बताने की भी जरूरत नही होगी शायद कि इस टैग लाइन का उपयोग एक टकला अंग्रेज एक विज्ञापन में किया करता है, विज्ञापन बड़ी मजेदार विधा है जी किसको, कैसे लुभाया जा सकता है इसको ध्यान में रख कर छोटे छोटे विज्ञापन तराशे जाते हैं। सिम्पल सा फंडा है, जो दिखता है वही बिकता है।
पता है, जब मैंने फेसबुक में 'फटा पोस्टर निकला हीरो' वाले अंदाज़ में एंट्री मारी थी तो उन दिनों मुझे लगता था की ये फेसबुक लड़की पटाओ फैक्टरी है बस, उससे ज्यादा कुछ भी नही। इससे पहले की मेरी आईडी में बस ओनली गोपिकाएँ भर्ती की थी जिनके साथ आभासी दुनिया में रास रचाने वाले कन्हैया (जेएनयू वाला नही☺) बन अलौकिक सुख का अनुभव किया करते थे, फिर समय बदला दुनिया बदली तो हम भी बदले और साथ ही साथ आईडी भी बदल गई। पहले वाली आईडी का विसर्जन कर यहाँ आने पर लगा, जी इस बार हियाँ फेसबुक पर सिर्फ और सिर्फ उनसे बतियाएंगे जो हमको सच्ची मुची जानते हो मने की रियल दुनिया के फ्रेंड हो, फिर लगने लगा की ये क्या बकवास हुई भई अरे रियल वालों से फेसबुकियाने की क्या जरूरत ? तो कुछ नए लोग घुसते चले गए मित्रता सूची में ( वैसे मित्र तो दिल में ऐड होकर बनते है, हैं ना) । इन नए लोगो ने बताया, और बताया नही, ये कहना चाहिए की सिखाया, कि इस पटल का इस्तेमाल करते कैसे है। अपनी वाणी, अपने विचार मुखर होकर बिना किसी भय के अभिव्यक्त करने का इससे सशक्त माध्यम क्या होगा। तो हमने भी दो दो हाथ आज़माने चाहे, लेकिन भैया सच कहता हूँ बड़ा गिल्टी सा फील होवे है जब हमारी पोस्ट पर इक्का दुक्का लोग लाइक चिपकाते है, खैर जिसका जैसा टेस्ट वो वैसा चखे और सराहे। (इससे ज्यादा फिलॉसफर नही बन सकता, वैसे मन ही मन बहुत गालियाँ निकलती हैं ऑटोमेटकली 😊) पते की बात ये है की अभी हमको बहुत कुछ सीखना है, एक बात जो हम बिना किसी के बताये ही सीख लिए है की हमारी लिस्ट लम्बी सी होनी चाहिए सो धड़ाधड़ रिक्वेस्ट भेज और एक्सेप्ट किये जा रहे है, इस बीच बहुत सारे शेर, शेरनियां, तीतर, लकड़बघे और बागड़बिल्ले भी घुसे जा रहे है पर हम टीआरपी की भूख के चलते सब और से आँख मूंद के सूरदास हो गए हैं। जो दिखता है वही बिकता है, शायद ये खोटा सिक्का इस तरह ही चल जाये :p
हम तो जो हैं सो हैं पर आपसे निवेदन है की अपनी मित्रता सूची में कुछ विशिष्ट बन्धुओं की प्रविष्ठी जरूर सुनिश्चित कर लें। क्यों !? अजी ये तो मेलोडी खाओ खुद जान जाओ की तर्ज पर उनसे परिचित होकर खुद जान जाएंगे। आपको फेसबुक पर किसी ब्रेन वॉशर शेखुलर बीमारी जैसी पोस्टों से बचाने के लिए अत्यावश्यक इन लोगों की लेखनी किसी एंटी बायोटिक से कम नही, सामयिक असामयिक घटनाक्रम जो हमारी सोच हमारे विचार या अंतर्मन को प्रभावित करता है उन पर किसी भी निष्कर्षात्मक बिंदु तक पहुँचने से पहले यदि इनकी अभिव्यक्ति से साक्षात् होते रहेंगे तो निश्चय ही आपकी समालोचना विकसित होगी और आप स्वयम् को पहले से अधिक विचारवान अनुभव करेंगे। कुछेक के नाम इस प्रअघोरी नाथघSatyaa Karnyaa KSumant BhattacharyaaAshish ChhariyatAshish Chhari सSwati Gupta्युद्धवीर सिंहtअसहिष्णु अरुणंहवअसहिष्णु अरुणइत्यादि
अभी के लिए बस इतना ही
#जयश्रीकृष्ण
#जयश्रीकृष्ण
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