो देखा, दो गहरी नीली मुस्कुराती आँखे उसे निहार रही थी।
'ज ज जी' अमित बोला तो मुस्कुराहट खिलखिलाहट में बदल गई। बाकि लड़कियां भी उस नीले नयनों वाली के साथ हँसने लगी।
'ए कजरी, मेरे भाई को छेड़ मत' नेहा ने डाँटते हुए कहा तो नीली आंखों वाली लड़की हंसते हुए बोली, 'अरे अब तक तो सुना था लड़के छेड़ते है लड़कियों को, तेरा भाई पहला है जिसे कोई लड़की छेड़ रही है, तुझे तो खुश होना चाहिए यार।'
'और आप यहां भोंदु की तरह मुँह बना के क्यों खड़े हैं , अरे भाई की शादी है कुछ नाच गाना करना है के नहीं?'
'पर मुझे नाचना नही आता'
'टेंशन मत लो थोड़ी देर में सब आ जाएगा'
डी जे पर कजरी अमित को किसी कठपुतली की तरह नचा रही थी, मानो वो कोई रबर का गुड्डा है जिसे जिधर चाहो मोड़ दो। अमित को अजीब लग रहा था पर कुछ कुछ अच्छा भी लग रहा था, जो हो रहा था होने दिया। अमित उस अज्ञातयौवना की शरारतों से मुग्ध न जाने किस लोक में खोया हुआ था।
हमेशा यही होता था की कोई भी फंक्शन खत्म होने से पहले अमित वहाँ से भागने का जुगाड़ लगाने लगता था पर इस बार शादी के 4 दिन बाद तक वो वही रुक रहा। कजरी के बारे में कुछ और जो जानना था। कजरी नेहा की सहेली थी, बिंदास खिलंदड़ और मस्तमौला। गाँव की लड़कियाँ के बीच वो बिलकुल अलग लगती थी, इन 4 अतिरिक्त दिनों में अमित को उंसके बारे में और जानने का मौका मिल गया, वो सरदारशहर से थी। गाँव के लाइफ स्टाइल के विपरीत बिलकुल मॉर्डन कपड़े पहनती थी, छोटी सी उम्र में बड़े बड़े सपने उसकी नीली आँखों में बसते थे। अमित जब भी उसे देखता उसकी धड़कने तेज़ होने लगती, बाली उमर में विपरीत लिंगी आकषर्ण वाकई बड़ा प्रभावी होता है। अमित भी कजरी की और खिंचा चला जा रहा था की कजरी को उसके भैया लेने आ गए और वो चली गई, बहुत कुछ कहना था पर अमित कुछ कह न पाया।
इसके 2 साल बाद फिर से अमित गाँव आया , बातों बातों में नेहा से कजरी की थाह लेनी चाही पता लगा उसका रिश्ता हो गया है कहीं। 'एक हाथ दे दूसरे हाथ ले' फार्मूला आधारित। बिगड़ते लिंगानुपात ने आज लोगों को मजबूर कर दिया है की अगर उन्हें अपने बेटे की शादी के लिए बहु चाहिए तो बदले में अपनी किसी बेटी को किसी की बहु बनाना ही होगा। जल्द ही कजरी भी किसी की बहु बन जाएगी।
"कहाँ खो गए अमित बाबू" सामने बैठे सज्जन ने पुकार तो अमित की तन्द्रा टूटी।
'जी कहीं नही' फिर इधर उधर की बातें हुई। कजरी उसी तरह घूँघट निकाले बैठी रही। अमित सोच रहा था की इतनी बातूनी लड़की इतनी चुप कैसे है?
***
3 साल बाद गाँव फिर से जाना हुआ , नेहा की शादी में, अमित की भी शादी हो गई थी, नेहा दुल्हन के लिबास में बहुत सुंदर लग रही थी, सब बहुत खुश थे। नाच गाना हो रहा था, अमित ने पूछ ही लिया आखिर कजरी क्यों नही आई?
नेहा भर्राये स्वर में बोली, " उसके पति का स्वर्गवास हो गया, और आपको तो पता ही है हमारे यहाँ विधवाओं को शुभ और मंगल कार्यों में प्रवेश नही देते। इसलिए उसे बुलाया ही नही।"
😢😢😢😢
‪#‎जयश्रीकृष्ण‬

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